मुकेश बुरारी/ नई दिल्ली
दिल्ली की सबसे संवेदनशील जगहों में से एक शास्त्री भवन के पीछे रोज दोपहर 12 से रात 11 बजे तक सरेआम सट्टा खेला जाता है। यह सुनकर एक बार तो यकीन नहीं हुआ, लेकिन हमारे संवाददाता ने मौके पर जाकर पड़ताल की तो यह सनसनीखेज सचाई सामने आई। एक तरफ रेल भवन, कृषि भवन और केंद्रीय सचिवालय जैसे दफ्तर हैं। खुद शास्त्री भवन में 18 के करीब केंद्रीय मंत्रालय हैं। इन सबसे बाद भी खुले आम वहां चल रहा सट्टे का खेल स्थानीय लोगों के लिए आम बात हो चुकी है।
चिड़िया और कबूतर उड़ाने के नाम से एक शख्स एक के दस देने का दावा कर रहा था। सबसे हैरानी की बात यह थी कि आस पास पीसीआर भी खूब दिख रही थीं, लेकिन बिना किसी डर के यह सब चल रहा था। पता चला है कि शास्त्री भवन के ठीक पीछे रोज यह सट्टा हाट लगता है। यहां तक कि लोग टाइम देखकर निकलते हैं। 12 बजते ही भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है। यह सिलसिला रात 11 बजे तक ऐसे ही चलता है। वीवीआईपी इलाका होने के कारण चप्पे-चप्पे पर पीसीआर भी तैनात हैं, अफसरों का आना जाना भी रहता है, लेकिन खेल बेरोकटोक चलता है। लाल बत्ती लगी गाड़ियों के सायरन रायसीना मार्ग, रफी मार्ग होते हुए डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मार्ग तक सुनने को मिलते हैं। यहां लगी भीड़ देखकर पहले तो लगता है कि ये सरकारी दफ्तर में अपना काम करवाने आए हैं। पास जाने पर पता चलता है कि सट्टा लिखने वाले तसल्ली से बैठकर एक-एक आदमी का सट्टा लिखते हैं।
पुलिस सब जानती है
सट्टा लगाने वाले एक शख्स ने बताया कि वह ऑटो चलाता है। ठीक 2 बजते यहां नंबर लिखवाने जरूर आता है। वैसे रोज-रोज तो किस्मत नहीं खुलती, लेकिन अगर हफ्ते दस दिन में एक बार भी किस्मत से नंबर लग गया तो पूरा महीने का खर्चा चल जाता है। हमने पूछा कि इस वीवीआईपी इलाके में ऐसा करने में डर नहीं लगता, तो उसने हंसते हुए कहा, सर बिना उनकी जानकारी के भला कुछ हो सकता है। पुलिस की छत्रछाया में ही यह धंधा चल रहा है।
चिड़िया, कबूतर और सट्टा
सट्टा लगाने वालों के मुताबिक, दिल्ली की इस प्राइम लोकेशन पर चिड़िया और कबूतर उड़ाने के साथ सट्टा खिलवाया जाता है। चिड़िया और कबूतर उड़ाने के खेल में 10 के 100 मिलते हैं। सट्टे में यह रकम 10 गुना और बढ़ जाती है। ऑटो रिक्शा वाले आमतौर पर चिड़िया-कबूतर ही उड़ाते हैं, लेकिन मोटा पैसा लगाने वाले सट्टे पर भरोसा करते हैं। सटोरियों की भाषा में कहें तो चिड़िया-कबूतर 12 घर में से एक घर पर आती हैं, वहीं सट्टा 100 घर में से एक घर में आता है। इसकी लत धीरे-धीरे लगती है। जैसे-जैसे आदमी हारता है, उसे अपनी रकम वापस पाने की चाहत बढ़ती जाती है। कई लोग लाखों रुपये इस पर उड़ा देते हैं और सट्टा खिलवाने वाले की मौज होती है। आसपास बात करने पर चौंकाने वाली कई जानकारियां मिलीं। सूत्रों ने बताया कि यहां स्कूली बच्चे भी लालच में आकर पैसे लगाते हैं। ब्याज लेकर खेलने वालों की तादाद भी बड़ी है।
हिस्ट्रीशीटर खिलवाते हैं सट्टा
एक सूत्र ने बताया, सट्टा खिलवाने वाले हिस्ट्रीशीटर हैं। इनमें से ज्यादातर कुछ दिनों पहले जेल से छूटे हैं। ये दिल्ली में कई जगह सट्टा चलाते हैं। कोटला, अलीगंज, लोधी रोड जैसे इलाकों में भी यह खेल चलता है। ये 8-10 की संख्या में रहते हैं। कोई कुछ बोलता है तो दबंगई करने में पीछे नहीं हटते।
शास्त्री भवन के पास सट्टे का मतलब
शास्त्री भवन में भारत सरकार के 18 से ज्यादा मंत्रालय हैं। राष्ट्रपति भवन से यह सिर्फ 2.5 किलोमीटर की दूरी पर है। इंडिया गेट लगभग एक किलोमीटर दूर है। संसद भवन तो वॉकिंग डिस्टेंस पर है। पीएमओ ऑफिस 6 मिनट की दूरी पर है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि अगर ऐसे इलाके में सट्टा चल सकता है, तो दिल्ली के बाकी इलाकों का क्या हाल होगा।
बीके सिंह, डीसीपी, नई दिल्ली का इस बारे में कहना है, 'शास्त्री भवन के पीछे सट्टा चलने की कोई जानकारी हमारे पास नहीं है। अगर ऐसा हो रहा है तो इस पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा। आज ही चेक करवाया जाएगा और इस पर जरूरी ऐक्शन लिया जाएगा। पहले ऐसी कोई भी जानकारी हमें मिलती तो पहले ही रेड कर दी जाती।
दिल्ली की सबसे संवेदनशील जगहों में से एक शास्त्री भवन के पीछे रोज दोपहर 12 से रात 11 बजे तक सरेआम सट्टा खेला जाता है। यह सुनकर एक बार तो यकीन नहीं हुआ, लेकिन हमारे संवाददाता ने मौके पर जाकर पड़ताल की तो यह सनसनीखेज सचाई सामने आई। एक तरफ रेल भवन, कृषि भवन और केंद्रीय सचिवालय जैसे दफ्तर हैं। खुद शास्त्री भवन में 18 के करीब केंद्रीय मंत्रालय हैं। इन सबसे बाद भी खुले आम वहां चल रहा सट्टे का खेल स्थानीय लोगों के लिए आम बात हो चुकी है।
चिड़िया और कबूतर उड़ाने के नाम से एक शख्स एक के दस देने का दावा कर रहा था। सबसे हैरानी की बात यह थी कि आस पास पीसीआर भी खूब दिख रही थीं, लेकिन बिना किसी डर के यह सब चल रहा था। पता चला है कि शास्त्री भवन के ठीक पीछे रोज यह सट्टा हाट लगता है। यहां तक कि लोग टाइम देखकर निकलते हैं। 12 बजते ही भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है। यह सिलसिला रात 11 बजे तक ऐसे ही चलता है। वीवीआईपी इलाका होने के कारण चप्पे-चप्पे पर पीसीआर भी तैनात हैं, अफसरों का आना जाना भी रहता है, लेकिन खेल बेरोकटोक चलता है। लाल बत्ती लगी गाड़ियों के सायरन रायसीना मार्ग, रफी मार्ग होते हुए डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मार्ग तक सुनने को मिलते हैं। यहां लगी भीड़ देखकर पहले तो लगता है कि ये सरकारी दफ्तर में अपना काम करवाने आए हैं। पास जाने पर पता चलता है कि सट्टा लिखने वाले तसल्ली से बैठकर एक-एक आदमी का सट्टा लिखते हैं।
पुलिस सब जानती है
सट्टा लगाने वाले एक शख्स ने बताया कि वह ऑटो चलाता है। ठीक 2 बजते यहां नंबर लिखवाने जरूर आता है। वैसे रोज-रोज तो किस्मत नहीं खुलती, लेकिन अगर हफ्ते दस दिन में एक बार भी किस्मत से नंबर लग गया तो पूरा महीने का खर्चा चल जाता है। हमने पूछा कि इस वीवीआईपी इलाके में ऐसा करने में डर नहीं लगता, तो उसने हंसते हुए कहा, सर बिना उनकी जानकारी के भला कुछ हो सकता है। पुलिस की छत्रछाया में ही यह धंधा चल रहा है।
चिड़िया, कबूतर और सट्टा
सट्टा लगाने वालों के मुताबिक, दिल्ली की इस प्राइम लोकेशन पर चिड़िया और कबूतर उड़ाने के साथ सट्टा खिलवाया जाता है। चिड़िया और कबूतर उड़ाने के खेल में 10 के 100 मिलते हैं। सट्टे में यह रकम 10 गुना और बढ़ जाती है। ऑटो रिक्शा वाले आमतौर पर चिड़िया-कबूतर ही उड़ाते हैं, लेकिन मोटा पैसा लगाने वाले सट्टे पर भरोसा करते हैं। सटोरियों की भाषा में कहें तो चिड़िया-कबूतर 12 घर में से एक घर पर आती हैं, वहीं सट्टा 100 घर में से एक घर में आता है। इसकी लत धीरे-धीरे लगती है। जैसे-जैसे आदमी हारता है, उसे अपनी रकम वापस पाने की चाहत बढ़ती जाती है। कई लोग लाखों रुपये इस पर उड़ा देते हैं और सट्टा खिलवाने वाले की मौज होती है। आसपास बात करने पर चौंकाने वाली कई जानकारियां मिलीं। सूत्रों ने बताया कि यहां स्कूली बच्चे भी लालच में आकर पैसे लगाते हैं। ब्याज लेकर खेलने वालों की तादाद भी बड़ी है।
हिस्ट्रीशीटर खिलवाते हैं सट्टा
एक सूत्र ने बताया, सट्टा खिलवाने वाले हिस्ट्रीशीटर हैं। इनमें से ज्यादातर कुछ दिनों पहले जेल से छूटे हैं। ये दिल्ली में कई जगह सट्टा चलाते हैं। कोटला, अलीगंज, लोधी रोड जैसे इलाकों में भी यह खेल चलता है। ये 8-10 की संख्या में रहते हैं। कोई कुछ बोलता है तो दबंगई करने में पीछे नहीं हटते।
शास्त्री भवन के पास सट्टे का मतलब
शास्त्री भवन में भारत सरकार के 18 से ज्यादा मंत्रालय हैं। राष्ट्रपति भवन से यह सिर्फ 2.5 किलोमीटर की दूरी पर है। इंडिया गेट लगभग एक किलोमीटर दूर है। संसद भवन तो वॉकिंग डिस्टेंस पर है। पीएमओ ऑफिस 6 मिनट की दूरी पर है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि अगर ऐसे इलाके में सट्टा चल सकता है, तो दिल्ली के बाकी इलाकों का क्या हाल होगा।
बीके सिंह, डीसीपी, नई दिल्ली का इस बारे में कहना है, 'शास्त्री भवन के पीछे सट्टा चलने की कोई जानकारी हमारे पास नहीं है। अगर ऐसा हो रहा है तो इस पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा। आज ही चेक करवाया जाएगा और इस पर जरूरी ऐक्शन लिया जाएगा। पहले ऐसी कोई भी जानकारी हमें मिलती तो पहले ही रेड कर दी जाती।
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