विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
पांच और 10 रुपये के नकली सिक्कों का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर, सप्लायर और पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड स्वीकार लूथरा गिरफ्तार कर लिया गया है। उसने उत्तर भारत में कई जगहों पर नकली सिक्के बनाने की यूनिटें स्थापित कराई थी और खुद नेपाल में नकली सिक्के बनाकर भारत में सप्लाई करता था। बिहार पुलिस एक मर्डर केस में तलाश कर रही थी।
स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव यादव के मुताबिक, एसीपी अखिलेश यादव की टीम को खबर मिली थी कि स्वीकार लूथरा मोहन गार्डन में मारुति सेलेरियो कार में आने वाला है। उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसकी कार की तलाशी में पांच और 10 रुपयों के 17,390 रुपये के सिक्के बरामद हुए। स्वीकार (39 साल) मूल रूप से उत्तम नगर के मनसा पार्क का रहने वाला है।
पूछताछ के दौरान स्वीकार लूथरा ने पुलिस को बताया कि उसने क्राइम में शुरूआत 1993 में स्नैचिंग से की थी। साल 1997 में उसके बड़े भाई उपकार लूथरा को देहरादून के गुलशन गंभीर ने पांच रुपये के नकली सिक्के बनाने का आइडिया दिया। तब दोनों भाइयों ने पांच रुपये के नकली सिक्के बनाने की यूनिट साउथ वेस्ट दिल्ली के नंगली सकरावती में लगाई।
साल 1999 में उपकार को कनॉट प्लेस में गिरफ्तार किया गया, लेकिन उसने अपने छोटे भाई स्वीकार का नाम पुलिस को नहीं बताया। जेल से बाहर आने के बाद उपकार ने लोनी बॉर्डर पर स्थित आनंद विहार में नकली सिक्के बनाने की यूनिट लगाई। इस बार भी वह गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन इस बार भी उसने अपने भाई का नाम पुलिस को नहीं बताया इसलिए स्वीकार लूथरा पुलिस से बचा रहा।
इस तरह 2008 तक उपकार लूथरा नकली सिक्के बनाने के मामले में कुख्यात हो गया, लेकिन स्वीकार लूथरा गुमनाम रहा। इस वजह से उपकार लूथरा नेपाल जाकर बस गया। अब वह नेपाल से ही नकली सिक्कों के धंधे की कमान संभालने लगा। दूसरी ओर, भारत में स्वीकार लूथरा उसका धंधा संभालने लगा। उपकार अभी भी नेपाल में ही है। स्पेशल सेल के मुताबिक, उसे भारत लाने के डिप्लोमैटिक प्रयास किए जाएंगे।
पांच और 10 रुपये के नकली सिक्कों का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर, सप्लायर और पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड स्वीकार लूथरा गिरफ्तार कर लिया गया है। उसने उत्तर भारत में कई जगहों पर नकली सिक्के बनाने की यूनिटें स्थापित कराई थी और खुद नेपाल में नकली सिक्के बनाकर भारत में सप्लाई करता था। बिहार पुलिस एक मर्डर केस में तलाश कर रही थी।
स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव यादव के मुताबिक, एसीपी अखिलेश यादव की टीम को खबर मिली थी कि स्वीकार लूथरा मोहन गार्डन में मारुति सेलेरियो कार में आने वाला है। उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसकी कार की तलाशी में पांच और 10 रुपयों के 17,390 रुपये के सिक्के बरामद हुए। स्वीकार (39 साल) मूल रूप से उत्तम नगर के मनसा पार्क का रहने वाला है।
पूछताछ के दौरान स्वीकार लूथरा ने पुलिस को बताया कि उसने क्राइम में शुरूआत 1993 में स्नैचिंग से की थी। साल 1997 में उसके बड़े भाई उपकार लूथरा को देहरादून के गुलशन गंभीर ने पांच रुपये के नकली सिक्के बनाने का आइडिया दिया। तब दोनों भाइयों ने पांच रुपये के नकली सिक्के बनाने की यूनिट साउथ वेस्ट दिल्ली के नंगली सकरावती में लगाई।
साल 1999 में उपकार को कनॉट प्लेस में गिरफ्तार किया गया, लेकिन उसने अपने छोटे भाई स्वीकार का नाम पुलिस को नहीं बताया। जेल से बाहर आने के बाद उपकार ने लोनी बॉर्डर पर स्थित आनंद विहार में नकली सिक्के बनाने की यूनिट लगाई। इस बार भी वह गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन इस बार भी उसने अपने भाई का नाम पुलिस को नहीं बताया इसलिए स्वीकार लूथरा पुलिस से बचा रहा।
इस तरह 2008 तक उपकार लूथरा नकली सिक्के बनाने के मामले में कुख्यात हो गया, लेकिन स्वीकार लूथरा गुमनाम रहा। इस वजह से उपकार लूथरा नेपाल जाकर बस गया। अब वह नेपाल से ही नकली सिक्कों के धंधे की कमान संभालने लगा। दूसरी ओर, भारत में स्वीकार लूथरा उसका धंधा संभालने लगा। उपकार अभी भी नेपाल में ही है। स्पेशल सेल के मुताबिक, उसे भारत लाने के डिप्लोमैटिक प्रयास किए जाएंगे।
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