Saturday, March 10, 2018

आंखों को रोशनी देने में AIIMS ने बनाया रेकॉर्ड

नई दिल्ली
पहली बार एम्स के आरपी सेंटर में 1,285 लोगों का सफल कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया। यानी इतने लोगों की ब्लाइंडनेस दूर करने में डॉक्टरों को कामयाबी मिली है। एक साल के अंदर इतनी बड़ी संख्या में कॉर्निया ट्रांसप्लांट पहली बार किया गया है, जो एक रेकॉर्ड है। आरपी सेंटर के चीफ डॉ. अतुल कुमार का कहना है कि पूरे देश में कॉर्निया की कमी है। अभी जिस लेवल पर आई डोनेशन की जरूरत है, उतनी हो नहीं पा रही है।

कॉर्निया ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. जेएस टिटियाल ने कहा कि पिछले साल आई डोनेशन में 1,844 कॉर्निया आई बैंक में जमा कराए गए। इनमें से 1,285 कॉर्निया का इस्तेमाल किया जा चुका है। पिछले 5 साल से लगातार आई डोनेशन के मामले बढ़ रहे हैं और ट्रांसप्लांट भी बढ़ रहा है। 2016 में 1,614 कॉर्निया डोनेशन से मिले थे, जिसमें से 1,090 लोगों में ट्रांसप्लांट कर उनकी आंखों की रोशनी लौटाने में सफलता मिली थी।

डॉक्टर टिटियाल ने कहा कि पहली बार कॉर्निया ट्रांसप्लांट की सफलता ज्यादा बेहतर होती है। इसलिए हम हमेशा अच्छा और इन्फेक्शन फ्री कॉर्निया ही यूज करते हैं, ताकि रिजेक्शन न हो और मरीज को दोबारा ट्रांसप्लांट की जरूरत न पड़े। दोबारा सर्जरी में रिजेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है। एम्स में डोनेटेड आई से मिले कॉर्निया का 60 से 70 पर्सेंट तक यूज हो रहा है, जबकि पूरे विश्व में पर्सेंटेज 50 ही है। एम्स में हर साल 2,000 कॉर्निया ट्रांसप्लांट की जरूरत है। अभी और 600 से 800 की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि अब ज्यादा ट्रांसप्लांट इसलिए हो पा रहे हैं क्योंकि कॉर्निया को सेफ रखने का तरीका बेहतर हो गया है। अब 7 से 14 दिन तक कॉर्निया को संरक्षित रखा जा सकता है। ऐसे में अगर तुरंत मरीज नहीं मिलता है तो दूसरे राज्यों के मरीजों के लिए भेजा जाता है। इस दौरान एम्स में चश्मा हटाने की सर्जरी भी काफी हो रही है, खासकर भारी संख्या में युवा वर्ग अपना चश्मा हटाने की सर्जरी के लिए आ रहे हैं। इसके लिए एम्स में स्मॉल इनसीजन लेंटीक्यूल एक्सट्रैक्शन का यूज किया जा रहा है। एक साल में औसतन ऐसे 2 से 3 हजार सर्जरी की जाती है।

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