Tuesday, January 30, 2018

यूं 'फर्जी डिग्री' किंग बना पुलिस अफसर का बेटा

पंखुड़ी यादव, नई दिल्ली
वह 8वीं पास था और उतर गया MBBS तक की 'डिग्रियां' बांटने के धंधे में। वह जिंदगी में कुछ बनना चाहता था, चाहता था अपने पिता की तरह बड़ा नाम कमाना, जो पंजाब पुलिस में डेप्युटी सुपरिंटेंडेंट हैं। पापा की तरह नाम कमाने का ख्वाब था लेकिन पकड़ ली गलत राह। कानून के रखवाले पिता का बेटा होने के बावजूद बलविंदर सिंह बाजवा ने कानून के साथ खिलवाड़ करने का धंधा शुरू कर दिया और बन गया फर्जी डिग्री जारी करने वाली एजेंसी का मालिक।

पढ़ें : 8वीं फेल, बांट रहा था MBBS तक की 'डिग्रियां'

अपने इंजिनियर दोस्त धरमपाल सिंह के साथ मिलकर बलविंदर ने फर्जी डिग्रियों की एजेंसी शुरू कर दी, जिसे पंजाब एजुकेशन डिपार्टमेंट से अवॉर्ड मिला हुआ है। पंजाब में स्कूल खोलने के बाद दोनों का संपर्क पंकज अरोड़ा से हुआ, जो दिल्ली यूनिवर्सिटी से आर्ट्स ग्रैजुएट है। पंकज की पत्नी दिल्ली यूनिवर्सिटी में गेस्ट लेक्चरर हैं। बलविंदर और धरमपाल दिल्ली में एक ऑफिस खोलना चाहते थे. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को ठग कर ज्यादा कमाई की जा सके।

कैसे जारी करते थे फर्जी डिग्रियां
यह गैंग एक ही तरीके से काम करता था। दक्षिण भारतीय आवेदकों को यह गैंग उत्तर भारतीय सर्टिफिकेट और डिग्रियां देता और उत्तर भारतीय आवेदकों को दक्षिण भारतीय संस्थानों की। इसी तरह पूर्वी और पश्चिमी भारतीयों को डिग्रियां बांटी जातीं। यह गैंग यह सुनिश्चित करता था कि आवेदक डिग्री की पुष्टि के लिए यूनिवर्सिटी तक न जाए। ऐसा करने के लिए ये लोग वेबसाइट के जरिए कन्फर्मेशन जारी कर देते थे।

पुलिस ने बताया कि इनकी वेबसाइट्स इतने करीने से डिजाइन की गई हैं और इतनी पर्फेक्ट लगती हैं कि यह पता लगाना लगभग नामुमकिन है कि ये फर्जी हैं। यही वजह है कि इस गैंग का अब तक भंडाफोड़ नहीं हो सका था। पंकज अरोड़ा इतनी सफाई से इस गैंग के लिए काम करता था कि उसकी पत्नी को इसकी भनक तक नहीं थी। हालांकि, उसके अन्य परिजन जानते थे कि वह क्या करता है। उन्होंने उसे यह काम करने से रोकने की कोशिश भी की, लेकिन सफल नहीं हुए।
इस गैंग का चौथा मेंबर पवितर सिंह जालंधर का रहने वाला है और 12वीं पास है। वह गांव में एक स्कूल चलाता है। बलविंदर और धरमपाल से मिलने के बाद वह भी उनके धंधे में शामिल हो गया। पुलिस ने बताया कि दसवीं के सर्टिफिकेट के लिए यह गैंग 10 हजार रुपये लेता था, 12वीं के लिए 20,000 और LLB, MBBS, BEd आदि के लिए एक लाख रुपये से ज्यादा लेता था। फर्जी डिग्रियों के जरिए कमाए गए पैसे लग-अलग अकाउंट्स में रखे जाते थे।

50 हजार स्टूडेंट्स को ठगा
'एजुकेशन सोसायटी' नाम से चलने वाले इस रैकेट के देशभर में दफ्तर हैं और 40 एजेंट इसके लिए काम करते हैं। आरोप है कि इन एजेंटों ने 50 हजार से ज्यादा फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट्स जारी कीं। यह गैंग 30 एजुकेशन बोर्ड्स की 30 फर्जी वेबसाइट्स चलाता था। पुलिस ने जानकारी दी कि गैंग द्वारा जारी की गईं फर्जी डिग्रियों और सर्टिफिकेट्स के आधार पर हजारों लोगों को सरकारी व निजी नौकरी मिली हुई है।
एग्जाम नहीं होगा, पैसे दो और सर्टिफिकेट लो
राजस्थान के एक अखबार में ऐड देखकर एक शख्स पंकज अरोड़ा के पास पहुंचा। ऐड में लिखा था कि तय राशि देकर आपकों सर्टिफिकेट या मार्कशीट मिल सकती है। उसने और दोस्तों ने सोचा कि पैसे देने होंगे लेकिन एग्जाम देकर सर्टिफिकेट मिल जाएगा। अरोड़ा ने इन लोगों से 1,31,000 रुपये मांगे थे। कुछ समय बाद तय पते पर 10वीं की मार्कशीट्स, माइग्रेशन सर्टिफिकेट्स और ट्रांसफर सर्टिफिकेट्स पहुंच गए। ये दस्तावेज आंध्र प्रदेश बोर्ड के थे जिसके लिए इन लोगों ने कोई परीक्षा नहीं दी थी।

इन लोगों ने पुलिस को जानकारी दी और इसके बाद फर्जी डिग्रियां बांटने वाले गरोह का भंडाफोड़ हो गया।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Read more: यूं 'फर्जी डिग्री' किंग बना पुलिस अफसर का बेटा