नई दिल्ली
गाजीपुर मदरसा रेप केस में मुख्य आरोपी का ट्रायल बालिग की तरह किया जाएगा। जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने उसे नाबालिग न मानते हुए कहा है कि उसपर बालिग की तरह केस चलेगा। मदरसे की तलाशी में मिले सबूत यह साबित करते हैं कि आरोपी की उम्र 20-21 साल है।
लोकल पुलिस से केस ट्रांसफर होने के बाद उन्होंने सबसे पहले मदरसे की तलाशी ली, जहां आरोपी का आधार कार्ड मिला था और धार कार्ड पर उसकी जन्मतिथि 8 जनवरी 1998 लिखी हुई है। इसे उसके बालिग होने का सबूत माना गया है। क्राइम ब्रांच ने आरोपी शाहबाज अनवर के जो मेडिकल टेस्ट कराए, उनकी रिपोर्ट जेजे बोर्ड को सौंप दी थी। बोर्ड ने लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पिटल के डॉक्टर को बुधवार को बोर्ड के सामने पेश होने के लिए कहा था।
पढ़ें: मदरसा रेप केस में सामने आई पुलिस की बड़ी लापरवाही
पुलिस अफसरों का कहना कि मदरसे की तलाशी के दौरान उन्हें जो सबूत मिले अगर यही काम लोकल पुलिस कर लेती तो आरोपी के नाबालिग होने का विवाद ही पैदा नहीं होता। पुलिस अफसरों ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद आरोपित ने खुद को नाबालिग बताया था। उसने लोकल पुलिस को अपनी उम्र 17 साल 6 महीने बताई थी। आरोपित के कहने मात्र से ही उसे नाबालिग मानते हुए बाल सुधार गृह भेज दिया गया था। क्राइम ब्रांच ने आरोपित की सही उम्र का पता लगाने के लिए लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पिटल में उसके दांतों का टेस्ट कराया गया। इसके अलावा बोन एक्सरे भी कराया गया। डॉक्टर ने आरोपित का फिजिकल एग्जामिनेशन भी किया। इसके बाद डॉक्टरों ने बताया कि आरोपित की उम्र 20-21 साल है।
गाजीपुर मदरसा रेप केस में मुख्य आरोपी का ट्रायल बालिग की तरह किया जाएगा। जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने उसे नाबालिग न मानते हुए कहा है कि उसपर बालिग की तरह केस चलेगा। मदरसे की तलाशी में मिले सबूत यह साबित करते हैं कि आरोपी की उम्र 20-21 साल है।
लोकल पुलिस से केस ट्रांसफर होने के बाद उन्होंने सबसे पहले मदरसे की तलाशी ली, जहां आरोपी का आधार कार्ड मिला था और धार कार्ड पर उसकी जन्मतिथि 8 जनवरी 1998 लिखी हुई है। इसे उसके बालिग होने का सबूत माना गया है। क्राइम ब्रांच ने आरोपी शाहबाज अनवर के जो मेडिकल टेस्ट कराए, उनकी रिपोर्ट जेजे बोर्ड को सौंप दी थी। बोर्ड ने लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पिटल के डॉक्टर को बुधवार को बोर्ड के सामने पेश होने के लिए कहा था।
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पुलिस अफसरों का कहना कि मदरसे की तलाशी के दौरान उन्हें जो सबूत मिले अगर यही काम लोकल पुलिस कर लेती तो आरोपी के नाबालिग होने का विवाद ही पैदा नहीं होता। पुलिस अफसरों ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद आरोपित ने खुद को नाबालिग बताया था। उसने लोकल पुलिस को अपनी उम्र 17 साल 6 महीने बताई थी। आरोपित के कहने मात्र से ही उसे नाबालिग मानते हुए बाल सुधार गृह भेज दिया गया था। क्राइम ब्रांच ने आरोपित की सही उम्र का पता लगाने के लिए लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पिटल में उसके दांतों का टेस्ट कराया गया। इसके अलावा बोन एक्सरे भी कराया गया। डॉक्टर ने आरोपित का फिजिकल एग्जामिनेशन भी किया। इसके बाद डॉक्टरों ने बताया कि आरोपित की उम्र 20-21 साल है।
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