नई दिल्ली
मुख्य सचिव के साथ कथित मारपीट की शिकायत पर विधानसभा समिति द्वारा नोटिस दिए जाने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि एक बैठक के दौरान AAP विधायकों द्वारा कथित मारपीट की शिकायत करने के कारण समितियों की ओर से नोटिस भेजकर मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को परेशान नहीं किया जा सकता है। जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा कि 'यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है जहां स्टेट और अधिकारी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और एक दूसरे को धमकी दी जा रही है।'
कोर्ट ने AAP के विधायक प्रकाश जारवाल की जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। जारवाल को 19 फरवरी की रात में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर हुई एक मीटिंग के दौरान मुख्य सचिव से कथित मारपीट के आरोप में 20 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने जारवाल की जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखा है। साथ ही कोर्ट ने नोटिस जारी कर AAP के विधायक अमानतुल्ला खान की जमानत अर्जी पर 12 मार्च तक दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। खान को भी इसी मामले में कस्टडी में रखा गया है।
पढ़ें, चीफ सेक्रटरी केसः AAP के और विधायकों से होगी पूछताछ
दरअसल, कोर्ट को मुख्य सचिव के वकील की ओर से बताया गया कि उन्हें दिल्ली असेंबली की विशेषाधिकार समिति ने पेश होने के लिए नोटिस भेजा है। इस पर कोर्ट ने कहा, 'आप किसी शिकायतकर्ता को इस तरह से परेशान नहीं कर सकते। चीफ सेक्रटरी को परेशान किया जा रहा है। क्या यह जमानत याचिका खारिज करने का आधार नहीं है।'
दिल्ली में कानून व्यवस्था पर उठाए सवाल
इससे पहले दिन में हाई कोर्ट ने दिल्ली में कानून-व्यवस्था के हालात पर सवाल खड़े किए। कोर्ट ने कहा, 'वह इस बात को लेकर चिंतित है कि अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री की मौजूदगी में किसी व्यक्ति के साथ हाथापाई हो सकती है तो अन्य जगहों की क्या हालत होगी।' जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा ‘वैसी जगह जहां मुख्यमंत्री मौजूद हों, वहां किसी शख्स के साथ हाथापाई होती है। यह सब मुख्यमंत्री के सामने घटित हो रहा है। जिस शख्स के साथ हाथापाई हुई, मैं उनकी शख्सियत पर नहीं जा रही हूं। आपको इस बारे में जवाब देने की जरूरत है।’ जस्टिस गुप्ता ने आगे कहा, ‘आखिर इस बात पर मैं कैसे यकीन करूं कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी?’
मुख्य सचिव के साथ कथित मारपीट की शिकायत पर विधानसभा समिति द्वारा नोटिस दिए जाने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि एक बैठक के दौरान AAP विधायकों द्वारा कथित मारपीट की शिकायत करने के कारण समितियों की ओर से नोटिस भेजकर मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को परेशान नहीं किया जा सकता है। जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा कि 'यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है जहां स्टेट और अधिकारी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और एक दूसरे को धमकी दी जा रही है।'
कोर्ट ने AAP के विधायक प्रकाश जारवाल की जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। जारवाल को 19 फरवरी की रात में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर हुई एक मीटिंग के दौरान मुख्य सचिव से कथित मारपीट के आरोप में 20 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने जारवाल की जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखा है। साथ ही कोर्ट ने नोटिस जारी कर AAP के विधायक अमानतुल्ला खान की जमानत अर्जी पर 12 मार्च तक दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। खान को भी इसी मामले में कस्टडी में रखा गया है।
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दरअसल, कोर्ट को मुख्य सचिव के वकील की ओर से बताया गया कि उन्हें दिल्ली असेंबली की विशेषाधिकार समिति ने पेश होने के लिए नोटिस भेजा है। इस पर कोर्ट ने कहा, 'आप किसी शिकायतकर्ता को इस तरह से परेशान नहीं कर सकते। चीफ सेक्रटरी को परेशान किया जा रहा है। क्या यह जमानत याचिका खारिज करने का आधार नहीं है।'
दिल्ली में कानून व्यवस्था पर उठाए सवाल
इससे पहले दिन में हाई कोर्ट ने दिल्ली में कानून-व्यवस्था के हालात पर सवाल खड़े किए। कोर्ट ने कहा, 'वह इस बात को लेकर चिंतित है कि अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री की मौजूदगी में किसी व्यक्ति के साथ हाथापाई हो सकती है तो अन्य जगहों की क्या हालत होगी।' जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा ‘वैसी जगह जहां मुख्यमंत्री मौजूद हों, वहां किसी शख्स के साथ हाथापाई होती है। यह सब मुख्यमंत्री के सामने घटित हो रहा है। जिस शख्स के साथ हाथापाई हुई, मैं उनकी शख्सियत पर नहीं जा रही हूं। आपको इस बारे में जवाब देने की जरूरत है।’ जस्टिस गुप्ता ने आगे कहा, ‘आखिर इस बात पर मैं कैसे यकीन करूं कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी?’
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