सुप्रीम कोर्ट से भी अगर फांसी की सजा बरकरार रखी जाए उसके बाद मुजरिम चाहे तो रिव्यू पिटिशन दायर कर सकता है। रिव्यू पिटिशन उसी बेंच के सामने दायर की जाती है जिसने फैसला दिया है।
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