नई दिल्ली
सीलिंग मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर मॉनिटरिंग कमिटी को भंग कर दिया जाए तो क्या एमसीडी ऐसे मामलों में कार्रवाई नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए से कहा है कि वह अदालत के सामने मास्टर प्लान पेश करे। अदालत ने इस मामले में दाखिल अर्जी पर सुनवाई के लिए 5 फरवरी की तारीख तय की है।
साउथ दिल्ली के छतरपुर इलाके में मार्बल की दुकानों पर मॉनिटरिंग कमिटी द्वारा की गई कार्रवाई के खिलाफ दुकानदारों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है जिस पर सुनवाई चल रही है। दुकानदारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया कि छतरपुर इलाके में जो भी दुकानें हैं उन सड़कों को जोनल प्लान में अथॉरिटी ने कमर्शल घोषित किया हुआ है। इन सड़कों पर होटल और अन्य शोरूम हैं। दुकानकारों का कहना है कि मॉनिटरिंग कमिटी ने इसे खेती की जमीन बताया है और इसी आधार पर इसे सील कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के सामने जोनल प्लान पेश किया गया। कोर्ट ने देखा और फिर कहा कि वह मामले में मास्टर प्लान भी देखेंगे और ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के सामने मास्टर प्लान पेश किया जाए। दुकानदारों की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी पेश हुए और उन्होंने कहा कि दुकानों को गलत तरीके से सील किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने तमाम सिविक बॉडी और मॉनिटरिंग कमिटी को अवैध निर्माण और गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दे रखा है। इस मामले में साउथ दिल्ली इलाके में मार्बल शो रूम व गोदाम के खिलाफ सीलिंग संबंधी कार्रवाई की गई थी। पिछली सुनवाई के दौरान 15 जनवरी को राजधानी में अवैध निर्माण से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एमसीडी, एलएनडीओ, एनडीएमसी और डीडीए द्वारा अपनी विधायी ड्यूटी न किया जाना दुखद है और पूरी तरह से ब्रेकडाउन की स्थिति हो गई है।
सीलिंग मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर मॉनिटरिंग कमिटी को भंग कर दिया जाए तो क्या एमसीडी ऐसे मामलों में कार्रवाई नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए से कहा है कि वह अदालत के सामने मास्टर प्लान पेश करे। अदालत ने इस मामले में दाखिल अर्जी पर सुनवाई के लिए 5 फरवरी की तारीख तय की है।
साउथ दिल्ली के छतरपुर इलाके में मार्बल की दुकानों पर मॉनिटरिंग कमिटी द्वारा की गई कार्रवाई के खिलाफ दुकानदारों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है जिस पर सुनवाई चल रही है। दुकानदारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया कि छतरपुर इलाके में जो भी दुकानें हैं उन सड़कों को जोनल प्लान में अथॉरिटी ने कमर्शल घोषित किया हुआ है। इन सड़कों पर होटल और अन्य शोरूम हैं। दुकानकारों का कहना है कि मॉनिटरिंग कमिटी ने इसे खेती की जमीन बताया है और इसी आधार पर इसे सील कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के सामने जोनल प्लान पेश किया गया। कोर्ट ने देखा और फिर कहा कि वह मामले में मास्टर प्लान भी देखेंगे और ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के सामने मास्टर प्लान पेश किया जाए। दुकानदारों की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी पेश हुए और उन्होंने कहा कि दुकानों को गलत तरीके से सील किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने तमाम सिविक बॉडी और मॉनिटरिंग कमिटी को अवैध निर्माण और गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दे रखा है। इस मामले में साउथ दिल्ली इलाके में मार्बल शो रूम व गोदाम के खिलाफ सीलिंग संबंधी कार्रवाई की गई थी। पिछली सुनवाई के दौरान 15 जनवरी को राजधानी में अवैध निर्माण से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एमसीडी, एलएनडीओ, एनडीएमसी और डीडीए द्वारा अपनी विधायी ड्यूटी न किया जाना दुखद है और पूरी तरह से ब्रेकडाउन की स्थिति हो गई है।
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