नई दिल्ली
नैशनल मेडिकल कमिशन बिल का विरोध कर रहे एम्स और सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों को स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने चर्चा के लिए बुलाया है। दोनों अस्पतालों के डॉक्टरों एक समूह ने बुधवार को एम्स से लेकर संसद तक मार्च का आयोजन किया था, जिसे प्रशासन ने आईएनए पर ही रोक दिया। डॉक्टरों ने हड़ताल की धमकी दी थी, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हें वार्ता के लिए बुलाया है।
नैशनल मेडिकल कमिशन बिल में मेडिकल कमिशन ऑफ इंडिया के विलय का प्रस्ताव है। जनवरी में नड्डा की ओर से राज्यसभा में पेश किए गए बिल में आयुर्वेद, नैचुरोपैथी, यूनानी और होम्योपैथी की प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को भी आधुनिक चिकित्सा पद्धति की प्रैक्टिस की अनुमति का प्रस्ताव है। इसके लिए उन्हें सिर्फ एक साल का ब्रिज कोर्स करना होगा।
इसके अलावा विधेयक में मेडिकल शिक्षा की व्यवस्था में सुधार को लेकर भी कई प्रस्ताव हैं। गौरतलब है कि बीते कुछ सालों में मेडिकल एजुकेशन में करप्शन को लेकर सवाल उठे हैं। इस बिल का विरोध कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि यह बिल अलोकतांत्रिक और मनमाना है।
नैशनल मेडिकल कमिशन बिल का विरोध कर रहे एम्स और सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों को स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने चर्चा के लिए बुलाया है। दोनों अस्पतालों के डॉक्टरों एक समूह ने बुधवार को एम्स से लेकर संसद तक मार्च का आयोजन किया था, जिसे प्रशासन ने आईएनए पर ही रोक दिया। डॉक्टरों ने हड़ताल की धमकी दी थी, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हें वार्ता के लिए बुलाया है।
नैशनल मेडिकल कमिशन बिल में मेडिकल कमिशन ऑफ इंडिया के विलय का प्रस्ताव है। जनवरी में नड्डा की ओर से राज्यसभा में पेश किए गए बिल में आयुर्वेद, नैचुरोपैथी, यूनानी और होम्योपैथी की प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को भी आधुनिक चिकित्सा पद्धति की प्रैक्टिस की अनुमति का प्रस्ताव है। इसके लिए उन्हें सिर्फ एक साल का ब्रिज कोर्स करना होगा।
इसके अलावा विधेयक में मेडिकल शिक्षा की व्यवस्था में सुधार को लेकर भी कई प्रस्ताव हैं। गौरतलब है कि बीते कुछ सालों में मेडिकल एजुकेशन में करप्शन को लेकर सवाल उठे हैं। इस बिल का विरोध कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि यह बिल अलोकतांत्रिक और मनमाना है।
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