नई दिल्ली
न्यू अशोक नगर में गैंगरेप की शिकार नाबालिग लड़की और उसके परिवार को 'दबाने, भगाने या मिटाने' का 'खेल' शुरू हो चुका है। केस में मकान मालिक की गिरफ्तारी के बाद पीड़ित परिवार को रातों-रात उनका कमरा खाली करना पड़ा है, जबकि घर के दो सदस्य सड़क हादसे में घायल होने की वजह से बेड पर हैं। पीड़ित परिवार का आरोप है कि वह अपने एक रिश्तेदार के यहां रुके हैं, लेकिन बीती रात वहां चार-पांच लोग नशे की हालत में पहुंचे और लड़की (विक्टिम) से मिलाने के लिए दबाव डालने लगे। घरवालों ने उनकी पहचान पूछी तो खुद को पुलिस से बताया।
घरवालों के अनुसार, उनकी बेटी की दिमागी हालत ठीक नहीं है, वह दो-तीन बार छत से कूदने की कोशिश कर चुकी है, इसलिए उन्होंने अनजान लोगों को लड़की से मिलाने से इनकार कर दिया। इस पर वह सभी हंगामा करने लगे। उनसे गाली-गलौज, खींचतान और मारपीट की कोशिश की। इसी दौरान उन लोगों ने केस की महिला जांच अधिकारी से भी बात करवाई, लेकिन महिला जांच अधिकारी ने विक्टिम के भाई को सिर्फ इतना कहा कि 'इन लोगों' (हंगामा करने वाले) को आपके घर जाने से मना किया था, फिर भी चले गए। फिर कन्नी काट ली।
विक्टिम के भाई के अनुसार, जाहिर होता है कि उन लोगों को पुलिस से ही उनके नए ठिकाने की जानकारी मिली। वह लोग पुलिस वाले नहीं थे, बल्कि अभियुक्तों की तरफ से आए थे। उनके ऊपर केस वापस लेने का दबाव बनाना चाहते थे। घटना के बाद से उनके परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट रहा है। सभी बहुत डरे हुए हैं। अनजान शहर में कोई मददगार नजर नहीं आ रहा। घर में मां-पिताजी (विक्टिम के चाचा-चाची, जिनकी सेवा के लिए वह कुछ दिन पहले ही बिहार से दिल्ली आई थी) बेड पर हैं, उन्हें रातों-रात आरोपियों के घर से शिफ्ट करना पड़ा क्योंकि केस दर्ज होने के बाद आरोपी की मां और भाई उन्हें बुरी तरह डरा-धमका रहे थे। उनके कमरे का किराया अडवांस में दिया था, लेकिन दो दिन बाद ही कमरा छोड़ना पड़ा। उसमें उनका सारा सामान बंद है। वहां से सामान निकालने के लिए केस की महिला जांच अधिकारी से मदद मांगी, लेकिन जांच अधिकारी ने टाल दिया। जांच अधिकारी ने कहा कि जिसका बेटा जेल में बंद है, वह तो हंगामा करेगी ही, इसलिए अभी रुक जाओ।
इस बीच जांच अधिकारी ने उन्हें एक शिकायत भी दिखाई, लेकिन पढ़ने को नहीं दी, जिसे दिखाकर बताया कि उनके (लड़की के चचेरे भाइयों) के खिलाफ आरोपियों ने घर से चोरी करने की शिकायत दी गई है, जिसकी जांच करनी पड़ेगी, कुछ दिन में सभी भाइयों को लेकर हाजिर होना। लड़की के भाई के अनुसार, पुलिस के रवैये से लग रहा है कि उन्होंने केस दर्ज करवाकर बड़ी गलती की है, पुलिस आरोपियों के हक में बात कर रही है। उनके ऊपर झूठा आरोप लगाकर जांच का दबाव बनाया जा रहा है।
बता दें कि इस घिनौनी वारदात का खुलासा 'सान्ध्य टाइम्स' ने किया था। आरोपियों का कमरा खाली करने के बाद पूरा परिवार अपने एक रिश्तेदार के यहां शिफ्ट हो चुका है। लड़की के भाई ने बताया कि उन लोगों की हालत बेहद खराब है। चार दिन से कपड़े तक नहीं बदले हैं। न ठीक से खाना खाया है। मजबूरी में एक कमरे में आठ सदस्य ठहरे हुए हैं। उनकी बहन ट्रामा में है। उसके पास हमेशा तीन-चार लोग रहते हैं, जो उसे लगातार हिम्मत बंधा रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा।
ईस्ट दिल्ली के डीसीपी ओमवीर सिंह ने कहा, 'जांच अधिकारी के रवैये की जांच की जाएगी। पीड़ित परिवार के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं हुआ है। विक्टिम को आज दोबारा काउंसलिंग के लिए बुलाया गया है, उनकी हरसंभव मदद की जाएगी।'
न्यू अशोक नगर में गैंगरेप की शिकार नाबालिग लड़की और उसके परिवार को 'दबाने, भगाने या मिटाने' का 'खेल' शुरू हो चुका है। केस में मकान मालिक की गिरफ्तारी के बाद पीड़ित परिवार को रातों-रात उनका कमरा खाली करना पड़ा है, जबकि घर के दो सदस्य सड़क हादसे में घायल होने की वजह से बेड पर हैं। पीड़ित परिवार का आरोप है कि वह अपने एक रिश्तेदार के यहां रुके हैं, लेकिन बीती रात वहां चार-पांच लोग नशे की हालत में पहुंचे और लड़की (विक्टिम) से मिलाने के लिए दबाव डालने लगे। घरवालों ने उनकी पहचान पूछी तो खुद को पुलिस से बताया।
घरवालों के अनुसार, उनकी बेटी की दिमागी हालत ठीक नहीं है, वह दो-तीन बार छत से कूदने की कोशिश कर चुकी है, इसलिए उन्होंने अनजान लोगों को लड़की से मिलाने से इनकार कर दिया। इस पर वह सभी हंगामा करने लगे। उनसे गाली-गलौज, खींचतान और मारपीट की कोशिश की। इसी दौरान उन लोगों ने केस की महिला जांच अधिकारी से भी बात करवाई, लेकिन महिला जांच अधिकारी ने विक्टिम के भाई को सिर्फ इतना कहा कि 'इन लोगों' (हंगामा करने वाले) को आपके घर जाने से मना किया था, फिर भी चले गए। फिर कन्नी काट ली।
विक्टिम के भाई के अनुसार, जाहिर होता है कि उन लोगों को पुलिस से ही उनके नए ठिकाने की जानकारी मिली। वह लोग पुलिस वाले नहीं थे, बल्कि अभियुक्तों की तरफ से आए थे। उनके ऊपर केस वापस लेने का दबाव बनाना चाहते थे। घटना के बाद से उनके परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट रहा है। सभी बहुत डरे हुए हैं। अनजान शहर में कोई मददगार नजर नहीं आ रहा। घर में मां-पिताजी (विक्टिम के चाचा-चाची, जिनकी सेवा के लिए वह कुछ दिन पहले ही बिहार से दिल्ली आई थी) बेड पर हैं, उन्हें रातों-रात आरोपियों के घर से शिफ्ट करना पड़ा क्योंकि केस दर्ज होने के बाद आरोपी की मां और भाई उन्हें बुरी तरह डरा-धमका रहे थे। उनके कमरे का किराया अडवांस में दिया था, लेकिन दो दिन बाद ही कमरा छोड़ना पड़ा। उसमें उनका सारा सामान बंद है। वहां से सामान निकालने के लिए केस की महिला जांच अधिकारी से मदद मांगी, लेकिन जांच अधिकारी ने टाल दिया। जांच अधिकारी ने कहा कि जिसका बेटा जेल में बंद है, वह तो हंगामा करेगी ही, इसलिए अभी रुक जाओ।
इस बीच जांच अधिकारी ने उन्हें एक शिकायत भी दिखाई, लेकिन पढ़ने को नहीं दी, जिसे दिखाकर बताया कि उनके (लड़की के चचेरे भाइयों) के खिलाफ आरोपियों ने घर से चोरी करने की शिकायत दी गई है, जिसकी जांच करनी पड़ेगी, कुछ दिन में सभी भाइयों को लेकर हाजिर होना। लड़की के भाई के अनुसार, पुलिस के रवैये से लग रहा है कि उन्होंने केस दर्ज करवाकर बड़ी गलती की है, पुलिस आरोपियों के हक में बात कर रही है। उनके ऊपर झूठा आरोप लगाकर जांच का दबाव बनाया जा रहा है।
बता दें कि इस घिनौनी वारदात का खुलासा 'सान्ध्य टाइम्स' ने किया था। आरोपियों का कमरा खाली करने के बाद पूरा परिवार अपने एक रिश्तेदार के यहां शिफ्ट हो चुका है। लड़की के भाई ने बताया कि उन लोगों की हालत बेहद खराब है। चार दिन से कपड़े तक नहीं बदले हैं। न ठीक से खाना खाया है। मजबूरी में एक कमरे में आठ सदस्य ठहरे हुए हैं। उनकी बहन ट्रामा में है। उसके पास हमेशा तीन-चार लोग रहते हैं, जो उसे लगातार हिम्मत बंधा रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा।
ईस्ट दिल्ली के डीसीपी ओमवीर सिंह ने कहा, 'जांच अधिकारी के रवैये की जांच की जाएगी। पीड़ित परिवार के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं हुआ है। विक्टिम को आज दोबारा काउंसलिंग के लिए बुलाया गया है, उनकी हरसंभव मदद की जाएगी।'
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