नई दिल्ली
लाभ के पद मामले में अयोग्य ठहराए गए AAP के 20 विधायकों की सदस्यता हाई कोर्ट से बहाल होने के मामले में चुनाव आयोग ने कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि चुनाव आयोग हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी स्टडी करेगा और उसी अनुसार आगे बढ़ेगा।
चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि AAP विधायकों को कई बार जवाब देने के मौके दिए गए। सूत्रों के मुताबिक, 'चुनाव आयोग ने आप विधायकों को 28 सिंतबर और 2 नवंबर 2017 को निजी रूप से नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा था। विधायकों को चुनाव आयोग को लिखित जवाब देना चाहिए था जो उन्होंने कभी नहीं दिया।' बता दें कि शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग की सिफारिश खारिज करते हुए उन्हें बहाल कर दिया है।
यह है पूरा मामला
दरअसल, 19 जनवरी को चुनाव आयोग ने संसदीय सचिव को लाभ का पद ठहराते हुए राष्ट्रपति से AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। उसी दिन AAP के कुछ विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफारिश के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था। 21 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर करते हुए AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी।
बाद में AAP विधायकों ने हाई कोर्ट में दायर की गई अपनी पहली याचिका को वापस लेकर नए सिरे से याचिका डाली और अपनी सदस्यता रद्द किए जाने को चुनौती दी। बता दें कि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाले अविंद केजरीवाल ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। उनमें से एक विधायक जरनैल सिंह भी थे जिन्होंने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
लाभ के पद मामले में अयोग्य ठहराए गए AAP के 20 विधायकों की सदस्यता हाई कोर्ट से बहाल होने के मामले में चुनाव आयोग ने कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि चुनाव आयोग हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी स्टडी करेगा और उसी अनुसार आगे बढ़ेगा।
चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि AAP विधायकों को कई बार जवाब देने के मौके दिए गए। सूत्रों के मुताबिक, 'चुनाव आयोग ने आप विधायकों को 28 सिंतबर और 2 नवंबर 2017 को निजी रूप से नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा था। विधायकों को चुनाव आयोग को लिखित जवाब देना चाहिए था जो उन्होंने कभी नहीं दिया।' बता दें कि शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग की सिफारिश खारिज करते हुए उन्हें बहाल कर दिया है।
यह है पूरा मामला
दरअसल, 19 जनवरी को चुनाव आयोग ने संसदीय सचिव को लाभ का पद ठहराते हुए राष्ट्रपति से AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। उसी दिन AAP के कुछ विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफारिश के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था। 21 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर करते हुए AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी।
बाद में AAP विधायकों ने हाई कोर्ट में दायर की गई अपनी पहली याचिका को वापस लेकर नए सिरे से याचिका डाली और अपनी सदस्यता रद्द किए जाने को चुनौती दी। बता दें कि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाले अविंद केजरीवाल ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। उनमें से एक विधायक जरनैल सिंह भी थे जिन्होंने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
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Read more: फैसले को स्टडी कर बढ़ेंगे आगे: चुनाव आयोग