Monday, February 27, 2017

नेबरहुड क्राइटेरिया पर दिल्ली सरकार को झटका

नई दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बेंच ने दिल्ली सरकार की अर्जी खारिज कर दी है जिसमें दिल्ली सरकार ने नेबरहुड क्राइटेरिया को स्टे करने के दिल्ली हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने नेबरहुड क्राइटेरिया से संबंधित नोटिफिकेशन पर स्टे लगा दिया था जिसके खिलाफ दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दी थी।

दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने दिल्ली सरकार के उस नोटिफिकशन को स्टे कर दिया था जिसमें दिल्ली सरकार ने नर्सरी ऐडमिशन के लिए नेबरहुड क्राइटेरिया तय किया था। अदालत ने कहा कि सरकार का फैसला मनमाना और भेदभाव पूर्ण है।

हाई कोर्ट के जस्टिस मनमोहन की बेंच ने 14 फरवरी को दिल्ली सरकार के 7 जनवरी के नोटिफिकेशन पर अंतरिम स्टे किया था अदालत ने कहा था कि नेबरहुड क्राइटेरिया को चुनौती देने वाली याचिका के फाइनल निपटारा होने तक अंतरिम स्टे किया जाता है। दिल्ली सरकार द्वारा दाखिलों में तय नेबरहुड नीति को असंवैधानिक व मनमाना करार दिया है।

दिल्ली सरकार के नोटिफिकेशन को 298 प्राइवेट स्कूलों ने चुनौती दी हुई है। दिल्ली सरकार के 19 दिसंबर और 7 जनवरी के नोटिफिकशन को चुनौती दी गई है। सरकार के नोटिफिकेशन में कहा गया था कि डीडीए ने जिन प्राइवेट स्कूलों को जमीन अलॉट किया है उन्हें नेबरहुड क्राइटेरिया के तहत दाखिला देना होगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि दिल्ली सरकार का डायरेक्टोरेट ऑफ एजुकेशन सीधे या परोक्ष रूप से ऐसा नहीं कर सकता। अदालत ने 7 जनवरी के नेबरहुड क्राइटेरिया को स्टे कर दिया था। जिसके बाद दिल्ली सरकार ने डबल बे्ंच में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस जी. रोहिणी की अगुवाई वाली बेंच ने दिल्ली सरकार की अर्जी खारिज कर दी।

दिल्ली हाई कोर्ट ने इससे पहले दिल्ली सरकार के उस दलील को खारिज कर दिया था कि ये नेबरहुड पॉलिसी का फैसला जनहित में लिया गया था। अदालत ने कहा था कि डीडीए की जमीन पर बने प्राइवेट स्कूलों के लिए ही सिर्फ जनहित का मामला नहीं हो सकता। सरकारी स्कूलों में सुविधाओं का अभाव है ऐसे में नेबरहुड क्राइटेरिया सही तरह से लागू नहीं हो सकता। पहली नजर में नेबरहुड क्राइटेरिया के तहत दाखिला असंवैधानिक है। अदालत ने कहा कि ये पॉलिसी जनहित में नहीं है और इससे एक वर्ग के लोगों व उनके बच्चों को लाभ प्रदान किया किया है। इस नीति से जहां भेदभाव बढ़ेगा वहीं पारदर्शिता कम होगी।

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