नई दिल्ली
कंपकंपाती सर्दी बेघरों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। खतरनाक ठंड से बेघर लोगों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। 19 जनवरी तक दिल्ली में ठंड से 111 लोगों की जान जा चुकी है। पिछले 2 दिनों में 3 और बेघरों की मौत हो गई। दिसंबर में भी ठंड से 235 लोगों की जान गई थी।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर शरीर का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से कम होने लगे तो जान जा सकती है। अगर फिजिकल वीकनेस के साथ किसी का इम्यून सिस्टम ज्यादा कमजोर होता है तो सर्दी का असर ज्यादा खतरनाक होता है। खुले आसमान के नीचे जो लोग रहते हैं, उनके लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है।
सेंटर फॉर होलिस्टिक डिवेलपमेंट (सीएचडी) की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में अभी 262 जगहों पर 21,524 लोगों के रहने के लिए व्यवस्था की गई है। इसमें आरसीसी बिल्डिंग वाले 81 शेल्टर (9,299 लोग), 115 पोर्टा केबिन (6,995 लोग), 64 टेंट (3,230 लोग) और 2 सबवे (2,000) पोर्टा केबिन शामिल हैं। मास्टर प्लान के अनुसार इस काम के लिए 19,37,520 वर्ग फीट जगह की जरूरत है। डीयूएसआईबी के पास केवल 2,44,507 वर्ग फीट की जगह है। जहां तक नियमों की बात है तो एक लाख की आबादी में 1,000 वर्ग मीटर जगह वाला शेल्टर होना चाहिए। एक इंसान के लिए कम से कम 50 वर्ग फीट जगह होनी चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा।
दिल्ली में इस वक्त सभी नाइट शेल्टर भरे हुए हैं। कहीं भी जगह नहीं है। ठंड का कहर लगातार जारी है। अगर बेघरों को रात खुले आसमान के नीचे बितानी पड़ी तो और लोगों की मौत हो सकती है। सेंटर फॉर होलिस्टिक के सुनील ने बताया कि रविवार को कश्मीरी गेट पर दो डेड बॉडीज मिलीं। मरने वालों की उम्र 35 और 55 साल थी। एक और बॉडी तिमारपुर इलाके में मिली। उनकी उम्र 30 साल थी। शनिवार को दो डेड बॉडीज मिली थीं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड हर साल 60 से 65 टेंट एक्स्ट्रा बनाता है। इसकी वजह से 36 हजार से 42 हजार वर्ग फीट स्पेस बढ़ जाता है। गर्मियों में 2.98 लाख वर्ग फीट स्पेस होता है। मैक्स के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर विवेका कुमार ने बताया कि सर्दी की वजह से तापमान में आई कमी से ब्लड वेसेल्स सिकुड़ने लगती हैं और ब्लड गहरा हो जाता है। शरीर में ब्लड फ्लो ठीक से नहीं हो पाता और हार्ट को शरीर मे ब्लड पहुंचाने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इस कारण भी ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।
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