Friday, February 24, 2017

डीयू विवाद पर शहीद की बेटी का मीडिया कैंपेन

आईपी सिंह, जालंधर/नई दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में हुए हालिया विवाद और अखिल भारतीय विद्या परिषद के विरोध में डीयू की स्टूडेंट गुरमेहर कौर ने सोशल मीडिया पर एक कैंपेन चलाया है। कौर के इस कैंपेन को 48 घंटों में 1,200 रिऐक्शन, 1,991 शेयर और 143 कमेंट्स मिले। कौर कारगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन मंदीप सिंह की बेटी हैं।

गौरतलब है कि बुधवार को डीयू के एक प्रोग्राम जेएनयू विवाद में प्रमुख नाम रहे उमर खालिद और शहला रशीद को बोलने के लिए बुलाया गया था, जिसका एबीवीपी ने विरोध किया। इससे उपजे विवाद ने हिंसक रूप धारण कर लिया। इससे आहत कौर ने सोशल मीडिया पर एफबी और इंस्टाग्राम के जरिए विरोध जताया। कौर ने अपनी प्रोफाइल फोटो बदकर देशभर के विद्यार्थियों से उस फॉर्मेट को अपनाने की अपील की। शुरुआती कुछ घंटों में ही कौर के कैंपेन को दिल्ली, पंजाब, मुंबई के साथ ही देशभर के स्टूडेंट्स से सपोर्ट मिला। मूल रूप से जालंधर निवासी कौर ने एबीवीपी के इस रवैये को क्रूर, आहत करने वाला और लोकतंत्र पर हमला बताया है।



अपनी प्रोफाइल पिक्चर में एक प्लेसकार्ड ले रखा है, जिस पर लिखा है 'मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक स्टूडेंट हूं, मुझे एबीवीपी से डर नहीं लगता। मैं अकेली नहीं हूं। भारत का हर स्टूडेंट मेरे साथ है। #StudentsAgainstABVP'इस हैशटैग के साथ एक स्टेटस मेसेज दिया जा रहा है 'मुझे लगता है कि मासूम छात्रों पर एबीवीपी द्वारा हुए क्रूर हमले का हमें विरोध करना चाहिए। यह विरोध कर रहे छात्रों पर हमला नहीं था, बल्कि यह हमला हुआ है हर भारतीय के दिल में बसे लोकतंत्र पर। यह हमला भारत में जन्मे लोगों की आजादी और अधिकारों पर हुआ है। इस हमले से हमारे शरीर पर चोट पहुंची है हमारे विचारों पर नहीं। यह प्रोफाइल पिक्चर फैलाए जा रहे डर के प्रति विरोध जताने का मेरा तरीका है।'

अपने इस विरोध पर कौर कहती हैं 'शुरुआत में मैं इस घटना इस इतनी नहीं जुड़ी थी। लेकिन, जब मुझे पता चला कि विरोध कर रहे स्टूडेंट्स को शारीरिक चोटें पहुंचाई गई हैं। इनमें शामिल गर्ल्स को रेप करने की धमकी दी गई। इससे मैं बहुत आहत हुई। आप समझ सकते हैं कि स्थिति कितनी विकट है। अपना विरोध जताने के लिए मुझे टेक्नॉलजी और मीडिया प्लेटफॉर्म को प्रयोग करना सही लगा।' कौर अपनी बात जारी रखती हैं 'यह दो विरोधी पार्टियों की बात नहीं है। यह स्टूडेंट्स का विरोध है, गवर्नमेंट स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन के खिलाफ। जो लोकतंत्र में भरोसा नहीं रखता और अपनी बात थोपने के लिए निरंकुशता का रास्ता अपनाता है।' बता दें कि गुरमेहर उस वक्त मात्र दो साल की थीं, जब उनके पिता कैप्टन मंदीप सिंह कारगिल में शहीद हो गए थे। इससे पहले वर्ष 2016 में भी कौर ने इंडो-पाक पीस पर एक साइलंट मेसेज दिया था, जिस पर लोगों का जबरदस्त रेस्पॉन्स मिला था।

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