नई दिल्ली
दिल्ली के नए उप राज्यपाल अनिल बैजल ने 1969 में यूटी कैडर से आईएएस के रूप में सर्विस शुरू की थी। बाजपेयी सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2004 में बैजल होम सेक्रटरी थे। इस पद पर यह लंबे वक्त तक सेवाएं नहीं दे पाए क्योंकि मई 2004 में सत्ता में आई यूपीए सरकार ने इनसे पदभार ले लिया था।
रिटायरमेंट के बाद से बैजल विवेकानंद इंटरनैशल फाउंडेशन के थिंक टैंक के सदस्य रहे, जिसने मोदी सरकार के कार्यकाल में सर्वोच्च पदों को भरने का काम किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी इसी थिंक टैंक का हिस्सा रह चुके हैं।
बतौर उप राज्यपाल बैजल की नियुक्ति ऐसे वक्त पर हुई है जब दिल्ली के पूर्व उप राज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच कई मुद्दों पर मतभेद सुर्खियों में रहे हैं। ऐसे में बैजल के दिल्ली सरकार से संबंधों पर सबकी नजर रहेगी। सूत्रों का कहना है कि 70 वर्षीय बैजल का नाम राष्ट्रपति के पास पहुंचने के साथ ही उन्हें इस पद के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति माना जाने लगा था। साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार के कार्यकाल में उप राज्यपाल का पदभार संभाल रहे बैजल भी नियम कायदों के मामले में जंग की तरह ही सख्त रहेंगे।
बैजल को शहरी इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने के लिए जवाहर लाल नेहरू रिन्यूअल मिशन के फ्लैगशिप प्रोग्रैम का पायलट भी माना जाता है। अपने 37 साल के करियर में बैजल प्रसार भारती के सीईओ, गोवा के डिवेलपमेंट कमिश्नर और नेपाल में भारत के सहयोग कार्यक्रम के काउंसलर जैसे कई अहम पदों पर रहे। वह भारती कारपोरेशन के चीफ ऐग्जिक्युटिव भी रह चुके हैं। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय और ईस्ट एंगिला यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।
यह भी पढ़ें: अनिल बैजल बने दिल्ली के नए उप राज्यपाल, विदेश मंत्री सुषमा ने दी बधाई
नजीब जंग के अपने पद से स्तीफा देने के बाद राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उप राज्यपाल के रूप में बैजल के नाम को मंजूरी दे दी थी। जंग के इस्तीफे के बाद से ही अनिल बैजल का नाम दिल्ली के नए उप राज्यपाल की रेस में था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बैजल की नियुक्ति पर उन्हें ट्वीट कर बधाई दी।
Former IAS officer Anil Baijal to succeed Jung as Delhi lieutenant governor
दिल्ली के नए उप राज्यपाल अनिल बैजल ने 1969 में यूटी कैडर से आईएएस के रूप में सर्विस शुरू की थी। बाजपेयी सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2004 में बैजल होम सेक्रटरी थे। इस पद पर यह लंबे वक्त तक सेवाएं नहीं दे पाए क्योंकि मई 2004 में सत्ता में आई यूपीए सरकार ने इनसे पदभार ले लिया था।
रिटायरमेंट के बाद से बैजल विवेकानंद इंटरनैशल फाउंडेशन के थिंक टैंक के सदस्य रहे, जिसने मोदी सरकार के कार्यकाल में सर्वोच्च पदों को भरने का काम किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी इसी थिंक टैंक का हिस्सा रह चुके हैं।
बतौर उप राज्यपाल बैजल की नियुक्ति ऐसे वक्त पर हुई है जब दिल्ली के पूर्व उप राज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच कई मुद्दों पर मतभेद सुर्खियों में रहे हैं। ऐसे में बैजल के दिल्ली सरकार से संबंधों पर सबकी नजर रहेगी। सूत्रों का कहना है कि 70 वर्षीय बैजल का नाम राष्ट्रपति के पास पहुंचने के साथ ही उन्हें इस पद के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति माना जाने लगा था। साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार के कार्यकाल में उप राज्यपाल का पदभार संभाल रहे बैजल भी नियम कायदों के मामले में जंग की तरह ही सख्त रहेंगे।
बैजल को शहरी इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने के लिए जवाहर लाल नेहरू रिन्यूअल मिशन के फ्लैगशिप प्रोग्रैम का पायलट भी माना जाता है। अपने 37 साल के करियर में बैजल प्रसार भारती के सीईओ, गोवा के डिवेलपमेंट कमिश्नर और नेपाल में भारत के सहयोग कार्यक्रम के काउंसलर जैसे कई अहम पदों पर रहे। वह भारती कारपोरेशन के चीफ ऐग्जिक्युटिव भी रह चुके हैं। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय और ईस्ट एंगिला यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।
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नजीब जंग के अपने पद से स्तीफा देने के बाद राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उप राज्यपाल के रूप में बैजल के नाम को मंजूरी दे दी थी। जंग के इस्तीफे के बाद से ही अनिल बैजल का नाम दिल्ली के नए उप राज्यपाल की रेस में था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बैजल की नियुक्ति पर उन्हें ट्वीट कर बधाई दी।
Former IAS officer Anil Baijal to succeed Jung as Delhi lieutenant governor
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