दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों को दी जाने वाले सुविधाओं की लिमिट तय नहीं की जा सकती। इस मामले में याचिकाकर्ता ने बताया कि शिक्षा के अधिकार में प्रावधान है कि 6 से 14 साल के बच्चों के एजुकेशन की जिम्मेदारी सरकार की है। इस अधिकार के लिए बच्चों को तमाम सुविधाएं देने की बात भी है। उसकी कोई लिमिट तय नहीं की गई है। याचिका में दावा किया गया कि केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार ने नियम तय कर सुविधाओं की लिमिट बना दी है। ऐसे में नियमों में बदलाव किया जाना चाहिए और बच्चों की पढ़ाई के लिए सारे खर्च सरकार को ही उठाने चाहिए। उसके लिए कोई लिमिट तय नहीं हो सकती।
सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट की कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश मित्तल की बेंच ने कहा कि दिल्ली सरकार एजुकेशन के क्षेत्र में काफी काम कर रही है। ऐसे में याचिकाकर्ता को प्रशासनिक लेवल पर भी बात करनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने इसके लिए हामी भरी तो कोर्ट ने अब सरकार से उनकी मीटिंग फिक्स करने को कहा है।
याचिकाकर्ता वकील खगेश झा ने बताया कि अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता अपनी बात संबंधित अथॉरिटी के सामने रखें। एजुकेशन सेक्रेटरी से कहा गया है कि वह संबंधित अथॉरिटी से याचिकाकर्ता की मीटिंग कराएं। इस मीटिंग में एचआरडी मिनिस्ट्री के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। उन्हें मीटिंग का ब्यौरा कोर्ट में पेश करने को भी कहा गया है। अदालत ने 11 जुलाई को 4 बजे मीटिंग फिक्स करने को कहा है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों को दी जाने वाले सुविधाओं की लिमिट तय नहीं की जा सकती। इस मामले में याचिकाकर्ता ने बताया कि शिक्षा के अधिकार में प्रावधान है कि 6 से 14 साल के बच्चों के एजुकेशन की जिम्मेदारी सरकार की है। इस अधिकार के लिए बच्चों को तमाम सुविधाएं देने की बात भी है। उसकी कोई लिमिट तय नहीं की गई है। याचिका में दावा किया गया कि केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार ने नियम तय कर सुविधाओं की लिमिट बना दी है। ऐसे में नियमों में बदलाव किया जाना चाहिए और बच्चों की पढ़ाई के लिए सारे खर्च सरकार को ही उठाने चाहिए। उसके लिए कोई लिमिट तय नहीं हो सकती।
सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट की कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश मित्तल की बेंच ने कहा कि दिल्ली सरकार एजुकेशन के क्षेत्र में काफी काम कर रही है। ऐसे में याचिकाकर्ता को प्रशासनिक लेवल पर भी बात करनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने इसके लिए हामी भरी तो कोर्ट ने अब सरकार से उनकी मीटिंग फिक्स करने को कहा है।
याचिकाकर्ता वकील खगेश झा ने बताया कि अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता अपनी बात संबंधित अथॉरिटी के सामने रखें। एजुकेशन सेक्रेटरी से कहा गया है कि वह संबंधित अथॉरिटी से याचिकाकर्ता की मीटिंग कराएं। इस मीटिंग में एचआरडी मिनिस्ट्री के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। उन्हें मीटिंग का ब्यौरा कोर्ट में पेश करने को भी कहा गया है। अदालत ने 11 जुलाई को 4 बजे मीटिंग फिक्स करने को कहा है।
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