Friday, January 5, 2018

HC ने DU को फटकारा- वक्त बर्बाद क्यों किया?

नई दिल्ली
एक केस में हाइकोर्ट की डबल बेंच ने दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) प्रशासन को फटकार लगाते हुए याचिका खारिज कर दी। हाइकोर्ट ने कहा कि जब सिंगल बेंच अपना जजमेंट सुना चुकी है। डबल बेंच में अपील करने के लिए आपके पास तथ्य नहीं हैं, तो कोर्ट का समय क्यों बर्बाद किया। याचिका खारिज करने साथ ही हाइकोर्ट ने 25 हजार रुपये की पेनल्टी भी लगाई। कोर्ट ने कहा कि अगर डीयू प्रशासन पहले फैसले के तहत पीड़ित को भुगतान नहीं करता और पीड़ित आदेश के उल्लंघन की याचिका दायर करता है, तो जिम्मेदार अधिकारियों को जेल की हवा खानी पड़ेगी।

क्या है पूरा केस
कुमार राम कृष्णा (राजन) डीयू में असिस्टेंट प्रफेसर हैं। साल 2008 में उनकी मां की तबियत खराब होने पर उन्होंने तमाम सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराया। इलाज पर करीब 10 लाख रुपये खर्च हुआ, जो उन्होंने पहले अपनी जेब से दिया। इसकी भरपाई के लिए उन्होंने डीयू प्रशासन को मेडिकल बिल जमा कराया और खर्च मांगा, लेकिन प्रशासन ने यह कहकर भरपाई से मना कर दिया कि एक औरत अपने पति पर आश्रित होती है।

उनके पति की पेंशन 5200 रुपये प्रतिमाह है। राजन ने यह दलील देते हुए कि उनके पिता के पास कोई मेडिकल सुविधा नहीं है। उनकी मां गृहिणी है, डीयू प्रशासन के खिलाफ दिल्ली हाइकोर्ट में याचिका दायर की। हाइकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए सुनवाई शुरू की। लंबे समय तक केस चला। आखिर 28 अगस्त को हाइ कोर्ट की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया।

याचिकाकर्ता की दलील को सही ठहराते हुए अदालत ने कहा कि एक गृहिणी पति के अलावा बेटे पर भी आश्रित हो सकती है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि 5200 रुपये मेडिकल सुविधा के लिए काफी नहीं होते। ऐसे में डीयू प्रशासन को सालाना 9 प्रतिशत ब्याज समेत इलाज पर किए गए खर्च को 3 महीने के भीतर अदा करना होगा। इसके बाद अब डीयू ने डबल बैंच में अपील की। जब कोर्ट सुनवाई करने लगा तो डीयू के पास दोबारा याचिका के लिए कोई तथ्य ही नहीं था। जिस पर कोर्ट ने डीयू को कड़ी फटकार लगाते हुए याचिका खारिज कर दी और 25 हजार जुर्माना भी लगाया।

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