सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तीन महिने में रिपोर्ट दाखिल कर यह बताए कि पटाखों में किस तरह की सामग्री इस्तेमाल की जा रही है।
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