Sunday, December 25, 2016

बार काउंसिल की DU को चिट्ठी, HC सख्त

नई दिल्ली

'अपने' छात्रों को उपस्थिति में राहत देने संबंधी मसले पर दिल्ली हाई कोर्ट ने बार काउंसिल से जवाब मांगा है। दरअसल बार काउंसिल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी को अपने छात्रों को नोटबंदी से हुई दिक्कतों के कारण अटेंडेंस में छूट देने के लिए पत्र लिखा था।

इस पर हाई कोर्ट ने पूछा, 'बार काउंसिल ऑफ इंडिया इस तरह का पत्र कैसे जारी कर सकती है? बार काउंसिल कैसे अटेंडेंस को नरम बनने के लिए यूनिवर्सिटी को कह सकती है?' जस्टिस जी रोहिणी और जस्टिस संगीता ढींगरा की संयुक्त बेंच ने काउंसिल के इस पत्र पर सवाल उठाते हुए जवाब मांगे हैं।

हाई कोर्ट ने मामले पर बार काउंसिल को अपना स्टैंड क्लियर करने के लिए कहा है। कोर्ट का यह आदेश फैकल्टी ऑफ लॉ के पूर्व डीन एसएन सिंह की याचिका पर आया है। सिंह ने आरोप लगाया था कि डीयू द्वारा अटेंडेंस के नियमों की धज्जियां उड़ाईं जा रहीं हैं। जानकारी के मुताबिक, 500 लॉ छात्रों ने तय उपस्थिति के मानक से कम उपस्थिति दर्ज की, बावजूद इसके उन्हें नियमों को ताक पर रख कर सेमेस्टर एग्जाम देने की इजाजत दी गई।

बताया गया कि बीसीआई के सेक्रटरी ने 17 दिसंबर 2016 को पत्र लिखा, जिसके बाद नियम के खिलाफ जाकर छात्रों को छूट दी गई। सिंह ने कोर्ट को बताया कि बार काउंसिल को ऐसा कोई अधिकार प्राप्त नहीं है, जिसका इस्तेमाल कर वह यूनिवर्सिटी को पत्र लिख इस तरह नियम में राहत दिलवाए। सिंह की याचिका में जिक्र है कि लॉ के कुछ छात्र तो ऐसे हैं, जिन्होंने एक भी क्लास में उपस्थिति दर्ज नहीं करवाई, फिर भी इन्हें परीक्षा देने की अनुमति दी गई।

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