Friday, January 27, 2017

पार्किंग में 'सबसे बुरी' दिल्ली को बदल रहे ये युवा

नई दिल्ली
'पार्किंग के मामले में दिल्ली की स्थिति दुनिया में सबसे बुरी है।' कुछ बरस पहले यह सर्वे रिपोर्ट पढ़कर आईआईटी मद्रास में पढ़े चिराग जैन चौंक गए। विदेश यात्रा के दौरान उन्होंने पार्किंग को तकनीक से जुड़ा देखा था। उन्हें लगा कि भारत में भी पार्किंग को डिजिटल जामा पहनाने से समस्या कम हो सकती है। अपने इसी आइडिया पर काम करने के लिए उन्होंने एक दोस्त के साथ स्टार्ट अप का प्लान बनाया। दोनों ने अपनी मेहनत से पार्किंग सिस्टम को इस कदर दुरुस्त किया कि खुद पीएम ने तारीफ की।

महज 28 साल के चिराग पहले अलग-अलग ब्रैंड्स की गाड़ियों को एक प्लैटफॉर्म पर बिकने की सुविधा देने वाले पोर्टल में काम करते थे। उन्होंने पाया कि गाड़ी खरीदना आसान काम है, लेकिन उसे मेंटेन करने में कई समस्याएं है। इन समस्याओं में पार्किंग बड़ी समस्या है। उन्हें जानकारी मिली कि आम आदमी के हर ड्राइव में 20 मिनट पार्किंग ढूंढ़ने में ही जाया हो जाते हैं। लोग आधे से ज्यादा प्लान तो इस आधार पर ड्रॉप कर देते हैं कि फलां जगह पार्किंग उपलब्ध नहीं है।



तभी एक ट्रेन यात्रा में उनकी मुलाकात हुई एफएमएस दिल्ली में पढ़ाई कर चुके रसिक पनसारे से। यात्रा में मुलाकात के बाद दोनों ने मिलकर काम करने का प्लान बनाया। बाद में एक दिन चिराग ने रसिक को फोन कर पूछा कि क्या पार्किंग की सुविधा बेहतर बनाने के लिए काम किया जा सकता है तो रसिक ने हामी भर दी। वे 2015 में कंपनी बनाने में जुट गए लेकिन सवाल पैसों का था। कंपनी बनाने के लिए उन्होंने पर्सनल सेविंग के साथ फैमिली और फ्रेंड्स की मदद ली।

फिर समस्या आई कि पार्किंग में पर्ची पर काम करने वालों को डिजिटल दुनिया का पता नहीं था। दूसरी तरह इन दोनों को पार्किंग का कोई अनुभव नहीं था। दोनों 14-14 घंटे पार्किंग में खड़े होकर वहां की समस्याओं को समझने की कोशिश करने लगे। मेहनत रंग लाई और पार्किंग वाले डिजिटल होने का लाभ समझने लगे। चिराग और रसिक को पिछले साल पहली फंडिंग ढाई करोड़ रुपये की मिली। इसके बाद दोनों सफलता की सीढ़ियां चढ़ने लगे। आखिर वह क्षण आया, जब दोनों अपनी मेहनत पर गर्व कर सकते थे। रसिक ने बताया कि सिंहस्थ कुंभ में उनके पार्किंग सिस्टम की पीएम ने ट्वीट करके तारीफ की थी। यूके ने शुक्रवार को भारत के जिन 10 स्टार्ट अप को अवॉर्ड के लिए चुनने का ऐलान किया है, उनमें एक इनका भी प्रोजेक्ट है।

चिराग और रसिक के GET MY PARKING ऐप पर दिल्ली-एनसीआर में लीगल पार्किंग की लोकेशन का पता लगाकर अडवांस बुकिंग की जा सकती है, कैशलेस पेमेंट किया जा सकता है। आज वे दिल्ली-एनसीआर में 125 लोकेशंस पर पार्किंग सिस्टम मुहैया करा रहे हैं, जहां रोज औसतन 40 हजार पार्किंग टिकट प्रोसेस होते हैं। दो लोगों से शुरू होकर उनकी टीम अब 40 लोगों की हो चुकी है। अब वे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में स्मार्ट पार्किंग सिस्टम मुहैया कराने के लिए बड़ी कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

महज 26 साल के रसिक का कहना है कि आज कोई आइडिया भले ही नया हो, लेकिन काम नए सिरे से नहीं करना पड़ता है। इन्वेस्टर तक पहुंचना भी आसान हो गया है। युवाओं को यह समझ लेना चाहिए कि आइडियाज की कमी नहीं है। असल चुनौती उसके अमल पर काम करने की है।

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