नई दिल्ली
किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) ने आज एक शख्स को एक 24 साल की एमबीए छात्रा से सामूहिक बलात्कार करने का दोषी करार दिया। जेजेबी ने उसे पुर्नवास के लिए तीन साल के लिए सुधार गृह में भेजा। युवक साल 2009 में लड़की के साथ हुए गैंगरेप में शामिल था। उस वक्त वह नाबालिग था। मामले में अन्य नौ वयस्क आरोपियों को निचली अदालत ने इस आधार पर बरी कर दिया था कि असल गुनाहगारों की पहचान साबित नहीं हो सकी थी।
जेजेबी के पीठासीन मैजिस्ट्रेट अरुल वर्मा ने कहा कि घटना के वक्त लगभग 17 वर्ष के रहे युवक की घटनास्थल पर मौजूदगी की सबूतों के आधार पर पुष्टि होती है। इसके अलावा अदालत में गवाहों ने भी उसे पहचाना है। बोर्ड ने अपने 100 पन्नों के फैसले में कहा कि मेडिकल सबूतों और किशोर की अपराध में संलिप्तता दिखाने वाली वस्तुएं उसके पास से प्राप्त होने से अभियोजन पक्ष के गवाहों के सबूतों को पर्याप्त मजबूती मिलती है।
दोषी युवक अब 26 वर्ष का है। बोर्ड ने युवक को मजनूं का टीला स्थित सुधार गृह में तीन वर्ष की अवधि के लिए भेजा है। बोर्ड ने युवक की उस याचिका को भी अनुमति दी जिसमें उसने सजा को एक माह के लिए निलंबित करने का अनुरोध किया था ताकि वह फैसले के खिलाफ अपील दायर कर सके।
जेजेबी ने उत्तर प्रदेश प्राधिकार से बलात्कार पीड़िता को तीन लाख रुपए से अधिक मुआवजा देने के लिए कदम उठाने को कहा है। बोर्ड ने बचाव पक्ष के गवाहों द्वारा उसके समक्ष झूठी गवाही देने के लिए उनके खिलाफ मुकदमा चलाने का भी आदेश दिया। अभियोजन पक्ष के मुताबिक घटना पांच जनवरी 2009 की है।
महिला अपने दोस्त के साथ कार में सवार होकर एक मॉल से लौट रही थी जब उन्हें मोटरबाइक पर सवार कुछ युवकों ने जबरदस्ती रोका। पुलिस के मुताबिक युवक कार में सवार होकर उसे सुनसान जगह पर ले गए जहां 11 लोगों ने लड़की के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया। एक आरोपी की मुकदमे के दौरान मौत हो गई। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अभियोजन पक्ष की अपील दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है।
किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) ने आज एक शख्स को एक 24 साल की एमबीए छात्रा से सामूहिक बलात्कार करने का दोषी करार दिया। जेजेबी ने उसे पुर्नवास के लिए तीन साल के लिए सुधार गृह में भेजा। युवक साल 2009 में लड़की के साथ हुए गैंगरेप में शामिल था। उस वक्त वह नाबालिग था। मामले में अन्य नौ वयस्क आरोपियों को निचली अदालत ने इस आधार पर बरी कर दिया था कि असल गुनाहगारों की पहचान साबित नहीं हो सकी थी।
जेजेबी के पीठासीन मैजिस्ट्रेट अरुल वर्मा ने कहा कि घटना के वक्त लगभग 17 वर्ष के रहे युवक की घटनास्थल पर मौजूदगी की सबूतों के आधार पर पुष्टि होती है। इसके अलावा अदालत में गवाहों ने भी उसे पहचाना है। बोर्ड ने अपने 100 पन्नों के फैसले में कहा कि मेडिकल सबूतों और किशोर की अपराध में संलिप्तता दिखाने वाली वस्तुएं उसके पास से प्राप्त होने से अभियोजन पक्ष के गवाहों के सबूतों को पर्याप्त मजबूती मिलती है।
दोषी युवक अब 26 वर्ष का है। बोर्ड ने युवक को मजनूं का टीला स्थित सुधार गृह में तीन वर्ष की अवधि के लिए भेजा है। बोर्ड ने युवक की उस याचिका को भी अनुमति दी जिसमें उसने सजा को एक माह के लिए निलंबित करने का अनुरोध किया था ताकि वह फैसले के खिलाफ अपील दायर कर सके।
जेजेबी ने उत्तर प्रदेश प्राधिकार से बलात्कार पीड़िता को तीन लाख रुपए से अधिक मुआवजा देने के लिए कदम उठाने को कहा है। बोर्ड ने बचाव पक्ष के गवाहों द्वारा उसके समक्ष झूठी गवाही देने के लिए उनके खिलाफ मुकदमा चलाने का भी आदेश दिया। अभियोजन पक्ष के मुताबिक घटना पांच जनवरी 2009 की है।
महिला अपने दोस्त के साथ कार में सवार होकर एक मॉल से लौट रही थी जब उन्हें मोटरबाइक पर सवार कुछ युवकों ने जबरदस्ती रोका। पुलिस के मुताबिक युवक कार में सवार होकर उसे सुनसान जगह पर ले गए जहां 11 लोगों ने लड़की के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया। एक आरोपी की मुकदमे के दौरान मौत हो गई। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अभियोजन पक्ष की अपील दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है।
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