नई दिल्ली
मियांवाली नगर से 32 लाख कैश लेकर भागे निजी कंपनी के सिक्यॉरिटी गार्ड को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है। पुलिस का कहना है कि उसकी साजिश में वैन का ड्राइवर भी शामिल था, जिसने जानबूझकर चाभी वैन में लगी छोड़ी थी। दोनों को अरेस्ट करके 25 लाख रुपये और चोरी के रुपयों से खरीदा गया एक LED TV रिकवर कर लिया है। पुलिस को संदेह है कि कुछ रकम आरोपियों ने नेपाल अपने नातेदारों के पास भेजी है, जिसे रिकवर करने के लिए पुलिस कोशिशें कर रही है।
डीसीपी (आउटर) एमएन तिवारी ने बताया कि वारदात को गहरी साजिश के साथ अंजाम दिया गया। कंपनी के पास मौजूद आरोपी सिक्यॉरिटी गार्ड का जालिम सिंह नाम फर्जी निकला। उसने यह नाम फर्जी दस्तावेज के सहारे रखा था। फर्जी दस्तावेज से ही यूपी से ड्राइविंग लाइसेंस और आर्म्स लाइसेंस बनवाया। उसके बाद एटीएम में कैश अपलोड करने वाली कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड की जॉब हासिल की। करीब छह माह से कैश वैन के साथ सिक्यॉरिटी गार्ड काम कर रहा था। इस बीच ड्राइवर को साजिश में शामिल किया। मौका लगते ही दोनों ने वारदात को अंजाम दिया।
आरोपियों की पहचान जाली होने की वजह से पुलिस को उनकी तलाश खासी मशक्कत करनी पड़ी। इस बीच यूपी और उत्तराखंड तक पुलिस की टीमों ने दबिश दी। बता दें कि वारदात के बाद सिक्योरिटी गार्ड द्वारा 70 लाख रुपयों से भरी वैन लेकर भागने की खबरें चली थीं, लेकिन डीसीपी ने बताया कि संबंधित कंपनी ने ऑडिट के बाद गार्ड के ऊपर 32 लाख रुपये लेकर भागने का आरोप लगाया।
मियांवाली नगर से 32 लाख कैश लेकर भागे निजी कंपनी के सिक्यॉरिटी गार्ड को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है। पुलिस का कहना है कि उसकी साजिश में वैन का ड्राइवर भी शामिल था, जिसने जानबूझकर चाभी वैन में लगी छोड़ी थी। दोनों को अरेस्ट करके 25 लाख रुपये और चोरी के रुपयों से खरीदा गया एक LED TV रिकवर कर लिया है। पुलिस को संदेह है कि कुछ रकम आरोपियों ने नेपाल अपने नातेदारों के पास भेजी है, जिसे रिकवर करने के लिए पुलिस कोशिशें कर रही है।
डीसीपी (आउटर) एमएन तिवारी ने बताया कि वारदात को गहरी साजिश के साथ अंजाम दिया गया। कंपनी के पास मौजूद आरोपी सिक्यॉरिटी गार्ड का जालिम सिंह नाम फर्जी निकला। उसने यह नाम फर्जी दस्तावेज के सहारे रखा था। फर्जी दस्तावेज से ही यूपी से ड्राइविंग लाइसेंस और आर्म्स लाइसेंस बनवाया। उसके बाद एटीएम में कैश अपलोड करने वाली कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड की जॉब हासिल की। करीब छह माह से कैश वैन के साथ सिक्यॉरिटी गार्ड काम कर रहा था। इस बीच ड्राइवर को साजिश में शामिल किया। मौका लगते ही दोनों ने वारदात को अंजाम दिया।
आरोपियों की पहचान जाली होने की वजह से पुलिस को उनकी तलाश खासी मशक्कत करनी पड़ी। इस बीच यूपी और उत्तराखंड तक पुलिस की टीमों ने दबिश दी। बता दें कि वारदात के बाद सिक्योरिटी गार्ड द्वारा 70 लाख रुपयों से भरी वैन लेकर भागने की खबरें चली थीं, लेकिन डीसीपी ने बताया कि संबंधित कंपनी ने ऑडिट के बाद गार्ड के ऊपर 32 लाख रुपये लेकर भागने का आरोप लगाया।
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