Thursday, November 30, 2017

दहेज उत्पीड़न: कोर्ट का मामला रद्द करने से इनकार

नई दिल्ली
दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा के मामले में एक महिला के पति, उसके सास - ससुर और ननद के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई रद्द करने से इनकार करते हुए कहा है कि यह प्रदर्शित करने के लिए विशेष दृष्टांत हैं कि कम दहेज लाने की वजह से उससे बदसलूकी की गई और पीटा गया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव जैन ने महिला के पति, उसके सास - ससुर और ननद की याचिका खारिज कर दी। याचिका में निचली अदालत ने सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए के तहत आरोप तय किए थे जिसे चुनौती दी गई थी। न्यायाधीश ने कहा कि शिकायत और रिकार्ड में उपलब्ध साक्ष्य के मुताबिक उनका मानना है कि सभी आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया आईपीसी की धारा 498 ए के साथ धारा 34 (साझा इरादा रखने) का मामला बनता है।

अदालत ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है जिससे यह संकेत मिलता हो कि मजिस्ट्रेट अदालत का आदेश नैसर्गिक न्याय के खिलाफ पारित किया गया। साल 2013 में जब सुलह की सारी कोशिशें नाकाम हो गईं तब महिला ने पति और अपने ससुराल कभी नहीं लौटने का फैसला किया तथा उनके खिलाफ पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई। महिला ने आरोप लगाया कि 12 अगस्त 2013 को उसके पति और ससुराल वालों ने दो लाख रुपये की मांग की। उसके इनकार करने पर उन्होंने उस पर लात घूंसों से वार किया और एक दुपट्टा से उसका गला घोंटने की कोशिश की थी।

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