नई दिल्ली
अनुसूचित जाति/जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ का दो दिवसीय वार्षिक अधिवेशन रविवार को मावलंकर हॉल में संपन्न हुआ। सम्मेलन के दूसरे दिन परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज ने 27 नवंबर को दलित महारैली के आयोजन की घोषणा की। डॉ. राज के नेतृत्व में हर वर्ष रामलीला मैदान में महारैली का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस रैली में पूरे देश से लगभग एक लाख दलित भाग लेंगे।
उन्होंने सोशल मीडिया के उपयोग पर जोर देते हुए कहा कि यदि दलित और पिछड़े स्वयं को आगे नहीं बढ़ाएंगे तो वह पिछड़ते चले जाएंगे। सोशल मीडिया ही वह साधन है, जिसके माध्यम से दलितों पर कहीं भी हो रहे अत्याचार की जानकारी सबके सामने पहुंच पाती है। आज सोशल मीडिया की पहुंच टीवी और अखबार से भी ज्यादा हो गई है। उन्होंने कहा कि आज ट्विटर, फेसबुक और वाट्सएप जैसे कई सस्ते साधन हैं, जिनके माध्यम से अत्याचार करने वालों का पदार्फाश हो जाता है। आज के दौर में सोशल मीडिया किसी संजीवनी से कम नहीं है।
डॉ. राज ने कहा कि अभी दो दिन पहले गुजरात के गांधीनगर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर एक दलित युवक को सिर्फ स्टाइलिश मूंछ रखने के कारण ऊंची जाति वालों ने बुरी तरह पीटा था। उन्होंने कहा कि हर समाज सामाजिक रूप से अपनी प्रतिष्ठा व सम्मान चाहता है। पूर्व में सामाजिक कानून व उनकी मान्यता होने के कारण अनुसूचित समाज के लोगों के साथ भेदभाव हुआ, लेकिन देश की आजादी व संविधान निर्माण के बाद समाज के लोगों को उनका हक दिलाने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई। उन्हें संवैधानिक अधिकार दिया गया।
दो दिवसीय सम्मलेन में पूरे देश से लगभग 1 हजार प्रतिनिधि शामिल हुए और सभी ने शपथ ली कि वे जातिवाद को खत्म करने में डॉ. उदित राज का सहयोग करेंगे और विभिन्न क्षेत्रों में दलित समाज को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। कार्यक्रम का संचालन परिसंघ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष संजय राज और दिल्ली परिसंघ के अध्यक्ष परमेंद्र ने किया।
अनुसूचित जाति/जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ का दो दिवसीय वार्षिक अधिवेशन रविवार को मावलंकर हॉल में संपन्न हुआ। सम्मेलन के दूसरे दिन परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज ने 27 नवंबर को दलित महारैली के आयोजन की घोषणा की। डॉ. राज के नेतृत्व में हर वर्ष रामलीला मैदान में महारैली का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस रैली में पूरे देश से लगभग एक लाख दलित भाग लेंगे।
उन्होंने सोशल मीडिया के उपयोग पर जोर देते हुए कहा कि यदि दलित और पिछड़े स्वयं को आगे नहीं बढ़ाएंगे तो वह पिछड़ते चले जाएंगे। सोशल मीडिया ही वह साधन है, जिसके माध्यम से दलितों पर कहीं भी हो रहे अत्याचार की जानकारी सबके सामने पहुंच पाती है। आज सोशल मीडिया की पहुंच टीवी और अखबार से भी ज्यादा हो गई है। उन्होंने कहा कि आज ट्विटर, फेसबुक और वाट्सएप जैसे कई सस्ते साधन हैं, जिनके माध्यम से अत्याचार करने वालों का पदार्फाश हो जाता है। आज के दौर में सोशल मीडिया किसी संजीवनी से कम नहीं है।
डॉ. राज ने कहा कि अभी दो दिन पहले गुजरात के गांधीनगर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर एक दलित युवक को सिर्फ स्टाइलिश मूंछ रखने के कारण ऊंची जाति वालों ने बुरी तरह पीटा था। उन्होंने कहा कि हर समाज सामाजिक रूप से अपनी प्रतिष्ठा व सम्मान चाहता है। पूर्व में सामाजिक कानून व उनकी मान्यता होने के कारण अनुसूचित समाज के लोगों के साथ भेदभाव हुआ, लेकिन देश की आजादी व संविधान निर्माण के बाद समाज के लोगों को उनका हक दिलाने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई। उन्हें संवैधानिक अधिकार दिया गया।
दो दिवसीय सम्मलेन में पूरे देश से लगभग 1 हजार प्रतिनिधि शामिल हुए और सभी ने शपथ ली कि वे जातिवाद को खत्म करने में डॉ. उदित राज का सहयोग करेंगे और विभिन्न क्षेत्रों में दलित समाज को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे। कार्यक्रम का संचालन परिसंघ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष संजय राज और दिल्ली परिसंघ के अध्यक्ष परमेंद्र ने किया।
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