नई दिल्ली
राजधानी के स्कूल नर्सरी ऐडमिशन के फॉर्म में अजब-गजब सवाल पूछे जा रहे हैं। स्कूल फॉर्म में धर्म, जाति, इनकम पूछने के अलावा कई स्कूल घर अपना है या किराए का, यह सवाल भी पूछ रहे हैं। दरियागंज स्थित हैपी स्कूल ने अपने फॉर्म में पूछा है कि मकान किराए का है या अपना। इसके लिए स्कूल 20 पॉइंट दे रहा है। इधर, दिल्ली सरकार का कहना है कि इन पर जल्द ही ऐक्शन लिया जाएगा। शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने कहा कि जल्द ही स्कूलों की वेबसाइट और शिकायतों की चेकिंग की जाएगी। गुरुवार को भी कई और स्कूलों के अजीब क्राइटेरिया की शिकायत पैरंट्स ने की थीं।
नर्सरी एक्सपर्ट सुमित वोहरा कहते हैं, स्कूलों ने बच्चों की स्क्रीनिंग का यह अलग तरीका निकाला है। अगर उनसे पूछा जाएगा तो वो कहेंगे हम सिर्फ अपने रिकॉर्ड के लिए यह पूछ रहे हैं, ऐडमिशन से इसका लेना देना नहीं। रोहिणी स्थित डी-इंडियन पब्लिक स्कूल और सचदेवा पब्लिक स्कूल ने जाति के बारे में पूछा है। शिक्षा निदेशालय कहता है कि इस तरह से बच्चों की कैटिगरी और धर्म के बारे में पूछा नहीं जा सकता है।
साथ ही, गाइडलाइंस में कहा गया है कि ईडब्ल्यूएस/डीजी कैटिगरी के लिए मैनुअल फॉर्म नहीं दिया सकता है। जब इस कैटिगरी के ऐडमिशन ऑनलाइन होते हैं और अभी शुरू ही नहीं हुए हैं तो फॉर्म में इनकम क्यों पूछी जा रही है। कुछ स्कूल जैन समाज के नाम पर नॉन वेज, एल्कोहल की बात पूछ रहे हैं, तो कुछ एक घर के दो बच्चों को ऐडमिशन नहीं दे रहे हैं।
राजधानी के स्कूल नर्सरी ऐडमिशन के फॉर्म में अजब-गजब सवाल पूछे जा रहे हैं। स्कूल फॉर्म में धर्म, जाति, इनकम पूछने के अलावा कई स्कूल घर अपना है या किराए का, यह सवाल भी पूछ रहे हैं। दरियागंज स्थित हैपी स्कूल ने अपने फॉर्म में पूछा है कि मकान किराए का है या अपना। इसके लिए स्कूल 20 पॉइंट दे रहा है। इधर, दिल्ली सरकार का कहना है कि इन पर जल्द ही ऐक्शन लिया जाएगा। शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने कहा कि जल्द ही स्कूलों की वेबसाइट और शिकायतों की चेकिंग की जाएगी। गुरुवार को भी कई और स्कूलों के अजीब क्राइटेरिया की शिकायत पैरंट्स ने की थीं।
नर्सरी एक्सपर्ट सुमित वोहरा कहते हैं, स्कूलों ने बच्चों की स्क्रीनिंग का यह अलग तरीका निकाला है। अगर उनसे पूछा जाएगा तो वो कहेंगे हम सिर्फ अपने रिकॉर्ड के लिए यह पूछ रहे हैं, ऐडमिशन से इसका लेना देना नहीं। रोहिणी स्थित डी-इंडियन पब्लिक स्कूल और सचदेवा पब्लिक स्कूल ने जाति के बारे में पूछा है। शिक्षा निदेशालय कहता है कि इस तरह से बच्चों की कैटिगरी और धर्म के बारे में पूछा नहीं जा सकता है।
साथ ही, गाइडलाइंस में कहा गया है कि ईडब्ल्यूएस/डीजी कैटिगरी के लिए मैनुअल फॉर्म नहीं दिया सकता है। जब इस कैटिगरी के ऐडमिशन ऑनलाइन होते हैं और अभी शुरू ही नहीं हुए हैं तो फॉर्म में इनकम क्यों पूछी जा रही है। कुछ स्कूल जैन समाज के नाम पर नॉन वेज, एल्कोहल की बात पूछ रहे हैं, तो कुछ एक घर के दो बच्चों को ऐडमिशन नहीं दे रहे हैं।
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