नई दिल्ली
आईजीआई एयरपोर्ट के आसपास ड्रोन उड़ने की समस्या का समाधान निकालने के लिए दिल्ली पुलिस से लेकर सिविल एविएशन और होम मिनिस्ट्री जुटी हुई हैं। हालांकि, अब तक इसका कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। इस काम के लिए नीदरलैंड में बाज को ट्रेंड किया जाता है। आईजीआई एयरपोर्ट पर भी ड्रोन की समस्या से निपटने के लिए बाज की मदद ली जा सकती है। बाज की मदद लेने से पहले एयरपोर्ट पर सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा करना ठीक रहेगा या नहीं, इस पर भी विचार किया जा रहा है।
एयरपोर्ट से जुड़ी सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों ने बताया कि इस साल दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास जनवरी से अबतक उड़ती हुई चीजें दिखाई देने की 47 घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें 12 ड्रोन जैसी चीजें थीं। 12 बड़े गुब्बारे, 18 कैंडल लाइट और 5 बड़ी पतंगों ने भी कई हवाई जहाजों का रास्ता रोकने की कोशिशें की हैं। एक हफ्ते पहले सुबह और शाम 2 बार द्वारका साइड में दिखाई दिए ड्रोन ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी थी।
यह पहली बार हुआ जब शाम के वक्त दिखाई दिए ड्रोन की वजह से आईजीआई एयरपोर्ट के तीनों रनवे को 45 मिनट तक बंद करना पड़ा था। इस दौरान न तो किसी फ्लाइट का टेक ऑफ कराया गया और न ही किसी फ्लाइट की लैंडिंग। 20 से अधिक फ्लाइट्स को इस दौरान हवा में ही इधर-उधर घुमते रहने के निर्देश दिए गए थे। यह आदेश उस वक्त तक के लिए दिए गए जब तक कि दिल्ली एयरपोर्ट का एयर स्पेस सुरक्षित घोषित नहीं किया जाता। इस घटना के बाद एयरपोर्ट पर ड्रोन जैसे ऑब्जेक्ट की समस्या को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सुरक्षा एजेंसियां विभिन्न उपायों पर विचार करने लगी हैं।
सीआईएसएफ के एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी तरह के अजीबोगरीब उड़ने वाली चीजों को गोली मारने के आदेश पहले ही हैं। इसमें चाहे ड्रोन हो या फिर इस तरह का कोई दूसरी चीजें। पिछले हफ्ते दिखाई दिए ड्रोन एयरपोर्ट से दूर थे। ऐसे में उन्हें गोली नहीं मारी गई। आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस उन ड्रोन के बारे में सुराग लगाने की कोशिश कर रही है। अब तक उनके हाथ इस बारे में कुछ नहीं लगा है।
अधिकारियों ने बताया कि नीदरलैंड में बाज को इस तरह से ट्रेंड किया जाता है कि वह उड़ते ड्रोन को पकड़ लेता है। इसे यहां भी आजमाया जा सकता है। इसके अलावा एयरपोर्ट के एक निश्चित एरिया में स्पेशल फ्रीक्वेंसी वाले जैमर भी लगाए जा सकते हैं, जो इस तरह के ड्रोन को उस एरिया में उड़ने ही नहीं देंगे। जैसे ही ड्रोन उस इलाके को टच करेगा उसका रिमोट से कॉन्टैक्ट टूट जाएगा और वह नीचे गिर पड़ेगा।
इसी तरह की एक ऐंटी-ड्रोन गन भी इस्तेमाल की जाती है। इसे पहली बार 15 अगस्त को इस दफा लाल किला पर इस्तेमाल किया गया। इसमें अगर कोई ड्रोन डेंजर जोन में घुसता है तो उसकी फ्रीक्वेंसी को इस गन से कट कर दिया जाता है। इन दोनों तकनीकों का इस्तेमाल करने से यह भी डर है कि कहीं इसका एयर ट्रैफिक पर कोई नुकसान न हो।
आईजीआई एयरपोर्ट के आसपास ड्रोन उड़ने की समस्या का समाधान निकालने के लिए दिल्ली पुलिस से लेकर सिविल एविएशन और होम मिनिस्ट्री जुटी हुई हैं। हालांकि, अब तक इसका कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। इस काम के लिए नीदरलैंड में बाज को ट्रेंड किया जाता है। आईजीआई एयरपोर्ट पर भी ड्रोन की समस्या से निपटने के लिए बाज की मदद ली जा सकती है। बाज की मदद लेने से पहले एयरपोर्ट पर सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा करना ठीक रहेगा या नहीं, इस पर भी विचार किया जा रहा है।
एयरपोर्ट से जुड़ी सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों ने बताया कि इस साल दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास जनवरी से अबतक उड़ती हुई चीजें दिखाई देने की 47 घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें 12 ड्रोन जैसी चीजें थीं। 12 बड़े गुब्बारे, 18 कैंडल लाइट और 5 बड़ी पतंगों ने भी कई हवाई जहाजों का रास्ता रोकने की कोशिशें की हैं। एक हफ्ते पहले सुबह और शाम 2 बार द्वारका साइड में दिखाई दिए ड्रोन ने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी थी।
यह पहली बार हुआ जब शाम के वक्त दिखाई दिए ड्रोन की वजह से आईजीआई एयरपोर्ट के तीनों रनवे को 45 मिनट तक बंद करना पड़ा था। इस दौरान न तो किसी फ्लाइट का टेक ऑफ कराया गया और न ही किसी फ्लाइट की लैंडिंग। 20 से अधिक फ्लाइट्स को इस दौरान हवा में ही इधर-उधर घुमते रहने के निर्देश दिए गए थे। यह आदेश उस वक्त तक के लिए दिए गए जब तक कि दिल्ली एयरपोर्ट का एयर स्पेस सुरक्षित घोषित नहीं किया जाता। इस घटना के बाद एयरपोर्ट पर ड्रोन जैसे ऑब्जेक्ट की समस्या को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सुरक्षा एजेंसियां विभिन्न उपायों पर विचार करने लगी हैं।
सीआईएसएफ के एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी तरह के अजीबोगरीब उड़ने वाली चीजों को गोली मारने के आदेश पहले ही हैं। इसमें चाहे ड्रोन हो या फिर इस तरह का कोई दूसरी चीजें। पिछले हफ्ते दिखाई दिए ड्रोन एयरपोर्ट से दूर थे। ऐसे में उन्हें गोली नहीं मारी गई। आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस उन ड्रोन के बारे में सुराग लगाने की कोशिश कर रही है। अब तक उनके हाथ इस बारे में कुछ नहीं लगा है।
अधिकारियों ने बताया कि नीदरलैंड में बाज को इस तरह से ट्रेंड किया जाता है कि वह उड़ते ड्रोन को पकड़ लेता है। इसे यहां भी आजमाया जा सकता है। इसके अलावा एयरपोर्ट के एक निश्चित एरिया में स्पेशल फ्रीक्वेंसी वाले जैमर भी लगाए जा सकते हैं, जो इस तरह के ड्रोन को उस एरिया में उड़ने ही नहीं देंगे। जैसे ही ड्रोन उस इलाके को टच करेगा उसका रिमोट से कॉन्टैक्ट टूट जाएगा और वह नीचे गिर पड़ेगा।
इसी तरह की एक ऐंटी-ड्रोन गन भी इस्तेमाल की जाती है। इसे पहली बार 15 अगस्त को इस दफा लाल किला पर इस्तेमाल किया गया। इसमें अगर कोई ड्रोन डेंजर जोन में घुसता है तो उसकी फ्रीक्वेंसी को इस गन से कट कर दिया जाता है। इन दोनों तकनीकों का इस्तेमाल करने से यह भी डर है कि कहीं इसका एयर ट्रैफिक पर कोई नुकसान न हो।
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