Sunday, March 25, 2018

पांच में से एक छात्र अंडरवेट, दिल्ली में हुआ सर्वे

नई दिल्ली
स्कूली बच्चों (किशोरों) में मोटापे के साथ-साथ उनका वजन कम होना भी चिंता की वजह बनता जा रहा है। एक तरफ जहां कई बच्चे मोटापे के शिकार हैं, वहीं कई अंडरवेट भी हैं। दरअसल, छात्रों में बढ़ते मोटापे पर एक स्टडी किया गया था, लेकिन इसके आंकड़ों ने हैरान कर दिया। पाया गया कि पांच में से एक छात्र अंडरवेट है।

यह स्टडी श्री गंगाराम अस्पताल की प्रिंसिपल (स्कूल ऑफ नर्सिंग) रीता सपारा ने अपनी टीम के साथ मिलकर किया था। स्टडी में 15 से 19 साल के बच्चों को शामिल किया गया था। वे सभी 9वीं से 12वीं क्लास में पढ़ते हैं। 1785 छात्रों में 12 सरकारी स्कूल के 950 और 10 प्राइवेट स्कूल के 835 बच्चे शामिल थे।

रीता सपारा मानती हैं कि सरकारी स्कूल के बच्चे पौष्टिक खाना खा नहीं पाते और प्राइवेट स्कूल के बच्चे हेल्थी खाने से बचते हैं, क्योंकि उन्हें जंक फूड खाने की आदत होती है। बता दें जिस किसी का भी बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 16.4 के बराबर या उससे कम होता है उसे अंडरवेट माना जाता है।

रीता के लिए यह स्टडी हैरान करने वाला रहा। उन्होंने बताया कि अंडरवेट होने की वजह से स्टैमिना कम हो जाता है, रोगों से लड़ने की क्षमता धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। खून आदि की कमी भी हो जाती है।



इस स्टडी को मेडिसिन रिसर्च एंड प्रेक्टिस के ताजा अंक में छापा जाएगा। रिपोर्ट में आया कि सरकारी स्कूल के 65 प्रतिशत छात्र नॉर्मल, 17 प्रतिशत अंडरवेट, 14 प्रतिशत ओवरवेट, 4 प्रतिशत मोटापे के शिकार हैं। वहीं प्राइवेट स्कूल में 55 प्रतिशत छात्र नॉर्मल, 15 प्रतिशत अंडरवेट, 20 प्रतिशत ओवरवेट और 10 प्रतिशत मोटापे की चपेट में हैं।

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