Tuesday, January 24, 2017

दो साल से एक भी बस नहीं खरीदी गई DTC में!

नई दिल्ली
दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि पिछले दो सालों में दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की हालत खराब नहीं हुई है, लेकिन यह सच है कि पिछले दो साल में डीटीसी के बेड़े में कोई नई बस शामिल नहीं की गई है। सरकार का यह भी मानना है कि डीटीसी के घाटे में भी लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है, जिसे कम करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

दिल्ली सरकार पर जब तब आरोप लगते रहे हैं कि सार्वजनिक परिवहन सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए वह गंभीर प्रयास नहीं कर रही है। लेकिन इसके उलट सरकार दावा करती है कि वह बसों को लेकर काफी गंभीर है, लेकिन तकनीकी कारणों से बसों को खरीदने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

परिवहन विभाग के सूत्रों के अनुसार असल में सरकार मिनी बसें खरीदने की इच्छुक हैं। इसका कारण यह है कि सड़कों पर ट्रैफिक बुरी तरह बढ़ रहा है और सड़क किनारे वाहनों की पार्किंग होने से बड़ी बसों को चलाने में समस्या आ रही है। लेकिन परिवहन विभाग के कुछ अधिकारी नहीं चाहते थे मिनी बसों को खरीदा जाए, इसके लिए उन्होंने फाइलों में विपरित टिप्पणियां लिखी, जिससे बसें नहीं खरीदी जा सकीं। इसी का परिणाम यह निकला है कि पिछले दो साल में डीटीसी के लिए एक भी बस नहीं खरीदी जा सकी हैं।

परिवहन मंत्री सत्येंद्र जैन के अनुसार दो साल पहले डीटीसी के बेड़े में 5200 बसें थी। लेकिन अब इनकी संख्या घटकर 4020 हो गई है। ये बसें इसलिए कम हुई हैं कि सरकार ने धीरे धीरे बिना दरवाजों की स्टेंडर्ड बसों को सड़कों से हटा लिया है। फिलहाल जो डीटीसी की बसें हैं, उनमें से भी सड़कों पर 4009 बसें चल रही हैं, बाकी 11 बसें चलने की हालत में नहीं है।

विभाग के अनुसार चूंकि डीटीसी बसें खरीदने में लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए कलस्टर स्कीम के तहत नई बसें चलाने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए गंभीर कवायद की जा रही है और प्राइवेट ऑपरेटरों से लगातार बातचीत की जा रही है। सरकार के साथ समस्या यह है कि बसें कम होने के साथ-साथ डीटीसी का घाटा भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2014-15 में यह घाटा करीब 2917 करोड़ रुपये था, जो 2015-16 में बढ़कर करीब 3411 करोड़ रुपये हो गया है। सरकार डीटीसी का घाटा कम करने के प्रयास कर रही है, जिसमें बसों में ई-टिकटिंग सिस्टम शुरू किया गया है। डिपो खड़ी बसों को चलाने के लिए कंडक्टरों व ड्राइवरों की भर्ती की जा रही है। इसके साथ ही डिपो से आय बढ़ाने के लिए भी योजनाएं बनाई जा रही हैं।


मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Read more: दो साल से एक भी बस नहीं खरीदी गई DTC में!