नई दिल्ली
दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने 300 करोड़ के दवा घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने एंबुलेंस खरीद में गड़बड़ियों और ट्रांसफर-पोस्टिंग में नियम-कायदों के उल्लंघन का आरोप भी लगाया है। उन्होंने सवाल उठाया कि देश में हेल्थ सेक्टर में सबसे ज्यादा बजट होने के बाद भी अस्पतालों में दवाइयां क्यों नहीं मिल रही हैं।
कपिल ने कहा कि सरकार अस्पतालों में 50 पर्सेंट दवाइयों की कमी कह रही हैं, जबकि सचाई यह है कि अस्पतालों में 70 पर्सेंट से ज्यादा दवाइयां नहीं हैं। लाइफ सेविंग मेडिसिन की भी कमी है। वह इन मामलों को एलजी के सामने रखेंगे और उनसे दिल्ली में हेल्थ सर्विसेज को बचाने की मांग करेंगे। साथ ही एसीबी में भी एफआईआर दर्ज करवाएंगे।
मिश्रा ने आरोप लगाया कि हेल्थ मिनिस्टर सत्येंद्र जैन के कहने पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने आरे अस्पतालों को दवाइयां खरीदने के अधिकारों को खत्म कर दिया। इसके बाद तरुण सीम को डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज (डीजीएचएस) बनाया गया और उन्हें एक साथ चार बड़ी जिम्मेदारी दी गई।
उन्होंने कहा कि दवाइयां रखने के लिए गुरु गोविंद सिंह अस्पताल रघुबीर नगर, राजीव गांधी सुपर स्पेशएलिटी हॉस्पिटल ताहिरपुर और जनकपुरी में 3 गोदाम बनाए गए, लेकिन वहां पर स्टोरेज की कोई बेहतर व्यवस्था नहीं थी। इससे दवाइयां खराब हो गईं। उनका आरोप है कि 100 एंबुलेंस खरीदने में भी घोटाला हुआ। 10-11 लाख की एक एंबुलेंस के लिए 23-23 लाख रुपये दिए गए। इसके अलावा तीस एमएस की अपॉइन्टमेंट में नियमों को ताक पर रखा गया है।
दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने 300 करोड़ के दवा घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने एंबुलेंस खरीद में गड़बड़ियों और ट्रांसफर-पोस्टिंग में नियम-कायदों के उल्लंघन का आरोप भी लगाया है। उन्होंने सवाल उठाया कि देश में हेल्थ सेक्टर में सबसे ज्यादा बजट होने के बाद भी अस्पतालों में दवाइयां क्यों नहीं मिल रही हैं।
कपिल ने कहा कि सरकार अस्पतालों में 50 पर्सेंट दवाइयों की कमी कह रही हैं, जबकि सचाई यह है कि अस्पतालों में 70 पर्सेंट से ज्यादा दवाइयां नहीं हैं। लाइफ सेविंग मेडिसिन की भी कमी है। वह इन मामलों को एलजी के सामने रखेंगे और उनसे दिल्ली में हेल्थ सर्विसेज को बचाने की मांग करेंगे। साथ ही एसीबी में भी एफआईआर दर्ज करवाएंगे।
मिश्रा ने आरोप लगाया कि हेल्थ मिनिस्टर सत्येंद्र जैन के कहने पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने आरे अस्पतालों को दवाइयां खरीदने के अधिकारों को खत्म कर दिया। इसके बाद तरुण सीम को डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज (डीजीएचएस) बनाया गया और उन्हें एक साथ चार बड़ी जिम्मेदारी दी गई।
उन्होंने कहा कि दवाइयां रखने के लिए गुरु गोविंद सिंह अस्पताल रघुबीर नगर, राजीव गांधी सुपर स्पेशएलिटी हॉस्पिटल ताहिरपुर और जनकपुरी में 3 गोदाम बनाए गए, लेकिन वहां पर स्टोरेज की कोई बेहतर व्यवस्था नहीं थी। इससे दवाइयां खराब हो गईं। उनका आरोप है कि 100 एंबुलेंस खरीदने में भी घोटाला हुआ। 10-11 लाख की एक एंबुलेंस के लिए 23-23 लाख रुपये दिए गए। इसके अलावा तीस एमएस की अपॉइन्टमेंट में नियमों को ताक पर रखा गया है।
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