नई दिल्ली
लखनऊ और नई दिल्ली के बीच चलने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन शुक्रवार को हादसे का शिकार होते-होते बची। दिल्ली से लखनऊ जाते वक्त इस ट्रेन के सी-2 कोच के एक पहिए का स्प्रिंग टूट गया। इसका पता भी रास्ते में नहीं लग पाया। जब ट्रेन लखनऊ पहुंच गई तब किसी ने इसे देखकर रेलवे को बताया। जानकारी मिलने पर इस कोच को ट्रेन से हटा दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि असल में कोहरे के दौरान ट्रेनों की ठीक से मेंटनंस नहीं की जा रही है। यही वजह है कि यह स्प्रिंग टूट गई। आमतौर पर इस तरह की समस्याएं मेंटनंस के दौरान ठीक कर दी जाती हैं। कोहरे की वजह से अधिकतर रेलगाड़ियां देरी से चल रही हैं। ऐसे में ट्रेन के स्टेशन पर आने के बाद उसे जल्द से जल्द चलाने का रेलवे पर भारी दबाव रहता है। हालांकि, कई बार यात्रा के दौरान भी इस तरह की समस्याएं आ जाती हैं। अब यह जांच का विषय है कि इस ट्रेन में यह स्प्रिंग कब और कैसे टूटा।
सूत्रों ने बताया कि मामला 16 दिसंबर का है। जब यह ट्रेन नंबर-12004 नई दिल्ली से लखनऊ पहुंची, तब किसी ने पहिए की एक बड़ी वाली स्प्रिंग को टूटा देखा। यह स्प्रिंग शॉकर का काम करती हैं। इससे यात्रियों को यात्रा के दौरान झटके कम से कम लगते हैं। हालांकि अगर यह स्प्रिंग टूट जाए तो कई बार इससे भी बड़ा हादसा हो सकता है।
जानकारी मिलते ही घोषणा की गई कि स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के सी-2 कोच के जो भी यात्री हैं, वे अपने टिकट का पैसा वापस ले सकते हैं। तकनीकी कारणों की वजह से इस कोच को ट्रेन से अलग किया जा रहा है। इससे लोगों को काफी परेशानी हुई। कानपुर पहुंचने के बाद एक नया सी-2 कोच ट्रेन में लगा दिया गया। यात्रियों का कहना था कि जब लखनऊ से करीब डेढ़ घंटे का सफर तय करने के बाद कानपुर में दूसरा कोच लगाना ही था तो यात्रियों को क्यों नहीं बताया गया।
लखनऊ और नई दिल्ली के बीच चलने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन शुक्रवार को हादसे का शिकार होते-होते बची। दिल्ली से लखनऊ जाते वक्त इस ट्रेन के सी-2 कोच के एक पहिए का स्प्रिंग टूट गया। इसका पता भी रास्ते में नहीं लग पाया। जब ट्रेन लखनऊ पहुंच गई तब किसी ने इसे देखकर रेलवे को बताया। जानकारी मिलने पर इस कोच को ट्रेन से हटा दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि असल में कोहरे के दौरान ट्रेनों की ठीक से मेंटनंस नहीं की जा रही है। यही वजह है कि यह स्प्रिंग टूट गई। आमतौर पर इस तरह की समस्याएं मेंटनंस के दौरान ठीक कर दी जाती हैं। कोहरे की वजह से अधिकतर रेलगाड़ियां देरी से चल रही हैं। ऐसे में ट्रेन के स्टेशन पर आने के बाद उसे जल्द से जल्द चलाने का रेलवे पर भारी दबाव रहता है। हालांकि, कई बार यात्रा के दौरान भी इस तरह की समस्याएं आ जाती हैं। अब यह जांच का विषय है कि इस ट्रेन में यह स्प्रिंग कब और कैसे टूटा।
सूत्रों ने बताया कि मामला 16 दिसंबर का है। जब यह ट्रेन नंबर-12004 नई दिल्ली से लखनऊ पहुंची, तब किसी ने पहिए की एक बड़ी वाली स्प्रिंग को टूटा देखा। यह स्प्रिंग शॉकर का काम करती हैं। इससे यात्रियों को यात्रा के दौरान झटके कम से कम लगते हैं। हालांकि अगर यह स्प्रिंग टूट जाए तो कई बार इससे भी बड़ा हादसा हो सकता है।
जानकारी मिलते ही घोषणा की गई कि स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के सी-2 कोच के जो भी यात्री हैं, वे अपने टिकट का पैसा वापस ले सकते हैं। तकनीकी कारणों की वजह से इस कोच को ट्रेन से अलग किया जा रहा है। इससे लोगों को काफी परेशानी हुई। कानपुर पहुंचने के बाद एक नया सी-2 कोच ट्रेन में लगा दिया गया। यात्रियों का कहना था कि जब लखनऊ से करीब डेढ़ घंटे का सफर तय करने के बाद कानपुर में दूसरा कोच लगाना ही था तो यात्रियों को क्यों नहीं बताया गया।
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