Saturday, December 2, 2017

बैन को धुएं में उड़ा रहे हुक्का बार मालिक: सर्वे

नई दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी में हुक्के के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध है, लेकिन यहां रहने वाले युवा और हुक्का बार मालिक इस प्रतिबंध को धुएं में उड़ा रहे हैं। भारत के अग्रणी उपभोक्ता संगठनों में से एक 'कन्ज़्यूमर वॉइस' द्वारा राजधानी में स्थित हुक्का बारों पर किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। यह आलम तब है, जब सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन पर प्रतिबंध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण के विनियमन) अधिनियम 2003 (COTPA) के अंतर्गत 23 मई, 2017 को जारी भारत सरकार की अधिसूचना के माध्यम से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने धूम्रपान क्षेत्रों में भी हुक्के के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया था।

COTPA के अलावा कई राज्य सरकारों ने भी भारतीय दंड संहिता की धारा 268 (सार्वजनिक विघ्न उत्पन्न करना) और 278 (वायु को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनाना) के अंतर्गत हुक्का बार मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की थी। यही नहीं, हाल ही में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने दिल्ली पुलिस और नगर निगमों से हुक्का बार वाले रेस्ट्रॉन्ट्स के लाइसेंस तत्काल निरस्त करने के लिए कहा था। लेकिन MART द्वारा कंज्यूमर वॉइस के साथ मिलकर अक्टूबर 2017 में किए अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में धरातल पर स्थितियां बदली नहीं हैं और हुक्का बार प्रतिबंध को धुएं में उड़ा रहे हैं।

शोध टीम ने दिल्ली में 40 हुक्का बारों का दौरा किया, जिनकी पहचान ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर और डिपस्टिक सर्वे के माध्यम से की गई थी। वॉइस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) असीम सान्याल ने कहा, 'हम दिल्ली में हुक्का बारों पर प्रतिबंध के सरकार के निर्णय का स्वागत करते हैं, किंतु हमारा सर्वे दर्शाता है कि हुक्का बारों का संचालन प्रतिबंधों के बावजूद यथावत जारी है। बारों और पबों में सहायक वस्तुओं के रूप में हुक्के का उपयोग सामान्य रूप से होता देखा गया है और इससे क्षेत्र की युवा वयस्क जनसंख्या को निशाना बनाया जा रहा है। यह भी देखा गया है कि ये बार और पब छात्रों के लिए आसानी से सुलभ हैं। इसे रोकने की आवश्यकता है।'

हुक्का बार सर्वे के मुताबिक कुछ निश्चित हुक्का बार शैक्षिक संस्थाओं के निकट तथा ऐसे क्षेत्रों में भी स्थित हैं, जहां छात्रों, युवाओं की उपस्थिति है, जैसे नॉर्थ कैंपस। शैक्षिक संस्थानों के पास स्थित बारों में हुक्के के दाम महंगे स्थानों के हुक्का बारों की तुलना में काफी कम थे। इनमें से किसी भी हुक्का बार में ग्राहकों की उम्र की जांच करने वाले कर्मचारी नहीं थे।

सर्वे में शामिल किए बारों में से 17 प्रतिशत में बच्चे या अवयस्क भी हुक्का पीते देखे गए। इन बारों में 13 वर्ष से ऊपर के बच्चे हुक्का पीते देखे गए। इन बारों में बच्चों और युवाओं के आने का समय ऐसा था, जब वे या तो स्कूल छोड़कर आए होंगे या स्कूल/कॉलेज छूटने के फौरन बाद यहां आए होंगे।

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