Monday, April 30, 2018

जून अंत से ITO पर शुरू हो जाएगा 'आसमानी रास्ता'

नई दिल्ली
आईटीओ और तिलक मार्ग डब्ल्यू पॉइंट पर बनाए जा रहे स्काइवॉक का स्ट्रक्चर तैयार किए जाने का काम लगभग पूरा हो चुका है। निर्माण कार्य तेजी से हो रहा है और तिलक मार्ग से मथुरा रोड जल्द स्काइवॉक से जरिए कनेक्ट हो जाएगा। इसे दिल्ली का सबसे लंबा फुट ओवरब्रिज कहा जा रहा है। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने कहा कि इस प्रॉजेक्ट का तकरीबन 30 फीसदी काम पूरा हो चुका है और यह डेडलाइन तक बनकर तैयार हो जाएगा। बता दें कि इस प्रॉजेक्ट की डेडलाइन जून-एंड है।

पिछले साल 9 नवंबर को जब केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्काइवॉक की आधारशिला रखी थी, तब उन्होंने पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से कहा था कि मार्च तक हर हाल में इस प्रॉजेक्ट को पूरा कर दें, ताकि लोगों को जल्द से जल्द इसका फायदा मिल सके लेकिन इसकी नींव रखने में ही इतना ज्यादा वक्त लग गया था कि यह काम मार्च तक तो किसी भी हाल में पूरा नहीं हो सकता था। उस वक्त अधिकारियों का तर्क था कि इसका निर्माण कर रहे कॉन्ट्रैक्टर के साथ पीडब्ल्यूडी ने जो अनुबंध साइन किया है, उसमें स्काइवॉक को पूरा करने के लिए जून 2018 की डेडलाइन तय की गई थी और उसी के अनुसार प्रॉजेक्ट पूरा होगा।

PWD को फ्रेम तैयार करने के लिए हाई-ग्रेड स्टील से रिंग्स बनाने में दिक्कत पेश आ रही थी, लेकिन अब वह समस्या सुलझ गई है। अब साइट पर प्री-फैब्रिकेटेड स्टील रिंग्स पहुंच रही हैं, जिनसे काम आसान हो गया है। एक वरिष्ठ PWD अधिकारी ने बताया, 'प्लैटफॉर्म तैयार होने के बाद प्री-फैब्रिकेटेड पार्ट्स को जोड़ने में ज्यादा समय नहीं लगेगा, इसलिए हम मानकर चल रहे हैं कि स्काइवॉक जून महीने के अंत तक चालू हो जाएगा।'

आईटीओ पर स्काइवॉक बनाए जाने की योजना साल 2003 में बनाई गई थी और प्रॉजेक्ट फाइनल करने में अप्रैल 2016 हो गई। यूनिफाइड ट्रैफिक ऐंड ट्रांसपॉर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्टर(प्लैनिंग ऐंड इंजिनियरिंग) यानी UTTIPEC और दिल्ली अर्बन आर्ट्स कमिशन से जरूरी अप्रूवल लेने में काफी समय लग गया और इस स्काइवॉक का काम नवंबर 2017 में शुरू हो पा या।


इन वजहों के चलते भी हुई देरी
सरकारी सूत्रों के अनुसार, स्काइवॉक के काम में देरी होने की दो मुख्य वजहें रहीं। एक तो जहां-जहां इसके पिलर्स खड़े करने थे, वहां साढ़े तीन मीटर गहरे गड्ढे खोदकर नींव डाली जानी थी। इसके लिए उन जगहों से गुजर रही जल बोर्ड की पाइपलाइन के अलावा एमटीएनएल, बीएसईएस, एनडीएमसी आदि की फोन, बिजली और इंटरनेट आदि की केबल्स भी शिफ्ट करनी पड़ीं। उनके लिए अलग से डक्ट बनाने पड़े। इसमें काफी वक्त लग गया। इसके अलावा फुट ओवरब्रिज के स्ट्रक्चर पर स्टील की जो ट्यूब्स लगाई जानी हैं, उनकी सप्लाई में भी कुछ दिक्कत आ गई थी, क्योंकि जिस ग्रेड की ट्यूब्स पीडब्ल्यूडी ने मंगवाई थी, उस ग्रेड की ट्यूब्स दिसंबर में नहीं मिल रही थीं।

नोएडा में तैयार हो रहे हैं डेक्स

सूत्रों के मुताबिक, स्काइवॉक के प्लैटफॉर्म के लिए नोएडा की एक फैक्ट्री में डेक्स तैयार किए जा रहे हैं। इस फैक्ट्री को खासतौर से इसी काम का जिम्मा सौंपा गया है। जिस जगह रोड की जितनी लंबाई या चौड़ाई है, उसके हिसाब से और पिलर्स के बीच की दूरी और डिजाइन के आधार पर अलग-अलग साइज के डेक्स तैयार किए जा रहे हैं।

इस स्काइवॉक की डिजाइन भी काफी अलग तरह की है, इसलिए इस बात पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है कि स्ट्रक्चर के निर्माण में कहीं कोई खामी न रह जाए, वरना इसकी डिजाइन के आधार पर पहले से बनाए गए स्टील के स्ट्रक्चर्स किसी काम के नहीं रहेंगे।

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