पारस सिंह, नई दिल्ली
दिल्ली की सड़कों के किनारे वाली दीवारों पर आपने कई जगह 'देखो, गधा मूत रहा है' या 'गधे के पूत यहां मत मूत' जैसी अपमानित करने वाली पंक्तियां लिखी हुई देखी होंगी। जंगपुरा में राजदूत होटल के सामने वाली दीवार पर तो जीसस, जैन तीर्थांकर, हिंदू देवी-देवताओं, मुस्लिम पीर और सिख गुरु की टाइल्स भी लगी हुई हैं, लेकिन इनमें से कोई भी चीज लोगों की सड़क किनारे खुलेआम पेशाब करने की आदत को नहीं बदल पा रही है। जंगपुरा के एक स्थानीय नागरिक मनोज शर्मा का कहना है कि ये सारे तरीके असफल हो रहे हैं, क्या हममें अब थोड़ी सी भी शर्म बाकी है?
नेहरू प्लेस में रहने वाले एक बुजुर्ग वीरेंद्र गुप्ता ने नाक पर रूमाल रखते हुए कहा कि लोगों में बिल्कुल शर्म नहीं रह गई है। वह सावित्री सिनेमा की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर खड़े थे , जहां के फुटपाथ सड़क किनारे पेशाब करने वाले लोगों के कारण चलने लायक नहीं रह गए। पास की मस्जिद के मौलाना अर्शद ने कहा कि यहा जमीन पर कब्रें बनी हुई हैं पर आप हमेशा दर्जनों लोगों को यहां पर खुले में पेशाब करने हुए देख सकते हैं।
नेहरू प्लेस में सड़क किनारे खोमचे पर तंबाकू प्रॉडक्ट बेचने वाले संदीप चौहान इसके लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हैं। उन्होंने कहा कि टॉइलट यहां से कई किलोमीटर दूर है, ऐसे में टैक्सी ड्राइवर, सिक्यॉरिटी गार्ड और फेरीवालों को न चाहते हुए भी ऐसे ही खुले में जाना पड़ता है। निजामुद्दीन, जंगपुरा, पुलानी दिल्ली और लाल किला के फेरीवालों और खोमचेवालों का यही कहना है।
ये लोग पूरी तरह से गलत भी नहीं है। मिंटो रोड पर दो म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के हेडक्वॉर्टर हैं लेकिन बाहर लगे हुए टॉइलट बूथ के हाल इतने खराब हैं कि उन्हें इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इनके दरवाजे टूटे हुए हैं और यूजर्स को टैंक में से पानी लेना पड़ता है। पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन एरिया में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बने 10 टॉइलट बूथ्स का हाल ऐसा है कि लोग वहां से बाहर निकलकर ही सांस ले पाते हैं। फर्श गंदे पानी से भरा हुआ है और बिल्कुल इस्तेमाल करने लायक नहीं।
एक राहगीर, डॉक्टर अशफाक कुरैशी ने पब्लिक टॉइलट्स के हालात देखकर कहा कि हम ऐसे देश में हैं जहां हमें बताया जाता है कि अगर सीधे तौर पर आपके अपने घर को कोई नुकसान नहीं हो रहा है तो आप अपने काम से मतलब रखें और फिर यह तो सार्वजनिक जगह है।
दिल्ली की सड़कों के किनारे वाली दीवारों पर आपने कई जगह 'देखो, गधा मूत रहा है' या 'गधे के पूत यहां मत मूत' जैसी अपमानित करने वाली पंक्तियां लिखी हुई देखी होंगी। जंगपुरा में राजदूत होटल के सामने वाली दीवार पर तो जीसस, जैन तीर्थांकर, हिंदू देवी-देवताओं, मुस्लिम पीर और सिख गुरु की टाइल्स भी लगी हुई हैं, लेकिन इनमें से कोई भी चीज लोगों की सड़क किनारे खुलेआम पेशाब करने की आदत को नहीं बदल पा रही है। जंगपुरा के एक स्थानीय नागरिक मनोज शर्मा का कहना है कि ये सारे तरीके असफल हो रहे हैं, क्या हममें अब थोड़ी सी भी शर्म बाकी है?
नेहरू प्लेस में रहने वाले एक बुजुर्ग वीरेंद्र गुप्ता ने नाक पर रूमाल रखते हुए कहा कि लोगों में बिल्कुल शर्म नहीं रह गई है। वह सावित्री सिनेमा की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर खड़े थे , जहां के फुटपाथ सड़क किनारे पेशाब करने वाले लोगों के कारण चलने लायक नहीं रह गए। पास की मस्जिद के मौलाना अर्शद ने कहा कि यहा जमीन पर कब्रें बनी हुई हैं पर आप हमेशा दर्जनों लोगों को यहां पर खुले में पेशाब करने हुए देख सकते हैं।
नेहरू प्लेस में सड़क किनारे खोमचे पर तंबाकू प्रॉडक्ट बेचने वाले संदीप चौहान इसके लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हैं। उन्होंने कहा कि टॉइलट यहां से कई किलोमीटर दूर है, ऐसे में टैक्सी ड्राइवर, सिक्यॉरिटी गार्ड और फेरीवालों को न चाहते हुए भी ऐसे ही खुले में जाना पड़ता है। निजामुद्दीन, जंगपुरा, पुलानी दिल्ली और लाल किला के फेरीवालों और खोमचेवालों का यही कहना है।
ये लोग पूरी तरह से गलत भी नहीं है। मिंटो रोड पर दो म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के हेडक्वॉर्टर हैं लेकिन बाहर लगे हुए टॉइलट बूथ के हाल इतने खराब हैं कि उन्हें इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इनके दरवाजे टूटे हुए हैं और यूजर्स को टैंक में से पानी लेना पड़ता है। पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन एरिया में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बने 10 टॉइलट बूथ्स का हाल ऐसा है कि लोग वहां से बाहर निकलकर ही सांस ले पाते हैं। फर्श गंदे पानी से भरा हुआ है और बिल्कुल इस्तेमाल करने लायक नहीं।
एक राहगीर, डॉक्टर अशफाक कुरैशी ने पब्लिक टॉइलट्स के हालात देखकर कहा कि हम ऐसे देश में हैं जहां हमें बताया जाता है कि अगर सीधे तौर पर आपके अपने घर को कोई नुकसान नहीं हो रहा है तो आप अपने काम से मतलब रखें और फिर यह तो सार्वजनिक जगह है।
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Read more: 'देखो, गधा मूत रहा है' पढ़कर भी लोग करते पेशाब