कमेटी के अनुमान के मुताबिक करीब 500 करोड़ रुपये इन स्कूलों को लौटाने हैं, लेकिन न तो ये अभिभावकों को उनके पैसे लौटा रहे हैं और न ही कोर्ट में जमा कराने के लिए कोई कदम उठा रहे हैं।
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