पीठ ने कहा कि फैसले पर हस्ताक्षर करने वाले EC के पैनल के सदस्य सुनील अरोड़ा पूरे मामले में न तो शामिल रहे और न ही उनके सामने कोई सुनवाई ही हुई, यह कानून की प्रकृति के खिलाफ है।
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