नई दिल्ली
पानी की बर्बादी रोकने के लिए दिल्ली जल बोर्ड टूटी और खराब पाइप लाइन को बदलेगा। इससे पानी दूषित भी नहीं होगा। जल मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने बताया कि पानी की कमी दूर करना और उसकी क्वॉलिटी अच्छी हो यह सरकार का पहला मकसद है। उन्होंने कहा कि रोजाना दिल्ली में लगभग 235 एमजीडी पानी बर्बाद होता है। अगर इसे कम करने में सफलता मिलती है, तो बहुत हद तक दिल्ली में पानी की किल्लत दूर हो जाएगी। मंत्री ने कहा कि रोजाना लगभग 900 एमजीडी पानी का प्रोडक्शन होता है, जिसमें से 235 एमजीडी बर्बाद होने से पानी की दिक्कत होती है। उनका फोकस इस बर्बादी को कम करना है। इसके लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट और यूजीआर लेवल पर फ्लो मीटर लगाया जा रहा है। कुछ जगहों पर फ्लो मीटर लगाए जा चुके हैं।
मंत्री ने कहा, 'जब हमने लॉस की जांच की तो पता चला कि सबसे ज्यादा पानी की बर्बादी कॉलोनी के अंदर ही होती है। साथ ही यह दूषित भी वहीं होता है। जल बोर्ड से जब पानी की सप्लाई की जाती है, तो क्वॉलिटी मानक के अनुसार होती है। घरों में यह दूषित पहुंचता है।' उन्होंने कहा कि कॉलोनी में लगे यूजीआर से जब कनेक्शन घरों में जाता है तो उस पाइपलाइन की लाइफ कम होती है। उन्होंने कहा कि अधिकतर लोग जीआई पाइप का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी लाइफ 10 साल है। इसके बाद इसे चेंज करा लेना चाहिए। मगर, लोग इसे नहीं बदलते। समय के साथ पाइप में छेद हो जाता है और अधिकतर घरों के बाहर नाला होता है। यहीं से पानी की पाइपलाइन घरों तक जाती है। पाइप में छेद होने से सीवर या नाली का पानी, घरों में जाने वाले पानी से मिक्स हो जाता है और पानी दूषित हो जाता है।
जल मंत्री ने कहा कि अब ऐसे घरों की पाइपलाइन सरकार बदलेगी। सरकार ने घरों की पहचान शुरू कर दी है। जल्द ही इन्हें बदलने का काम शुरू किया जाएगा। वह लगातार जल बोर्ड के अलग-अलग ऑफिसों और प्लांट का भी दौरा कर रहे हैं। बुधवार को उन्होंने हैदरपुर वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया। उन्होंने कहा कि यह साफ कर दिया गया है कि सभी अधिकारी और कर्मचारी स्पॉट पर जाकर काम करें। सरकार को मिसगाइड न करें।
पानी की बर्बादी रोकने के लिए दिल्ली जल बोर्ड टूटी और खराब पाइप लाइन को बदलेगा। इससे पानी दूषित भी नहीं होगा। जल मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने बताया कि पानी की कमी दूर करना और उसकी क्वॉलिटी अच्छी हो यह सरकार का पहला मकसद है। उन्होंने कहा कि रोजाना दिल्ली में लगभग 235 एमजीडी पानी बर्बाद होता है। अगर इसे कम करने में सफलता मिलती है, तो बहुत हद तक दिल्ली में पानी की किल्लत दूर हो जाएगी। मंत्री ने कहा कि रोजाना लगभग 900 एमजीडी पानी का प्रोडक्शन होता है, जिसमें से 235 एमजीडी बर्बाद होने से पानी की दिक्कत होती है। उनका फोकस इस बर्बादी को कम करना है। इसके लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट और यूजीआर लेवल पर फ्लो मीटर लगाया जा रहा है। कुछ जगहों पर फ्लो मीटर लगाए जा चुके हैं।
मंत्री ने कहा, 'जब हमने लॉस की जांच की तो पता चला कि सबसे ज्यादा पानी की बर्बादी कॉलोनी के अंदर ही होती है। साथ ही यह दूषित भी वहीं होता है। जल बोर्ड से जब पानी की सप्लाई की जाती है, तो क्वॉलिटी मानक के अनुसार होती है। घरों में यह दूषित पहुंचता है।' उन्होंने कहा कि कॉलोनी में लगे यूजीआर से जब कनेक्शन घरों में जाता है तो उस पाइपलाइन की लाइफ कम होती है। उन्होंने कहा कि अधिकतर लोग जीआई पाइप का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी लाइफ 10 साल है। इसके बाद इसे चेंज करा लेना चाहिए। मगर, लोग इसे नहीं बदलते। समय के साथ पाइप में छेद हो जाता है और अधिकतर घरों के बाहर नाला होता है। यहीं से पानी की पाइपलाइन घरों तक जाती है। पाइप में छेद होने से सीवर या नाली का पानी, घरों में जाने वाले पानी से मिक्स हो जाता है और पानी दूषित हो जाता है।
जल मंत्री ने कहा कि अब ऐसे घरों की पाइपलाइन सरकार बदलेगी। सरकार ने घरों की पहचान शुरू कर दी है। जल्द ही इन्हें बदलने का काम शुरू किया जाएगा। वह लगातार जल बोर्ड के अलग-अलग ऑफिसों और प्लांट का भी दौरा कर रहे हैं। बुधवार को उन्होंने हैदरपुर वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया। उन्होंने कहा कि यह साफ कर दिया गया है कि सभी अधिकारी और कर्मचारी स्पॉट पर जाकर काम करें। सरकार को मिसगाइड न करें।
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