Monday, January 2, 2017

डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सरकार लाएगी सख्त कानून

सुष्मी डे, दिल्ली
डॉक्टरों पर लगातार हो रहे हमले सरकार के लिए चिंता का सबब बन गए हैं। मरीजों के रिश्तेदारों या परिजनों द्वारा के साथ मारपीट और हिंसा की खबरें आए दिन आती रहती हैं। इसलिए अब सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने पर विचार कर रही है। इंडियन मेडिकल असोसिशन के अनुमान के मुताबिक 75% से ज्यादा डॉक्टर ड्यूटी के दौरान किसी न किसी रूप में हिंसा का सामना करते हैं।

लगातार ऐसी रिपोर्ट्स आने के बाद सरकार ने साल 2015 में एक इंटर-मिनिस्टीरीअल कमिटि बनाई थी। समिति से ऐसे मामलों और शिकायतों की जांच करने को कहा गया था। इस समिति ने अपने सुझावों में कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय को इस मसले को केंद्र सरकार के समक्ष पेश करना चाहिए। एक सूत्र ने बताया कि प्रस्तावित कानून में कुछ कड़े प्रावधान शामिल किए जा सकते हैं जैसे कि डॉक्टर या हॉस्पिटल के किसी कर्मचारी पर हमले को गैर-जमानती अपराध माना जाएगा। देश के तकरीबन 18 सेक्टरों में पहले से ऐसे कानून मौजूद हैं। हालांकि, कानून पर प्रभावी ढंग से अमल न होने की वजह से डॉक्टरों को मरीजों के परिजनों के गुस्से और नाखुशी का शिकार बनना पड़ता है। कमिटी ने स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा है कि राज्यों में बाकी कानूनों के साथ यह कानून भी बनाकर लागू किया जाए।

इससे पहले इंडियन मेडिकल असोसिएशन ने पूरे देश में एक स्टडी की थी। इसके नतीजे में सामने आया था कि ज्यादातर डॉक्टर इमर्जेंसी सर्विस देने के दौरान हिंसा का शिकार होते हैं। 48.4% हिंसा की वारदातें आईसीयू सर्विस या सर्जरी के दौरान होती हैं। इन घटनाओं के पीछे प्रमुख वजह होती है गैरजरूरी पड़ताल या फिर मरीज को देखने में हो रही देरी। अडवांस में मांगी गई फीस और फीस न मिलने तक बॉडी न दिया जाना भी मारपीट के पीछे बड़ी वजहें होती हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि 68.33% मामलों में मरीज की देखरेख कर रहे उनके परिजन या रिश्तेदार डॉक्टरों के साथ मारपीट करते हैं।

प्रस्तावित कानून में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए हॉस्पिटल अथॉरिटीज पर ज्यादा जिम्मेदारी डाल सकता है।


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