नई दिल्ली
शुक्रवार को राजधानी में सोलो फीमेल ट्रैवलर, फटॉग्रफर और ब्लॉगर डॉ कायनात काजी के कहानी संग्रह 'बोगनवेलिया' का लोकार्पण सुप्रसिद्ध उपन्यासकार और हिंदी अकादमी की उपाध्यक्ष मैत्रेयी पुष्पा ने किया। लोकार्पण समारोह का आयोजन कलमकार फाउंडेशन द्वारा नई दिल्ली के साहित्य अकादमी सभागार में किया गया। समारोह की अध्यक्षता मैत्रेयी पुष्पा ने की, जबकि वरिष्ठ कवि और भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक श्री लीलाधर मंडलोई इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे। 'बोगनवेलिया' नौ प्रेम कहानियों का संग्रह है जिसमें प्रेम के नौ अलग-अलग रंग हैं।
इस मौके पर मैत्रेयी पुष्पा ने कहा, 'पुरुष प्रेम कहानी नहीं लिख सकते, क्योंकि स्त्री ही प्रेम के कोमल भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ सकती है। प्रेम को नकारना और प्रेम को छिपाना अपराध है। हम प्रेम को छिपाकर उसे अपराध की संज्ञा दे देते हैं, जो कि उचित नहीं है। अगर प्रेम है तो उसे खुलेआम स्वीकार करना चाहिए।' मैत्रेयी ने कहा कि आजकल अच्छी कहानियां पढ़ने को नहीं मिल रही हैं, कायनात की कहानियां इस कमी को पूरा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि पुस्तक खोलने के बाद वह लगातार एक के बाद एक सारी कहानियां पढ़ती चली गयीं, इन कहानियों में जीवन की मामूली बातें सुनाने का तरीका प्रभावित करता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लीलाधर मंडलोई ने कहा, 'मैं कविता के पाठक की तरह किताब पढ़ता हूं और अनकहे को ढूंढ़ता हूं। संग्रह की पहली ही कहानी 'बोगनवेलिया' इतनी बढ़िया लगी कि यह शेर याद आ गया, था इतना सख्त जान कि तलवार बेअसर, था इतना नर्म दिल कि गुल से कट गया।' उन्होंने कहा कि स्त्री अगर प्रेम कहानी लिखे तो पुरुष उसे नहीं पढ़ सकता, लोगों को अगर प्रेम समझ आ जाये तो समाज में नफरत ही नहीं रहेगी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित 'पाखी' पत्रिका के संपादक प्रेम भारद्वाज ने कहा, 'प्रेम और सियासत पर लिखना कठिन काम है। 'बोगनवेलिया' की कहानियां अलग तरह की हैं। इसमें बहुत विविधता है। इसे पढ़ कर कई बार लगने लगता है कि जैसे दो अलग लोगों ने कहानियां लिखी हों।'
'बोगनवेलिया' कायनात की दूसरी और कहानी संग्रह की पहली पुस्तक है। कायनात की इससे पहले 'कृष्णा सोबती का साहित्य और समाज' नामक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। देश-विदेश में लाख किलोमीटर की यात्रा तय करने वाली कायनात काजी ‘राहगीरी’ नाम से हिंदी का पहला ट्रैवेल फटॉग्रफी ब्लॉग भी चलाती हैं।
शुक्रवार को राजधानी में सोलो फीमेल ट्रैवलर, फटॉग्रफर और ब्लॉगर डॉ कायनात काजी के कहानी संग्रह 'बोगनवेलिया' का लोकार्पण सुप्रसिद्ध उपन्यासकार और हिंदी अकादमी की उपाध्यक्ष मैत्रेयी पुष्पा ने किया। लोकार्पण समारोह का आयोजन कलमकार फाउंडेशन द्वारा नई दिल्ली के साहित्य अकादमी सभागार में किया गया। समारोह की अध्यक्षता मैत्रेयी पुष्पा ने की, जबकि वरिष्ठ कवि और भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक श्री लीलाधर मंडलोई इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे। 'बोगनवेलिया' नौ प्रेम कहानियों का संग्रह है जिसमें प्रेम के नौ अलग-अलग रंग हैं।
इस मौके पर मैत्रेयी पुष्पा ने कहा, 'पुरुष प्रेम कहानी नहीं लिख सकते, क्योंकि स्त्री ही प्रेम के कोमल भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ सकती है। प्रेम को नकारना और प्रेम को छिपाना अपराध है। हम प्रेम को छिपाकर उसे अपराध की संज्ञा दे देते हैं, जो कि उचित नहीं है। अगर प्रेम है तो उसे खुलेआम स्वीकार करना चाहिए।' मैत्रेयी ने कहा कि आजकल अच्छी कहानियां पढ़ने को नहीं मिल रही हैं, कायनात की कहानियां इस कमी को पूरा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि पुस्तक खोलने के बाद वह लगातार एक के बाद एक सारी कहानियां पढ़ती चली गयीं, इन कहानियों में जीवन की मामूली बातें सुनाने का तरीका प्रभावित करता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लीलाधर मंडलोई ने कहा, 'मैं कविता के पाठक की तरह किताब पढ़ता हूं और अनकहे को ढूंढ़ता हूं। संग्रह की पहली ही कहानी 'बोगनवेलिया' इतनी बढ़िया लगी कि यह शेर याद आ गया, था इतना सख्त जान कि तलवार बेअसर, था इतना नर्म दिल कि गुल से कट गया।' उन्होंने कहा कि स्त्री अगर प्रेम कहानी लिखे तो पुरुष उसे नहीं पढ़ सकता, लोगों को अगर प्रेम समझ आ जाये तो समाज में नफरत ही नहीं रहेगी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित 'पाखी' पत्रिका के संपादक प्रेम भारद्वाज ने कहा, 'प्रेम और सियासत पर लिखना कठिन काम है। 'बोगनवेलिया' की कहानियां अलग तरह की हैं। इसमें बहुत विविधता है। इसे पढ़ कर कई बार लगने लगता है कि जैसे दो अलग लोगों ने कहानियां लिखी हों।'
'बोगनवेलिया' कायनात की दूसरी और कहानी संग्रह की पहली पुस्तक है। कायनात की इससे पहले 'कृष्णा सोबती का साहित्य और समाज' नामक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। देश-विदेश में लाख किलोमीटर की यात्रा तय करने वाली कायनात काजी ‘राहगीरी’ नाम से हिंदी का पहला ट्रैवेल फटॉग्रफी ब्लॉग भी चलाती हैं।
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