Friday, December 30, 2016

हाइटेक तिहाड़ में इस तरह कैशलेस हुए कैदी

नई दिल्ली
तिहाड़ जेल भी डिजिटल और कैशलेस हो गया है। अब तिहाड़ हाट में डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है। यहां कैदियों के बनाई चीजों की बिक्री के लिए डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। शुक्रवार को तिहाड़ को नीति आयोग और IT मंत्रालय से एक सिफारिश दी गई, जिसमें जेल में कैशलेस ट्रांजैक्शन की सिफारिश की गई, लेकिन तिहाड़ पहले से ही इस काम में आगे है।

DG (जेल) सुधीर यादव ने बताया कि टीजे ब्रैंड के अंतर्गत बेची जाने वाली चीजों के लिए पूरी तरह से कैशलेस व्यवस्था लागू की गई है। उन्होंने बताया, 'हमने सभी टीजे स्टॉल पर POS मशीनें लगवाई हैं। इंपोरियम में भी ऐसी ही व्यवस्था करवाई गई है।' तिहाड़ में अब कार्ड स्वाइप करके प्रिजनर प्रॉपर्टी अकाउंट में पैसे भेजे जा सकते हैं। अगर कैदी का परिवार दिल्ली में नहीं भी है तो सीधे उनके अकाउंट में पैसे भेजे जा सकते हैं।

तिहाड़ के अडिशनल IG, मुकेश कुमार ने बताया, 'कैदियों द्वारा कमाए गए पैसे उनके इंडियन बैंक के प्रॉपर्टी अकाउंट में जमा हो जाते हैं। कैदियों को स्मार्ट कार्ड्स दिए गए हैं, जिन्हें वे महीने में 6,000 तक रिचार्ज कर सकते हैं। इससे वे जेल की कैंटीन से खाने-पीने और रोजाना के इस्तेमाल की चीजें खरीद सकते हैं।'

जेल प्रशासन ने हाई स्पीड इंटरनेट के लिए फाइबर केबल नेटवर्क बिछवाया है। तिहाड़ में सभी कैदियों की डीटेल डेटाबेस में स्टोर की गई है। इसे बायोमेट्रिक से जोड़ा गया है। कैदियों के फिंगर प्रिंट के जिरिए जेल में आने-जाने से संबंधित सारी जानकारी सुरक्षित रखी जाती है।

इसके अलावा दोनों गेट पर विजिटर मैनेजमेंट सिस्टम बनाया गया है। यहां आने वाले लोगों को फोटो पास दिया जाता है। विजिटर की डीटेल का इस्तेमाल पुलिस जांच के लिए किया जाता है। तिहाड़ में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम भी है जिसका इस्तेमाल खतरनाक कैदियों को कोर्ट में पेश करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे के जिरिए गार्ड और कैदियों की चहलकदमी पर नजर रखी जाती है।

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