नई दिल्ली
दिल्ली के दारा शिकोह रोड स्थित आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल दफ्तर के बाहर आर्मी अफसरों ने एक फर्जी लेफ्टिनेंट को पकड़ा। इसके कब्जे से लेफ्टिनेंट की वर्दी, आईकार्ड और डॉक्यूमेंट्स मिले हैं। साउथ ऐवेन्यू पुलिस उससे पूछताछ चल रही है। शुरुआती जांच में उसके आर्मी का भगोड़ा हवलदार होने की बात सामने आई है।
डीसीपी मधुर वर्मा के मुताबिक, दीपांकर सिंह नाम का यह शख्स फरीदाबाद की श्याम कॉलोनी का रहने वाला है। एसीपी आलोक कुमार की शुरुआती जांच में पता चला कि यह 2006 में इंडियन आर्मी में बतौर हवलदार भर्ती हुआ था। एक साल नौकरी करने के बाद घर आया और फिल लौटा नहीं। इसके बाद इसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया। इसके बाद यह अपने जानकारों के बीच खुद को लेफ्टिनेंट बताने लगा था। पहली पत्नी से तलाक के बाद इसी साल जनवरी में उसने दूसरी शादी रचाई है। मुमकिन है कि दूसरी शादी के दौरान उसने खुद को लेफ्टिनेंट बताया होगा। पिछले कई दिनों से वह लगातार आर्मी दफ्तर के चक्कर काट रहा था और अफसरों पर रौब गांठकर काम भी बता रहा था। आरोपी के पिता एम्स में सिक्यॉरिटी गार्ड हैं।
वर्दी में गलत बैज से हुआ शक
विपिन कुमार ‘60 पैरा’ यूनिट से हैं, जो इन दिनों मेडिकल दफ्तर में तैनात हैं। 26 फरवरी को पैरा यूनिट के अफसर वाली वर्दी पहनकर दीपांकर उनके पास पहुंचा। बातचीत के दौरान उसने विपिन से मोबाइल नंबर ले लिया। इसके थोड़ी देर बाद एक शख्स आया और बोला कि लेफ्टिनेंट दीपांकर साहब बुला रहे हैं। विपिन बाहर गए तो देखा कि वह स्कॉर्पियो में बैठा है। दीपांकर ने कहा कि कल मेरी सिस्टर आकर कुछ डॉक्यूमेंट देगी तो रख लेना। मैं ऊधमपुर जा रहा हूं, लौटकर ले लूंगा।
विपिन से 28 फरवरी को एक लड़की मिली, जिसने कुछ डॉक्यूमेंट वेरिफाई कराने के लिए कहा। विपिन को शक हुआ और अचानक याद आया कि दीपांकर ने जो वर्दी पहनी थी, उस पर गलत बैज थे। विपिन ने सीनियर अफसरों को बताया और बाहर जाकर देखा तो दीपांकर लड़की को स्कॉर्पियो में बिठाकर ले जा रहा था, जबकि उसने ऊधमपुर जाने की बात कही थी।
फंस गया ठगने की कोशिश में
विपिन ने पैरा यूनिट के तमाम लोगों से वॉट्सएप पर संपर्क किया तो सभी ने दीपांकर को पहचाने से इनकार कर दिया। असलियत जानने के मकसद से विपिन ने दीपांकर से उसके नंबर पर संपर्क जारी रखा। तीन दिन पहले दीपांकर का फोन आया कि उसकी एक महिला मित्र का चंडीगढ़ जाते वक्त बैग चोरी हो गया, जिसमें डॉक्यूमेंट और कैश था। लिहाजा 15 हजार रुपये उसके अकाउंट में डलवा दें। वह ऊधमपुर से लौटकर दे देगा। विपिन ने अफसरों की सलाह पर पैसे देने की हामी भर दी, लेकिन अकाउंट के बजाय किसी को भेजने के लिए कहा। शुक्रवार दोपहर दो युवक आर्म्ड फोर्सेज पहुंचे और पैसे मांगने लगे। आर्मी अफसरों ने दोनों से कहा कि दीपांकर को फोन करके यहां बुलाओ वरना पुलिस के हवाले कर दिए जाओगे। दोनों ने दीपांकर को बुला लिया। जैसे ही वह पहुंचा तो उसे दबोच लिया गया।
दिल्ली के दारा शिकोह रोड स्थित आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल दफ्तर के बाहर आर्मी अफसरों ने एक फर्जी लेफ्टिनेंट को पकड़ा। इसके कब्जे से लेफ्टिनेंट की वर्दी, आईकार्ड और डॉक्यूमेंट्स मिले हैं। साउथ ऐवेन्यू पुलिस उससे पूछताछ चल रही है। शुरुआती जांच में उसके आर्मी का भगोड़ा हवलदार होने की बात सामने आई है।
डीसीपी मधुर वर्मा के मुताबिक, दीपांकर सिंह नाम का यह शख्स फरीदाबाद की श्याम कॉलोनी का रहने वाला है। एसीपी आलोक कुमार की शुरुआती जांच में पता चला कि यह 2006 में इंडियन आर्मी में बतौर हवलदार भर्ती हुआ था। एक साल नौकरी करने के बाद घर आया और फिल लौटा नहीं। इसके बाद इसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया। इसके बाद यह अपने जानकारों के बीच खुद को लेफ्टिनेंट बताने लगा था। पहली पत्नी से तलाक के बाद इसी साल जनवरी में उसने दूसरी शादी रचाई है। मुमकिन है कि दूसरी शादी के दौरान उसने खुद को लेफ्टिनेंट बताया होगा। पिछले कई दिनों से वह लगातार आर्मी दफ्तर के चक्कर काट रहा था और अफसरों पर रौब गांठकर काम भी बता रहा था। आरोपी के पिता एम्स में सिक्यॉरिटी गार्ड हैं।
वर्दी में गलत बैज से हुआ शक
विपिन कुमार ‘60 पैरा’ यूनिट से हैं, जो इन दिनों मेडिकल दफ्तर में तैनात हैं। 26 फरवरी को पैरा यूनिट के अफसर वाली वर्दी पहनकर दीपांकर उनके पास पहुंचा। बातचीत के दौरान उसने विपिन से मोबाइल नंबर ले लिया। इसके थोड़ी देर बाद एक शख्स आया और बोला कि लेफ्टिनेंट दीपांकर साहब बुला रहे हैं। विपिन बाहर गए तो देखा कि वह स्कॉर्पियो में बैठा है। दीपांकर ने कहा कि कल मेरी सिस्टर आकर कुछ डॉक्यूमेंट देगी तो रख लेना। मैं ऊधमपुर जा रहा हूं, लौटकर ले लूंगा।
विपिन से 28 फरवरी को एक लड़की मिली, जिसने कुछ डॉक्यूमेंट वेरिफाई कराने के लिए कहा। विपिन को शक हुआ और अचानक याद आया कि दीपांकर ने जो वर्दी पहनी थी, उस पर गलत बैज थे। विपिन ने सीनियर अफसरों को बताया और बाहर जाकर देखा तो दीपांकर लड़की को स्कॉर्पियो में बिठाकर ले जा रहा था, जबकि उसने ऊधमपुर जाने की बात कही थी।
फंस गया ठगने की कोशिश में
विपिन ने पैरा यूनिट के तमाम लोगों से वॉट्सएप पर संपर्क किया तो सभी ने दीपांकर को पहचाने से इनकार कर दिया। असलियत जानने के मकसद से विपिन ने दीपांकर से उसके नंबर पर संपर्क जारी रखा। तीन दिन पहले दीपांकर का फोन आया कि उसकी एक महिला मित्र का चंडीगढ़ जाते वक्त बैग चोरी हो गया, जिसमें डॉक्यूमेंट और कैश था। लिहाजा 15 हजार रुपये उसके अकाउंट में डलवा दें। वह ऊधमपुर से लौटकर दे देगा। विपिन ने अफसरों की सलाह पर पैसे देने की हामी भर दी, लेकिन अकाउंट के बजाय किसी को भेजने के लिए कहा। शुक्रवार दोपहर दो युवक आर्म्ड फोर्सेज पहुंचे और पैसे मांगने लगे। आर्मी अफसरों ने दोनों से कहा कि दीपांकर को फोन करके यहां बुलाओ वरना पुलिस के हवाले कर दिए जाओगे। दोनों ने दीपांकर को बुला लिया। जैसे ही वह पहुंचा तो उसे दबोच लिया गया।
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