Tuesday, August 8, 2017

रेप पीड़ित के बयानों में विरोधाभास, आरोपी बरी

आमिर खान, नई दिल्ली
दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को एक नाबालिग रेप पीड़ित के बयान को भरोसे लायक न मानते हुए आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया। आरोपी ने दावा किया था कि व्यवसायिक प्रतिद्वंद्विता की वजह से उसे झूठे केस में फंसाया गया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नाबालिग एक विश्वसनीय गवाह नहीं है क्योंकि उसके बयानों में विरोधाभास थे।

स्पेशल पॉक्सो जज अश्वनी कुमार सरपाल ने कहा कि नाबालिग के साथ रेप की सत्यता पर बड़ा संदेश है। उन्होंने कहा, 'नाबालिक लड़की एक भरोसेमंद गवाह नहीं है। इसलिए, संदेह का लाभ देते हुए आरोपी को बरी किया जाता है।'

अभियोजन पक्ष के मुताबिक लड़की की मां ने 18 फरवरी 2014 में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। 20 फरवरी को लड़की अपने घर आ गई और उसके माता-पिता पुलिस में जाकर उसका बयान दर्ज कराए। लड़की ने कहा कि वह स्कूल जाने के बजाय अपने एक दोस्त को यहां चली गई। लड़की ने बताया कि वह उस दिन अपने घर नहीं लौटी और अगली सुबह आरोपी से मिली। बयान के मुताबिक वह उसे फैक्टरी में ले गया जहां उसके साथ रेप किया। मार्च 2014 में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।

आरोपी रेप के आरोपों को लगातार खारिज करता रहा और इसके पीछे व्यवसायिक प्रतिद्वंद्विता को वजह बताया। फरेंसिक जांच भी नाबालिग से रेप की पुष्टि नहीं कर रहे थे। नाबालिग के पुलिस और कोर्ट में दिए बयानों में भी विरोधाभास दिखा, जिसके बाद कोर्ट ने बरी कर दिया।

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