Saturday, January 28, 2017

दिल्ली: देश की राजधानी में इतने सड़क हादसे!

नई दिल्ली
देश की राजधानी दिल्ली में सड़क हादसों को लेकर ट्रैफिक पुलिस की एक शोध में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। यहां सड़क हादसों में मारे जाने वाले हर 10 लोगों में से 4 पैदल चलने वाले तथा 4 दोपहिया चालक शामिल हैं।

पिछले वर्ष में प्रत्येक दिन के औसत से 5 लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में हुई। इसमें भी सबसे ज्यादा लोगों ने पूरे शहर को कनेक्ट करने वाले रिंग रोड पर दम तोड़ा। आउटर और इनर रिंग रोड में मिलाकर 203 लोगों की मौत हुई। जनवरी से नवंबर तक के आंकड़ों वाले इस शोध में 612 पैदल चाल तथा 503 दोपहिया चालकों के सड़क दुर्घटनाओं में मरने का खुलासा हुआ है।

पैदल चालकों में 50 प्रतिशत लोगों ने सड़क पर चलते हुए जान गंवाई। वहीं 80 प्रतिशत दोपहिया चालकों की मौत हेल्मेट नहीं पहनने की वजह से हुई। सबसे अधिक दुर्घटना रात 11 बजे से मध्यरात्रि के बीच हुई, जबकि सुबह 10 से 11 बजे तक का समय सबसे सुरक्षित रहा। यातायात पुलिस के अनुसार निजी कारें ही सबसे बड़ी हत्यारी साबित हुई हैं।

स्पेशल कमिश्नर (ट्रैफिक) अजय कश्यप ने बताया, 'सड़क दुर्घटनाओं की दर में हालांकि 2015 से कमी आई है। लेकिन हमारा मकसद इसको जीरो तक लाना है। हमारे पास इसका समाधान है, जिसमें कुछ जगहों पर इंजीनियरिंग में बदलाव की जरुरत होगी।'

रिंगरोड के अलावा शहर से होकर गुजरने वाले अन्य हाइवे - जीटी करनाल रोड, रोहतक रोड, एनएच-8, ग्रांड ट्रंक रोड पर भी सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। दुर्घटना की वजहों में लापरवाही से ओवरटेकिंग, लेन बदलना, अचानक से रुक जाना शामिल है। NCRB के मुताबिक 41% दुर्घटनाओं की वजह तेज गाड़ी चलाना, 32.2% लेन में परिवर्तन, 10% शराब पीकर गाड़ा चलाना शामिल है।

पुलिस ने पिछले वर्ष ऐक्सिडेंट के लिए 243 निजी कार चालकों पर मामला दर्ज किया। इसके अलावा हिट एंड रन के 579 केस भी रजिस्टर किए गए। इसमें सबसे ज्यादा संख्या निजी कारों की तथा उसके बाद ट्रकों की है।

इससे पहले सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय के शोध के अनुसार 77.1% मौतों में ड्राइवर की गलती रही जबकि अन्य में पीड़ित की गलती रही। इसके अलावा 70 प्रतिशत दुर्घटना में आमने सामने की टक्कर हुई।

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