सिद्धार्थ रॉय, नई दिल्ली
दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच टकराव का असर मेट्रो के विस्तार पर पड़ रहा है। 2017 में ही दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन यानी DMRC फेज-4 का काम शुरू करने वाली थी लेकिन दिल्ली सरकार का फाइनल अप्रूवल नहीं मिल सका। अब साल 2018 के भी पहले दो महीने गुजर चुके हैं लेकिन जल्द विस्तार का काम शुरू नहीं हुआ तो डीएमआरसी की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।
मेट्रो फेज-3 का काम कर रहे ठेकेदारों का काम पूरा होने को है और वे जल्द मशीनरी और कामगार कंस्ट्रक्शन के काम से हटा लेंगे। ऐसे में अगर फेज-4 के काम को मंजूरी मिलने में और देरी होती है तो डीएमआरसी को नए सिरे से मशीनरी और कामगारों का इंतजाम करना होगा। ऐसे करने से फेज-4 के काम में और देरी हो सकती है।
दिल्ली सरकार ने 104 किलोमीटर की मेट्रो लाइन के फेज-4 प्रॉजेक्ट के लिए जनवरी 2017 में मंजूरी दी थी। 55,208 करोड़ रुपयों की लागत वाले इस प्रॉजेक्ट को अब तक फाइनल अप्रूवल नहीं मिला है। मेट्रो किराया बढ़ोतरी जैसे कई मुद्दों पर आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र के बीच टकरावों के चलते हालात और खराब हो गए हैं। ऐसे में 50:50 इक्विटी शेयरिंग मॉडल वाले मेट्रो विस्तार प्रॉजेक्ट में देरी हो रही है।
प्रक्रिया की बात करें तो डीएमआरसी पहले प्रॉजेक्ट की डीटेल्ड रिपोर्ट दिल्ली सरकार को सौंपती है। इसके बाद सरकार अपनी मंजूरी देती है और साथ में लागत खर्च का आवंटन होता है। जब राज्य सरकार आखिरी मंजूरी दे देती है, उसके बाद ही केंद्र सरकार काम शुरू करने की आखिरी मंजूरी देती है। इसके बाद ही डीएमआरसी काम शुरू कर सकती है। फंडिंग की इसी प्रक्रिया के तहत मेट्रो फेज-1, 2 और 3 का काम शुरू किया गया।
फंडिंग को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच डीएमआरसी ने समय बचाने के लिए फेज-4 का ऐसा काम शुरू कर दिया है, जिसमें कंस्ट्रक्शन का काम शामिल नहीं है। डीएमआरसी ने कुछ कॉरिडोरों के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं। हालांकि कंस्ट्रक्शन का काम दिल्ली सरकार की फाइनल मंजूरी के बाद ही शुरू हो सकेगा।
हाल में डीएमआरसी ने केंद्र और दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर फेज-4 के 6 में से 3 कॉरिडोरों का काम शुरू करने के लिए मंजूरी मांगी थी, जिनकी लागत करीब 29,000 करोड़ रुपये होगी। डीएमआरसी इन तीन कॉरिडोरों को प्राथमिकता दे रही है- जनकपुरी वेस्ट से आरके आश्रम, मौजपुर से मुकुंदपुर और एयरोसिटी से तुगलकाबाद।
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दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच टकराव का असर मेट्रो के विस्तार पर पड़ रहा है। 2017 में ही दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन यानी DMRC फेज-4 का काम शुरू करने वाली थी लेकिन दिल्ली सरकार का फाइनल अप्रूवल नहीं मिल सका। अब साल 2018 के भी पहले दो महीने गुजर चुके हैं लेकिन जल्द विस्तार का काम शुरू नहीं हुआ तो डीएमआरसी की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।
मेट्रो फेज-3 का काम कर रहे ठेकेदारों का काम पूरा होने को है और वे जल्द मशीनरी और कामगार कंस्ट्रक्शन के काम से हटा लेंगे। ऐसे में अगर फेज-4 के काम को मंजूरी मिलने में और देरी होती है तो डीएमआरसी को नए सिरे से मशीनरी और कामगारों का इंतजाम करना होगा। ऐसे करने से फेज-4 के काम में और देरी हो सकती है।
दिल्ली सरकार ने 104 किलोमीटर की मेट्रो लाइन के फेज-4 प्रॉजेक्ट के लिए जनवरी 2017 में मंजूरी दी थी। 55,208 करोड़ रुपयों की लागत वाले इस प्रॉजेक्ट को अब तक फाइनल अप्रूवल नहीं मिला है। मेट्रो किराया बढ़ोतरी जैसे कई मुद्दों पर आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र के बीच टकरावों के चलते हालात और खराब हो गए हैं। ऐसे में 50:50 इक्विटी शेयरिंग मॉडल वाले मेट्रो विस्तार प्रॉजेक्ट में देरी हो रही है।
प्रक्रिया की बात करें तो डीएमआरसी पहले प्रॉजेक्ट की डीटेल्ड रिपोर्ट दिल्ली सरकार को सौंपती है। इसके बाद सरकार अपनी मंजूरी देती है और साथ में लागत खर्च का आवंटन होता है। जब राज्य सरकार आखिरी मंजूरी दे देती है, उसके बाद ही केंद्र सरकार काम शुरू करने की आखिरी मंजूरी देती है। इसके बाद ही डीएमआरसी काम शुरू कर सकती है। फंडिंग की इसी प्रक्रिया के तहत मेट्रो फेज-1, 2 और 3 का काम शुरू किया गया।
फंडिंग को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच डीएमआरसी ने समय बचाने के लिए फेज-4 का ऐसा काम शुरू कर दिया है, जिसमें कंस्ट्रक्शन का काम शामिल नहीं है। डीएमआरसी ने कुछ कॉरिडोरों के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं। हालांकि कंस्ट्रक्शन का काम दिल्ली सरकार की फाइनल मंजूरी के बाद ही शुरू हो सकेगा।
हाल में डीएमआरसी ने केंद्र और दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर फेज-4 के 6 में से 3 कॉरिडोरों का काम शुरू करने के लिए मंजूरी मांगी थी, जिनकी लागत करीब 29,000 करोड़ रुपये होगी। डीएमआरसी इन तीन कॉरिडोरों को प्राथमिकता दे रही है- जनकपुरी वेस्ट से आरके आश्रम, मौजपुर से मुकुंदपुर और एयरोसिटी से तुगलकाबाद।
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