नई दिल्ली
डोरस्टेप सर्विसेज को लेकर दिल्ली के डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया और एलजी अनिल बैजल के बीच वार-पलटवार का सिलसिला सा चल रहा है। अब सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा है कि यह सही है कि ऑनलाइन डिलिवरी से पिज्जा डाउनलोड नहीं हो सकता, लेकिन एक जीते-जागते इंसान को भी ऑनलाइन अपलोड करके सरकारी ऑफिस में नहीं पहुंचाया जा सकता। उन्होंने लिखा कि अब या तो आदमी सरकारी दफ्तर आए या फिर सरकार आदमी के घर जाए। अगर फिजिकल वेरिफिकेशन होगा तो इसमें से एक काम तो करना पड़ेगा।
पढ़ें: एलजी अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार से पूछा, क्या पिज्जा डाउनलोड होता है?
सिसोदिया ने एक और ट्वीट किया, 'मैंने एलजी साहब से अनुरोध किया है कि वह, मैं और मुख्यमंत्री जी, तीनों कुछ जन-संपर्क वाले सरकारी दफ्तरों में, बिना पूर्व सूचना के एक साथ चलें और वहां लाइन में लगे लोगों से बात करें। उनकी समस्याओं को समझें। तब इस डोर-स्टेप डिलिवरी सिस्टम के प्रस्ताव पर फैसला करेंगे।।'
बता दें कि डोरस्टेप सर्विसेज को एलजी की मंजूरी नहीं मिलने के बाद सिसोदिया ने कहा था कि अगर पिज्जा की घर में डिलिवरी हो सकती है तो लोगों की जरूरत के सर्टिफिकेट घर जाकर क्यों नहीं बनाए जा सकते? इसके जवाब में एलजी ने पूछा था कि क्या पिज्जा और ई-कॉमर्स उत्पादों को डाउनलोड किया जा सकता है? उन्होंने कहा था कि इन प्रॉडक्ट की डिलिवरी को डोर स्टेज सर्विसेज जैसा बताना सही नहीं है। एलजी की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि पिज्जा डिलिवरी और ई-कामर्स के साथ डोरस्टेप सर्विसेज की तुलना अनुचित है और दस्तावेजों के उलट पिज्जा डाउनलोड नहीं किया जा सकता। एलजी ने अपने बयान में कहा कि पिज्जा और तमाम ई-कॉमर्स प्रॉडक्ट्स को डाउनलोड करने की कोई तकनीक नहीं है लेकिन सरकार की तरफ से प्रस्तावित ज्यादातर सेवाओं को पहले से ही ऑनलाइन किया जा रहा है।
पढ़ें: जब पिज्जा घर आ सकता है तो सर्टिफिकेट क्यों नहीं : सिसोदिया
एलजी का कहना है कि मामले में उनके ऑफिस से देरी किए जाने की धारणा फैलाई जा रही है। सचाई यह है कि 18 दिसंबर 2017 को सीएम की ओर भेजी गई फाइल मिली थी। 26 दिसंबर को इसे फिर से विचार के लिए लौटा दिया गया, जबकि संबंधित विभाग ने पहले ही निविदा जारी करने का काम शुरू कर दिया था। एलजी ने यह भी साफ किया है कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा कि डिजिटलीकरण पर्याप्त है।
दूसरी तरफ दिल्ली सरकार ने कहा है कि डोरस्टेप डिलिवरी से लोगों का सरकारी दफ्तरों में जाना कम होगा, क्योंकि हर साल करीब 40 सर्विसेज के लिए 25 लाख लोग दफ्तरों के चक्कर काटते हैं। अगर पिज्जा डिलिवरी, एलपीजी डिलिवरी, क्रेडिट कार्ड इग्जेक्यूटिव सुरक्षा के लिए खतरा नहीं है तो फिर डोरस्टेप सिस्टम कैसे खतरा है?
डोरस्टेप सर्विसेज को लेकर दिल्ली के डेप्युटी सीएम मनीष सिसोदिया और एलजी अनिल बैजल के बीच वार-पलटवार का सिलसिला सा चल रहा है। अब सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा है कि यह सही है कि ऑनलाइन डिलिवरी से पिज्जा डाउनलोड नहीं हो सकता, लेकिन एक जीते-जागते इंसान को भी ऑनलाइन अपलोड करके सरकारी ऑफिस में नहीं पहुंचाया जा सकता। उन्होंने लिखा कि अब या तो आदमी सरकारी दफ्तर आए या फिर सरकार आदमी के घर जाए। अगर फिजिकल वेरिफिकेशन होगा तो इसमें से एक काम तो करना पड़ेगा।
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सिसोदिया ने एक और ट्वीट किया, 'मैंने एलजी साहब से अनुरोध किया है कि वह, मैं और मुख्यमंत्री जी, तीनों कुछ जन-संपर्क वाले सरकारी दफ्तरों में, बिना पूर्व सूचना के एक साथ चलें और वहां लाइन में लगे लोगों से बात करें। उनकी समस्याओं को समझें। तब इस डोर-स्टेप डिलिवरी सिस्टम के प्रस्ताव पर फैसला करेंगे।।'
बता दें कि डोरस्टेप सर्विसेज को एलजी की मंजूरी नहीं मिलने के बाद सिसोदिया ने कहा था कि अगर पिज्जा की घर में डिलिवरी हो सकती है तो लोगों की जरूरत के सर्टिफिकेट घर जाकर क्यों नहीं बनाए जा सकते? इसके जवाब में एलजी ने पूछा था कि क्या पिज्जा और ई-कॉमर्स उत्पादों को डाउनलोड किया जा सकता है? उन्होंने कहा था कि इन प्रॉडक्ट की डिलिवरी को डोर स्टेज सर्विसेज जैसा बताना सही नहीं है। एलजी की तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि पिज्जा डिलिवरी और ई-कामर्स के साथ डोरस्टेप सर्विसेज की तुलना अनुचित है और दस्तावेजों के उलट पिज्जा डाउनलोड नहीं किया जा सकता। एलजी ने अपने बयान में कहा कि पिज्जा और तमाम ई-कॉमर्स प्रॉडक्ट्स को डाउनलोड करने की कोई तकनीक नहीं है लेकिन सरकार की तरफ से प्रस्तावित ज्यादातर सेवाओं को पहले से ही ऑनलाइन किया जा रहा है।
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एलजी का कहना है कि मामले में उनके ऑफिस से देरी किए जाने की धारणा फैलाई जा रही है। सचाई यह है कि 18 दिसंबर 2017 को सीएम की ओर भेजी गई फाइल मिली थी। 26 दिसंबर को इसे फिर से विचार के लिए लौटा दिया गया, जबकि संबंधित विभाग ने पहले ही निविदा जारी करने का काम शुरू कर दिया था। एलजी ने यह भी साफ किया है कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा कि डिजिटलीकरण पर्याप्त है।
दूसरी तरफ दिल्ली सरकार ने कहा है कि डोरस्टेप डिलिवरी से लोगों का सरकारी दफ्तरों में जाना कम होगा, क्योंकि हर साल करीब 40 सर्विसेज के लिए 25 लाख लोग दफ्तरों के चक्कर काटते हैं। अगर पिज्जा डिलिवरी, एलपीजी डिलिवरी, क्रेडिट कार्ड इग्जेक्यूटिव सुरक्षा के लिए खतरा नहीं है तो फिर डोरस्टेप सिस्टम कैसे खतरा है?
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