नई दिल्ली
एमसीडी चुनाव में टिकटों के बंटवारे को लेकर प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन पर आरोप लगाने वाले पार्टी के विरोधी नेताओं की कहीं सुनवाई नहीं हुई है। कांग्रेस आलाकमान ने फिलहाल किसी भी पक्ष पर कोई ऐक्शन न करने का निर्णय लिया है। पार्टी अब जो कुछ करेगी, वह निगम चुनाव के नतीजों के बाद ही। फिलहाल विरोधियों की गतिविधियों को नजरंदाज किया जा रहा है।
पिछले करीब एक साल से अजय माकन के खिलाफ पार्टी का एक ग्रुप ऐक्शन में लगा था। उन्होंने गाहे-बगाहे अध्यक्ष पर कई आरोप लगाए और कहा कि वह पार्टी में मनमानी कर रहे हैं और सीनियर नेताओं की कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप के यह दौर लगातार चलते रहे, लेकिन अब निगम चुनाव में टिकटों के बंटवारे से पहले ही विरोधी नेताओं ने माकन पर एक बार फिर से आरोप लगाया था कि वह इसमें भी मनमानी कर रहे हैं।
पार्टी सांसद परवेज हाशमी, दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री मंगतराम सिंघल, पार्टी नेता जितेंद्र कोचर, ओनिका मल्होत्रा आदि ने सार्वजनिक रूप से माकन के टिकट बंटवारे को टारगेट पर लिया और आरोप लगाया कि माकन कांग्रेस को कमजोर करने में लगे हुए हैं। उन्होंने इस मसले पर हाईकमान से दखल की भी मांग की।
सूत्र बताते हैं कि इस विवाद पर हाईकमान फिलहाल ‘ठंडा रुख’ अपना रहा है। यह पक्का माना जा रहा है कि पार्टी में विरोधी की अभी तो कोई सुनवाई नहीं होने वाली है। उसका कारण यह है कि न तो हाईकमान ने किसी असंतुष्ट नेता को बुलाया और न ही पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता ने उनकी सुनवाई की। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि आलाकमान ने जो रुख दिखाया है, उससे इस बात की संभावना बढ़ चली है कि माकन का विरोध करने वाले नेता फिलहाल चुप बैठ जाएं। वैसे कहा यह भी जा रहा है कि अगर विरोधी नेताओं की कहीं भी जरा सी सुनवाई हो जाती तो पार्टी के कई और नेता उनके साथ चलने और माकन का विरोध करने पर आगे आने को तैयार थे।
फिलहाल इस मसले पर पार्टी चुप्पी साधे हुए है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार असल में दिल्ली का निगम चुनाव कांग्रेस के लिए खासी अहमियत रखता है। उसका कारण यह है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी को बुरी मात खानी पड़ी थी। लेकिन माकन के नेतृत्व में जब पिछले साल निगम चुनाव लड़ा गया तो उसमें पार्टी ने सम्मानजनक प्रदर्शन किया। इसके बाद आलाकमान ने निगम चुनाव लड़ाने की जिम्मेदारी पूरे तौर माकन को सौंप दी और उन्हें अपने अनुसार टिकट बंटवारे का भी अधिकार दे दिया। वैसे कांग्रेस का जो मिजाज है, उसके अनुसार अगर एमसीडी चुनाव में पार्टी का उल्लेखनीय प्रदर्शन रहता है तो माकन की पीठ थपथपाई जाएगी, लेकिन पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा तो विरोध के सुर फिर फूटेंगे, जिसके बाद आलाकमान को ‘दिल्ली की लड़ाई’ को सुलझाने के लिए कोई न कोई कदम उठाना ही होगा।
एमसीडी चुनाव में टिकटों के बंटवारे को लेकर प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन पर आरोप लगाने वाले पार्टी के विरोधी नेताओं की कहीं सुनवाई नहीं हुई है। कांग्रेस आलाकमान ने फिलहाल किसी भी पक्ष पर कोई ऐक्शन न करने का निर्णय लिया है। पार्टी अब जो कुछ करेगी, वह निगम चुनाव के नतीजों के बाद ही। फिलहाल विरोधियों की गतिविधियों को नजरंदाज किया जा रहा है।
पिछले करीब एक साल से अजय माकन के खिलाफ पार्टी का एक ग्रुप ऐक्शन में लगा था। उन्होंने गाहे-बगाहे अध्यक्ष पर कई आरोप लगाए और कहा कि वह पार्टी में मनमानी कर रहे हैं और सीनियर नेताओं की कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप के यह दौर लगातार चलते रहे, लेकिन अब निगम चुनाव में टिकटों के बंटवारे से पहले ही विरोधी नेताओं ने माकन पर एक बार फिर से आरोप लगाया था कि वह इसमें भी मनमानी कर रहे हैं।
पार्टी सांसद परवेज हाशमी, दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री मंगतराम सिंघल, पार्टी नेता जितेंद्र कोचर, ओनिका मल्होत्रा आदि ने सार्वजनिक रूप से माकन के टिकट बंटवारे को टारगेट पर लिया और आरोप लगाया कि माकन कांग्रेस को कमजोर करने में लगे हुए हैं। उन्होंने इस मसले पर हाईकमान से दखल की भी मांग की।
सूत्र बताते हैं कि इस विवाद पर हाईकमान फिलहाल ‘ठंडा रुख’ अपना रहा है। यह पक्का माना जा रहा है कि पार्टी में विरोधी की अभी तो कोई सुनवाई नहीं होने वाली है। उसका कारण यह है कि न तो हाईकमान ने किसी असंतुष्ट नेता को बुलाया और न ही पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता ने उनकी सुनवाई की। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि आलाकमान ने जो रुख दिखाया है, उससे इस बात की संभावना बढ़ चली है कि माकन का विरोध करने वाले नेता फिलहाल चुप बैठ जाएं। वैसे कहा यह भी जा रहा है कि अगर विरोधी नेताओं की कहीं भी जरा सी सुनवाई हो जाती तो पार्टी के कई और नेता उनके साथ चलने और माकन का विरोध करने पर आगे आने को तैयार थे।
फिलहाल इस मसले पर पार्टी चुप्पी साधे हुए है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार असल में दिल्ली का निगम चुनाव कांग्रेस के लिए खासी अहमियत रखता है। उसका कारण यह है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी को बुरी मात खानी पड़ी थी। लेकिन माकन के नेतृत्व में जब पिछले साल निगम चुनाव लड़ा गया तो उसमें पार्टी ने सम्मानजनक प्रदर्शन किया। इसके बाद आलाकमान ने निगम चुनाव लड़ाने की जिम्मेदारी पूरे तौर माकन को सौंप दी और उन्हें अपने अनुसार टिकट बंटवारे का भी अधिकार दे दिया। वैसे कांग्रेस का जो मिजाज है, उसके अनुसार अगर एमसीडी चुनाव में पार्टी का उल्लेखनीय प्रदर्शन रहता है तो माकन की पीठ थपथपाई जाएगी, लेकिन पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा तो विरोध के सुर फिर फूटेंगे, जिसके बाद आलाकमान को ‘दिल्ली की लड़ाई’ को सुलझाने के लिए कोई न कोई कदम उठाना ही होगा।
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