नई दिल्ली
खुद को CBI ऑफिसर बताकर फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) में तगड़ी 'सेटिंग' बताते। जो उनसे 'प्रभावित' हो जाता, उसकी FCI में सरकारी नौकरी लगवाने का झांसा देते। शिकार फंसने पर बाकायदा FCI का सलेक्शन लैटर थमाते, फिर ट्रेनिंग व इंटरव्यू के बहाने दूसरे शहरों में ठहराते, ताकि शिकार का विश्वास गहरा हो जाए। उस बीच लाखों रुपये ऐंठ लेते। इस तरह से तमाम 'भोले-भाले' बेरोजगारों से करोड़ों की ठगी कर चुके एक गैंग को विवेक विहार पुलिस ने अरेस्ट किया है।
डीसीपी नूपुर प्रसाद ने बताया कि इस जॉब रैकेट के बारे में एक विक्टिम से शिकायत मिली, जिसके बिनाह पर पुलिस टीम आरोपियों के पीछे लगी थी। कड़ी-दर-कड़ी पूरे गैंग का पता लगाया गया। चार युवकों को अरेस्ट किया है। उनमें राघबेंद्र और अंकित चचेरे भाई हैं। दोनों सीबीआई अफसर बनकर घूमते। राघबेंद्र किंगपिन है। उससे सीबीआई का फर्जी आई-कार्ड भी मिला है। दो अन्य आरोपी अजीत और ज्ञानेंद्र हैं, जो नकली दस्तावेज बनाने में माहिर हैं। उनके पास से बड़ी संख्या में सलेक्शन और अपॉइंटमेंट लेटर मिले हैं, जो FCI के नाम से हैं। साथ ही उन्हें तैयार करने वाले कंप्यूटर, स्कैनर, प्रिंटर आदि भी जब्त किए गए हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपियों से करीब 50 से ज्यादा सिलेक्शन लेटर मिले हैं, जो अलग-अलग नाम से हैं। जाहिर होता है कि इस गैंग ने FCI में नौकरी लगवाने के नाम पर बड़ी संख्या में लोगों को ठगा है। इनका शिकार बन चुके एक शख्स ने विवेक विहार थाने में शिकायत दी थी। उसने पुलिस को बताया कि उन्हें मुख्य आरोपी सीबीआई ऑफिसर बनकर मिला। उसने FCI ने अपने अच्छे लिंक बताए। बोला, वहां जॉब निकलती रहती हैं, कुछ लाख रुपयों में उसकी नौकरी लगवा देगा। इस तरह 3.50 लाख रुपये अडवांस लिए। फिर सलेक्शन लैटर दे दिया।
उसके बाद ट्रैनिंग और इंटरव्यू के बहाने लखनऊ व उन्नाव के होटलों में ठहराया। होटल से ही उसके सिग्नेचर ले जाते। बहाना ये बनाते कि उसकी जगह ट्रैनिंग कोई दूसरा कर रहा है। उसी दौरान रकम ऐंठते रहते। उस शख्स से करीब 8 लाख रुपये वसूल लिए। उसने शक होने पर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने उसे आरोपियों से संपर्क बनाए रहने को कहा, उसके सहारे ही पूरे गैंग का पर्दाफाश किया। इस धंधे का किंगपिन राघबेंद्र ऐशो-आराम से भरी लाइफ-स्टाइल का आदी है, वह खुद अलग-अलग शहरों के बड़े होटल्स में ठहरता था।
खुद को CBI ऑफिसर बताकर फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) में तगड़ी 'सेटिंग' बताते। जो उनसे 'प्रभावित' हो जाता, उसकी FCI में सरकारी नौकरी लगवाने का झांसा देते। शिकार फंसने पर बाकायदा FCI का सलेक्शन लैटर थमाते, फिर ट्रेनिंग व इंटरव्यू के बहाने दूसरे शहरों में ठहराते, ताकि शिकार का विश्वास गहरा हो जाए। उस बीच लाखों रुपये ऐंठ लेते। इस तरह से तमाम 'भोले-भाले' बेरोजगारों से करोड़ों की ठगी कर चुके एक गैंग को विवेक विहार पुलिस ने अरेस्ट किया है।
डीसीपी नूपुर प्रसाद ने बताया कि इस जॉब रैकेट के बारे में एक विक्टिम से शिकायत मिली, जिसके बिनाह पर पुलिस टीम आरोपियों के पीछे लगी थी। कड़ी-दर-कड़ी पूरे गैंग का पता लगाया गया। चार युवकों को अरेस्ट किया है। उनमें राघबेंद्र और अंकित चचेरे भाई हैं। दोनों सीबीआई अफसर बनकर घूमते। राघबेंद्र किंगपिन है। उससे सीबीआई का फर्जी आई-कार्ड भी मिला है। दो अन्य आरोपी अजीत और ज्ञानेंद्र हैं, जो नकली दस्तावेज बनाने में माहिर हैं। उनके पास से बड़ी संख्या में सलेक्शन और अपॉइंटमेंट लेटर मिले हैं, जो FCI के नाम से हैं। साथ ही उन्हें तैयार करने वाले कंप्यूटर, स्कैनर, प्रिंटर आदि भी जब्त किए गए हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपियों से करीब 50 से ज्यादा सिलेक्शन लेटर मिले हैं, जो अलग-अलग नाम से हैं। जाहिर होता है कि इस गैंग ने FCI में नौकरी लगवाने के नाम पर बड़ी संख्या में लोगों को ठगा है। इनका शिकार बन चुके एक शख्स ने विवेक विहार थाने में शिकायत दी थी। उसने पुलिस को बताया कि उन्हें मुख्य आरोपी सीबीआई ऑफिसर बनकर मिला। उसने FCI ने अपने अच्छे लिंक बताए। बोला, वहां जॉब निकलती रहती हैं, कुछ लाख रुपयों में उसकी नौकरी लगवा देगा। इस तरह 3.50 लाख रुपये अडवांस लिए। फिर सलेक्शन लैटर दे दिया।
उसके बाद ट्रैनिंग और इंटरव्यू के बहाने लखनऊ व उन्नाव के होटलों में ठहराया। होटल से ही उसके सिग्नेचर ले जाते। बहाना ये बनाते कि उसकी जगह ट्रैनिंग कोई दूसरा कर रहा है। उसी दौरान रकम ऐंठते रहते। उस शख्स से करीब 8 लाख रुपये वसूल लिए। उसने शक होने पर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने उसे आरोपियों से संपर्क बनाए रहने को कहा, उसके सहारे ही पूरे गैंग का पर्दाफाश किया। इस धंधे का किंगपिन राघबेंद्र ऐशो-आराम से भरी लाइफ-स्टाइल का आदी है, वह खुद अलग-अलग शहरों के बड़े होटल्स में ठहरता था।
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