नई दिल्ली
सीबीएसई ने सभी संबद्ध स्कूलों को यह निर्देश दिए हैं कि वे सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें ही पढ़ाएं और प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें खरीदने के लिए स्टूडेंट्स को मजबूर ना करें। लेकिन चाइल्ड राइट्स की टॉप बॉडी नैशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) इसके लिए सीबीएसई को ही जिम्मेदार मानता है।
एनसीपीसीआर का मानना है कि सीबीएसई आरटीई एक्ट का उल्लंघन कर रहा है, एनसीईआरटी के अधिकार क्षेत्र में दखल दे रहा है और अपने तरीके से सीसीई पैटर्न लागू कर रहा है। जिसकी वजह से प्राइवेट स्कूल एनसीईआरटी के अलावा प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें पढ़ा रहे है। जिससे एजुकेशन महंगी हो रही है और असमान एजुकेशन सिस्टम बन रहा है।
अलग सीसीई क्यों
एनसीपीसीआर ने सीबीएसई को पत्र भेजकर कहा है कि क्लास 6 से 8 तक लागू किए गए कंटीन्युअस एंड कंप्रहेंसिव इवेल्यूशन (सीसीई) पैटर्न को वापस लिया जाए। 10 दिन में इस संबंध में जवाब देने को कहा गया है। पत्र में लिखा है कि आरटीई के सेक्शन 29(1) के मुताबिक भारत सरकार ने एनसीईआरटी को अकेडमिक अथॉरिटी चुना है। एनसीईआरटी ने असेसमेंट के लिए सीसीई मॉडल तैयार किया है। लेकिन सीबीएसई इस सीसीई पैटर्न को फॉलो नहीं कर रहा है। सीबीएसई से संबंधित स्कूल अलग सीसीई पैटर्न लागू कर रहे हैं जो राइट टू एजुकेशन एक्ट का उल्लंघन है।
टीचर के मूल्यांकन पर बच्चों को मार्क्स
कमिशन मेंबर प्रियंक कानूनगो ने कहा कि एनसीईआरटी ने जो सीसीई मॉडल बनाया है उसमें फॉरमेटिव असेसमेंट यह परखने के लिए होता है कि टीचर किस तरह पढ़ा रहे हैं और उससे बच्चे की सीखने की योग्यता बढ़ रही है या नहीं। इसके ग्रेड बच्चों को नहीं दिए जाते। यह टीचर का मूल्यांकन होता है। सब्मिटिव असेसमेंट में बच्चों को टेस्ट होता है और इसी असेसमेंट के मार्क्स बच्चों की मार्कशीट पर होते हैं। लेकिन सीबीएसई के सीसीई पैटर्न में बच्चों की मार्कशीट पर 40 पर्सेंट मार्क्स फॉरमेटिव असेसमेंट के होते हैं और 60 पर्सेंट सब्मिटिव असेसमेंट के। कमिशन के मुताबिक यह गलत है। कमिशन ने सीबीएसई से अपना सीसीई पैटर्न वापस लेने को कहा है।
महंगी किताबें और असमान शिक्षा
कमिशन के मुताबिक अलग सीसीई पैटर्न होने की वजह से सीबीएसई के स्कूल एनसीईआरटी के अलावा अलग किताबों से पढ़ाते हैं और स्टूडेंट्स को प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें खरीदने को कहते हैं। इससे बच्चों को महंगी किताबें खरीदनी पड़ती हैं साथ ही यह असमान शिक्षा को भी बढ़ावा दे रहा है। कमिशन मेंबर के मुताबिक सीबीएसई का अधिकार क्षेत्र सेकंडरी एजुकेशन के लिए है लेकिन एलिमेंट्री लेवल यानी क्लास 6 से8 तक अपने हिसाब से सीसीई लागू करने का अधिकार सीबीएसई के पास नहीं है। यह एनसीईआरटी के काम में दखल देना है।
सीबीएसई ने सभी संबद्ध स्कूलों को यह निर्देश दिए हैं कि वे सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें ही पढ़ाएं और प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें खरीदने के लिए स्टूडेंट्स को मजबूर ना करें। लेकिन चाइल्ड राइट्स की टॉप बॉडी नैशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) इसके लिए सीबीएसई को ही जिम्मेदार मानता है।
एनसीपीसीआर का मानना है कि सीबीएसई आरटीई एक्ट का उल्लंघन कर रहा है, एनसीईआरटी के अधिकार क्षेत्र में दखल दे रहा है और अपने तरीके से सीसीई पैटर्न लागू कर रहा है। जिसकी वजह से प्राइवेट स्कूल एनसीईआरटी के अलावा प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें पढ़ा रहे है। जिससे एजुकेशन महंगी हो रही है और असमान एजुकेशन सिस्टम बन रहा है।
अलग सीसीई क्यों
एनसीपीसीआर ने सीबीएसई को पत्र भेजकर कहा है कि क्लास 6 से 8 तक लागू किए गए कंटीन्युअस एंड कंप्रहेंसिव इवेल्यूशन (सीसीई) पैटर्न को वापस लिया जाए। 10 दिन में इस संबंध में जवाब देने को कहा गया है। पत्र में लिखा है कि आरटीई के सेक्शन 29(1) के मुताबिक भारत सरकार ने एनसीईआरटी को अकेडमिक अथॉरिटी चुना है। एनसीईआरटी ने असेसमेंट के लिए सीसीई मॉडल तैयार किया है। लेकिन सीबीएसई इस सीसीई पैटर्न को फॉलो नहीं कर रहा है। सीबीएसई से संबंधित स्कूल अलग सीसीई पैटर्न लागू कर रहे हैं जो राइट टू एजुकेशन एक्ट का उल्लंघन है।
टीचर के मूल्यांकन पर बच्चों को मार्क्स
कमिशन मेंबर प्रियंक कानूनगो ने कहा कि एनसीईआरटी ने जो सीसीई मॉडल बनाया है उसमें फॉरमेटिव असेसमेंट यह परखने के लिए होता है कि टीचर किस तरह पढ़ा रहे हैं और उससे बच्चे की सीखने की योग्यता बढ़ रही है या नहीं। इसके ग्रेड बच्चों को नहीं दिए जाते। यह टीचर का मूल्यांकन होता है। सब्मिटिव असेसमेंट में बच्चों को टेस्ट होता है और इसी असेसमेंट के मार्क्स बच्चों की मार्कशीट पर होते हैं। लेकिन सीबीएसई के सीसीई पैटर्न में बच्चों की मार्कशीट पर 40 पर्सेंट मार्क्स फॉरमेटिव असेसमेंट के होते हैं और 60 पर्सेंट सब्मिटिव असेसमेंट के। कमिशन के मुताबिक यह गलत है। कमिशन ने सीबीएसई से अपना सीसीई पैटर्न वापस लेने को कहा है।
महंगी किताबें और असमान शिक्षा
कमिशन के मुताबिक अलग सीसीई पैटर्न होने की वजह से सीबीएसई के स्कूल एनसीईआरटी के अलावा अलग किताबों से पढ़ाते हैं और स्टूडेंट्स को प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें खरीदने को कहते हैं। इससे बच्चों को महंगी किताबें खरीदनी पड़ती हैं साथ ही यह असमान शिक्षा को भी बढ़ावा दे रहा है। कमिशन मेंबर के मुताबिक सीबीएसई का अधिकार क्षेत्र सेकंडरी एजुकेशन के लिए है लेकिन एलिमेंट्री लेवल यानी क्लास 6 से8 तक अपने हिसाब से सीसीई लागू करने का अधिकार सीबीएसई के पास नहीं है। यह एनसीईआरटी के काम में दखल देना है।
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Read more: क्यों बच्चे महंगी किताब खरीदने को मजबूर