नई दिल्ली
आम आदमी पार्टी (AAP) विधायकों ने शुक्रवार को दावा किया कि हाई कोर्ट द्वारा लाभ के पद मामले में उनकी बहाली के बाद विकास कार्यों में तेजी आएगी। विधायकों ने बताया कि उन्हें चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के बाद दिल्ली सरकार के अधिकारी उनके फोन कॉल नहीं उठाते थे लेकिन हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद अब वे विकास कार्यों को करवा पाएंगे।
अदालत के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों में से 10 ने विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में उनका पूर्ण विश्वास है और अगर निर्वाचन आयोग ने उन्हें उचित सुनवाई का मौका दिया होता तो अदालत जाने की कोई जरूरत ही नहीं पड़ती। अधिकतर विधायकों ने आरोप लगाया कि 20 जनवरी को अयोग्य ठहराये जाने के बाद से ही दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने उनके फोन उठाने बंद कर दिये थे।
कोंडली के विधायक मनोज कुमार ने कहा, 'कथित तौर पर लाभ के पद मामले में मुझे अयोग्य ठहराए जाने के बाद से ही मेरे विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य प्रभावित हो रहा था। अधिकारी मेरा फोन तक नहीं उठा रहे थे।' चांदनी चौक से विधायक अल्का लांबा ने कहा कि उन्हें अयोग्य ठहराये जाने की वजह से वह सरकार की बजट प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन पाईं और काम प्रभावित हुए।
निर्वाचन आयोग द्वारा अयोग्य ठहराए गए परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा, 'हमें पहले दिन से ही न्यायपालिका में पूर्ण विश्वास था। निर्वाचन आयोग ने अगर हमें उचित सुनवाई का मौका दिया होता तो हमें अदालत जाने की कोई जरूरत नहीं थी।' यह पूछे जाने पर कि क्या निर्वाचन आयोग पर भी उनका विश्वास है जो नए सिरे से लाभ के पद मामले पर सुनवाई करेगा, गहलोत ने कहा कि आयोग पर उनका विश्वास है और विधायक अपना रुख साफ करेंगे तथा निर्वाचन आयोग को यह मामला समझाएंगे।
एक अन्य आप विधायक अनिल वाजपेयी ने हाई कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि सत्य की जीत हुई। वाजपेयी ने कहा, 'चुनाव आयोग में अगर समुचित सुनवाई होती तो अदालत का आदेश नहीं आया होता।'
आम आदमी पार्टी (AAP) विधायकों ने शुक्रवार को दावा किया कि हाई कोर्ट द्वारा लाभ के पद मामले में उनकी बहाली के बाद विकास कार्यों में तेजी आएगी। विधायकों ने बताया कि उन्हें चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के बाद दिल्ली सरकार के अधिकारी उनके फोन कॉल नहीं उठाते थे लेकिन हाई कोर्ट से राहत मिलने के बाद अब वे विकास कार्यों को करवा पाएंगे।
अदालत के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों में से 10 ने विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में उनका पूर्ण विश्वास है और अगर निर्वाचन आयोग ने उन्हें उचित सुनवाई का मौका दिया होता तो अदालत जाने की कोई जरूरत ही नहीं पड़ती। अधिकतर विधायकों ने आरोप लगाया कि 20 जनवरी को अयोग्य ठहराये जाने के बाद से ही दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने उनके फोन उठाने बंद कर दिये थे।
कोंडली के विधायक मनोज कुमार ने कहा, 'कथित तौर पर लाभ के पद मामले में मुझे अयोग्य ठहराए जाने के बाद से ही मेरे विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य प्रभावित हो रहा था। अधिकारी मेरा फोन तक नहीं उठा रहे थे।' चांदनी चौक से विधायक अल्का लांबा ने कहा कि उन्हें अयोग्य ठहराये जाने की वजह से वह सरकार की बजट प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन पाईं और काम प्रभावित हुए।
निर्वाचन आयोग द्वारा अयोग्य ठहराए गए परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा, 'हमें पहले दिन से ही न्यायपालिका में पूर्ण विश्वास था। निर्वाचन आयोग ने अगर हमें उचित सुनवाई का मौका दिया होता तो हमें अदालत जाने की कोई जरूरत नहीं थी।' यह पूछे जाने पर कि क्या निर्वाचन आयोग पर भी उनका विश्वास है जो नए सिरे से लाभ के पद मामले पर सुनवाई करेगा, गहलोत ने कहा कि आयोग पर उनका विश्वास है और विधायक अपना रुख साफ करेंगे तथा निर्वाचन आयोग को यह मामला समझाएंगे।
एक अन्य आप विधायक अनिल वाजपेयी ने हाई कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि सत्य की जीत हुई। वाजपेयी ने कहा, 'चुनाव आयोग में अगर समुचित सुनवाई होती तो अदालत का आदेश नहीं आया होता।'
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