Friday, March 9, 2018

मेट्रो प्रॉजेक्ट्स : बजट का 68 फीसदी ही हुआ खर्च

नई दिल्ली
मेट्रो परियोजनाओं के निर्माण के मामले में बीता साल बेहद खराब रहा है। बीते साल मेट्रो प्रॉजेक्ट्स के निर्माण के लिए जितनी रकम का प्रावधान किया गया था, उसके मुकाबले पहली तीन तिमाही में महज 68 फीसदी रकम ही खर्च हो सकी थी, जिसका असर इस बजट पर नजर आया। बजट में मेट्रो परियोजनाओं के लिए मिलने वाली रकम में तीन हजार करोड़ रुपये की कटौती कर दी गई।

आवास और शहरी कार्य मंत्रालय से संबंधित पिनाकी मिश्रा की अध्यक्षता वाली संसदीय कमिटी ने इसे मेट्रो की खराब प्रोग्रेस बताते हुए कहा है कि चालू मेट्रो प्रॉजेक्टस की राह में आ रही बाधाओं को जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए। कमिटी की इस रिपोर्ट में बीते तीन सालों का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस बार मेट्रो प्रॉजेक्ट्स के लिए सबसे कम 15 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जबकि पिछले साल यह रकम 18 हजार करोड़ रुपये थी। इसका असर यह हुआ कि इस बार मंत्रालय ने सरकार से मेट्रो परियोजनाओं के लिए 25 हजार करोड़ रुपये मांगे थे, लेकिन उसे महज 15 हजार करोड़ रुपये ही मिले।

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कमिटी को मंत्रालय की ओर से मिले आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल मिले 18 हजार करोड़ रुपये में से दिसंबर 2017 तक यानी तीन तिमाहियां बीतने के बावजूद मेट्रो प्रोजेक्टस को मिली 18 हजार करोड़ रुपये की रकम में से महज 12,142 करोड़ रुपये ही खर्च हो सके थे। यानी 67.45 फीसदी राशि का ही उपयोग किया जा सका था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली मेट्रो के थर्ड फेज और एक्सटेंशन के लिए 144 किमी की लाइनों को मंजूरी दी गई थी, लेकिन इनमें से महज 40 किमी की लाइनें ही बनकर चालू की जा सकीं। इसी तरह से चेन्नई मेट्रो की 54 किमी की लाइनों में से 27 किमी लाइनें ही चालू की जा सकी हैं।

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हालांकि सरकार का कहना है कि देश भर में चल रहे मेट्रो प्रोजेक्ट सुचारू रूप से चल रहे हैं लेकिन कमिटी का कहना है कि उसे जानकारी मिली हे कि देश के कई हिस्सों में मेट्रो परियोजनाओं को क्रियान्वित करने में कई बाधाएं हैं। सरकार को चाहिए कि इन बाधाओं को जल्द दूर किया जाना चाहिए। कमिटी ने कहा है कि देश के सभी शहरों में मेट्रो को हवाई अड्डों से जोड़ा जाना चाहिए। कमिटी को बताया गया है कि दिल्ली में तो मेट्रो पहले ही एयरपोर्ट से कनेक्ट है और चैन्ने, मुंबई, लखनऊ और नागपुर के एयरपोर्ट को मेट्रो से जोड़ने का प्रस्ताव है। लेकिन बेंगलुरु, कोच्चि, अहमदाबाद, पुणे और नोएडा/ग्रेटर नोएडा का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।

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