Friday, December 1, 2017

बच्चे को बताया मरा, पैकेट में हिलने लगा

नई दिल्ली
मैक्स अस्पताल में जिंदा नवजात को मृत घोषित करने के मामले में शुक्रवार को परिजनों ने अस्पताल के सामने जमकर हंगामा किया। परिजनों का कहना है कि जब तक आरोपी डॉक्टर की गिरफ्तारी और अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है, उनका विरोध जारी रहेगा। बच्चे के नाना प्रवीण ने बताया कि जिंदा बच्चे को मरा हुआ बताकर पैक कर दिया गया था। अंतिम संस्कार के लिए ले जाते समय पैकेट के अंदर से हलचल हुई जिसमें उसके जिंदा होने की बात सामने आई। आनन-फानन में बच्चे को पीतमपुरा के एक अस्पताल में भर्ती कराया।

बच्चे के दादा कैलाश का कहना है कि अस्पताल और डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। डॉक्टर भगवान का रूप होता है। इस केस के बाद उनका डॉक्टरों पर से विश्वास खत्म हो गया है। लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों की गिरफ्तारी और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

अस्पताल के सामने सैकड़ों की संख्या में लोगों ने अस्पताल और डॉक्टरों के खिलाफ नारे लगाए। अस्पताल को बंद कराने और मान्यता रद्द करने के लिए भी दिल्ली सरकार से मांग की गई। मौके पर मौजूद महिलाओं ने भी अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही करने के लिए सख्त कार्रवाई की मांग की। पीड़ित परिवार का आरोप है कि मीडिया में मामला आने के बाद अस्पताल प्रशासन की ओर से पैसा लेकर मामला रफा-दफा करने के लिए कई बार कहा गया। उनका कहना है कि पीड़ित परिवार को इंसाफ चाहिए। जब तक डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती, उनका विरोध जारी रहेगा।

चौंकाने वाली यह घटना शालीमार बाग स्थित मैक्स हॉस्पिटल में हुई है जहां समय से पहले पैदा हुए दो जुड़वां बच्चों को कथित तौर पर मृत घोषित कर दिया और पॉलिथीन बैग में उन्हें उनके अभिभावकों को सौंप दिया। परिजनों के मुताबिक जब शिशुओं को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया रहा था, उस दौरान पता लगा कि उनमें से एक जीवित है। जुड़वां शिशुओं का मैक्स हॉस्पिटल में गुरुवार सुबह जन्म हुआ था। महिला को पश्चिम विहार के एक नर्सिंग होम से यहां अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिवार ने पुलिस से संपर्क कर शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद अस्पताल के खिलाफ केस दर्ज किया गया।

इधर, मैक्स हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि 22 हफ्ते की एक प्रीमेच्योर डिलीवरी का मामला है। आरोप गंभीर है, इसलिए हमने तुरंत जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच में देखा जाएगा कि डॉक्टर ने बच्चे की कितने समय तक जांच की। जांच में क्या-क्या किया गया। हार्ट बीट कितनी देर तक चेक की गई। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि यह एक बहुत ही रेयर मामला लग रहा है। हम परिवार के साथ हैं, उन्हें जिस प्रकार की मदद की जररूत है तो हम वह पूरा करेंगे। प्रशासन ने कहा कि डिटेल चेक की जा रही हैं।

पहले भी हुआ है ऐसा
ऐसा ही एक मामला जून में सफदरजंग अस्पताल में आया था। बदरपुर में रहने वाली शांति को गंभीर हालत में सफदरजंग अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञ विभाग में भर्ती कराया गया था। शांति को 5 महीने का गर्भ था। ऑपरेशन कर उनकी डिलिवरी कराई गई थी। उन्होंने एक लड़के को जन्म दिया। नवजात का वजन 460 ग्राम था और बच्चे में कोई हलचल नहीं थी। मौजूद डॉक्टर और नर्स ने नवजात को मृत बताया और पैकेट में बंद कर पिता को सौंप दिया था। बाद में बच्चा जिंदा निकला। इस मामले में भी जांच हुई थी, लेकिन कुछ नहीं निकला। कुछ दिन के इलाज के बाद बच्चे की मौत हो गई थी।

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